सामाजिक न्याय
कुष्ठ रोग एवं टीबी के लिये सरकारी योजना
- 28 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कुष्ठ रोग (Leprosy) और तपेदिक या टीबी (Tuberculosis- TB) के लिये 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सार्वभौमिक जाँच हेतु एक कार्यक्रम शुरू किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस कार्यक्रम के अनुसार, प्रतिवर्ष अनुमानित 25 करोड़ बच्चों और किशोरों में इन बीमारियों की जाँच की जाएगी और आवश्यकता के अनुसार उन्हें उपचार उपलब्ध करवाया जाएगा।
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यकम (Rashtriya Bal Swasthya Karyakram- RBSK) के तहत आँगनवाड़ियों में पंजीकृत 0-6 साल के बच्चों और सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकित 6-18 वर्ष के बच्चों में टीबी और कुष्ठ रोग का जल्द पता लगाने के लिये जाँच शुरू की जाएगी।
- वर्ष 2005 में भारत को कुष्ठ रोग मुक्त देश घोषित कर दिया गया था। वर्तमान में छत्तीसगढ़ और दादरा और नगर हवेली को छोड़कर सभी राज्य कुष्ठ रोग मुक्त हो चुके है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार प्रति 10,000 लोगों पर एक से कम मामलों की दर को कुष्ठ उन्मूलन के रूप में परिभाषित किया गया है।
- हालाँकि अभी भी प्रतिवर्ष 1.15-1.2 लाख नए कुष्ठ रोग के मामले सामने आते हैं।
- विश्व में भारत पर सबसे अधिक टीबी बोझ (TB Burden) है। देश में प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक ‘मिसिंग मामले’ सामने आते हैं जिन्हें अधिसूचित नहीं किया जाता है। इस तरह के अधिकाँश मामलो में या तो टीबी की पहचान नहीं हो पाती अथवा अपर्याप्त रूप से पहचान हो पाती है। इस प्रकार के मामलों का उपचार निजी क्षेत्र में किया जाता है।
कार्यक्रम का उद्देश्य
- देश में अभी भी कुष्ठ रोग को सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है इसलिये सरकार रोगी के परिवार को सावधानीपूर्वक निवारक दवाएँ उपलब्ध करवाएगी।
- कुष्ठ रोगियों की समय पर पहचान कर उचित उपचार के माध्यम से रोग को ठीक करना और विकलांगता को रोकना।