लोकपाल की नियुक्ति पर सरकार का रुख 'पूर्णतः असंतोषजनक’ | 25 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आम आदमी को सार्वजनिक सेवाओं और बिजली केंद्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार से बचाने के लिये लोकपाल की नियुक्ति करने में सरकार का रुख पूरी तरह असंतोषजनक है। अदालत, सरकार द्वारा दायर एक हलफनामे पर प्रतिक्रिया दे रही थी, जिसका लक्ष्य लोकपाल की नियुक्ति के लिये सटीक समय सीमा को निर्दिष्ट करना है। सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि यह एक जटिल प्रक्रिया है|
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर. बानुमति और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की बेंच ने केंद्र की उन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि 19 जुलाई को प्रधानमंत्री की उच्च स्तरीय चयन समिति की बैठक हुई जिसमें मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने हिस्सा लिया जबकि विशेष रूप से आमंत्रित मल्लिकार्जुन खडगे ने भाग लेने से इनकार कर दिया।
- वहीं, केंद्र की ओर से पक्ष रख रहे अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि सर्च पैनल के लिये जल्द ही फिर से बैठक आयोजित की जाएगी।
- पीठ ने कहा, केंद्र ने यह नहीं बताया कि लोकपाल की नियुक्ति कब तक होगी, इसलिये चार हफ्ते में नया हलफनामा दाखिल किया जाए।
- वहीं, याचिकाकर्त्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि कानून को बने साढ़े चार का समय साल बीत चुका है। इसे लेकर केंद्र सरकार गंभीर नहीं है। अब या तो अदालत अवमानना की कार्रवाई करे या फिर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अधिकार का प्रयोग कर लोकपाल की नियुक्ति करे|
- 17 जुलाई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 19 जुलाई को प्रधानमंत्री की उच्च स्तरीय चयन समिति की बैठक होगी और सर्च कमेटी बनाई जाएगी जो लोकपाल के नाम पर सुझाव देगी।
- इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, उम्मीद है कि बैठक में लोकपाल के नाम को अंतिम रूप दिया जाएगा। केंद्र सरकार को 23 जुलाई को रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिया गया था।
- 2 जुलाई को लोकपाल की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि दस दिनों के भीतर कोर्ट को बताए कि लोकपाल की नियुक्ति में कितना समय लगेगा।
सर्च पैनल को अंतिम रूप देने में लगेगा समय
- के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि एक सर्च कमेटी को अंतिम रूप देने में समय लगेगा। इसके अलावा, नियुक्ति प्रक्रिया समावेशी होनी चाहिये| लोकपाल के लिये उम्मीदवारों की पूरी तरह से जाँच करना ज़रूरी है|
- अदालत ने पिछले कई महीनों से लगातार लोकपाल की नियुक्ति को पूरा करने के लिये सरकार से आग्रह किया है।
- हालाँकि 2014 में पारित लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को इन सभी वर्षों में लागू नहीं किया जा सका है क्योंकि 16वीं लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं था। 2013 के इस कानून में चयन समिति के सदस्य के रूप में विपक्ष के नेता को शामिल किया गया है।
- अधिनियम के प्रावधान के मुताबिक प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और स्पीकर के साथ विपक्ष का नेता भी चयन समिति का हिस्सा है|
- हालाँकि, पिछले साल 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में स्पष्ट किया था कि लोकपाल नियुक्ति प्रक्रिया को केवल विपक्ष के नेता की अनुपस्थिति के कारण रोकना नहीं चाहिये।