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कोयला आपूर्ति पर सरकार के आदेश का ग़ैर ऊर्जा क्षेत्रों पर प्रभाव

  • 29 May 2018
  • 5 min read

संदर्भ

हाल ही में सरकार द्वारा कोयला आपूर्ति के संबंध में एक फैसला लिया गया था।बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति को प्राथमिकता देने वाला सरकार का यह फ़ैसला कोयले पर निर्भर सीमेंट और एल्युमिनियम जैसे अन्य उद्योगों को काफी नुकसान पहुँचा सकता है।

क्या है निर्देश?

  • कोयला, रेलवे, ऊर्जा और वित्त मंत्रालय द्वारा बिजली संयंत्रों में कोयले की कमी के कारण महानदी कोल फ़ील्ड्स लिमिटेड (MCL) जैसी कंपनियों को निर्देश दिया गया कि वे कोयले के रैक केवल बिजली संयंत्रों के लिये ही उपलब्ध कराएँ, कोयले के अन्य उपभोक्ताओं को नहीं।
  • रेलवे बोर्ड द्वारा जारी एक निर्देश में कहा गया कि सभी माल शेड से बिजली घरों (यानी केंद्रीय/राज्य बिजली उपयोगिता और IPP के प्लांट) के लिये कोयला लदान को 30 जून, 2018 तक उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिये। 

कोयला स्टॉक की स्थितिकेन्द्रीय विद्युत् प्राधिकरण आँकड़ों के अनुसार, 17 बिजली संयंत्रों में 22 मई तक कोयला स्टॉक अत्यंत कम (तीन दिन से कम समय के लिये) था जबकि तीन बिजली संयंत्रों में सूक्ष्म (पांच दिन से कम समय के लिये ) स्टॉक था।

ईंधन आपूर्ति समझौता 

  • इंडियन कैप्टिव पॉवर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अनुसार CPP (कैप्टिव पावर प्लांट) उपभोक्ताओं ने CIL (कोल इंडिया लिमिटेड) के साथ ईंधन आपूर्ति समझौते (FSA) पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • यह समझौता लंबी अवधि के कोयले की आपूर्ति आश्वासन के साथ कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता है। 

आपूर्ति बाधित होने से क्या असर पड़ेगा?

  • आपूर्ति रोकने से कष्टदायी रुकावट उत्पन्न होगी जो संचरण और वितरण, पैकेजिंग, सीमेंट, उपभोक्ता उत्पाद, कागज़, टायर विनिर्माण जैसे डाउनस्ट्रीम उद्योगों पर गंभीर प्रभाव डालेगा।
  • उपर्युक्त उद्योगों के प्रभावित होने के परिणामस्वरूप लाखों लोगों के लिये नौकरियों का नुकसान होगा।

क्या है विश्लेषकों का दृष्टिकोण?

  • विश्लेषकों का मानना है कि हालाँकि, स्वतंत्र बिजली उत्पादकों के पास कोयले की कमी है और इसके कारण अंतिम उपभोक्ता प्रभावित होगा लेकिन इसका मतलब ये नहीं होना चाहिये कि अन्य क्षेत्रों को कोयले की आपूर्ति शून्य कर दी जाए तथा बिना किसी पूर्व सूचना के ऐसा करना भी नहीं चाहिये।
  • सामान्य रूप से अन्य क्षेत्रों के कोयला उपभोक्ताओं को सरकार द्वारा एक माह पहले ही इसके बारे में जानकारी दी जानी चाहिये थी ताकि वे वैकल्पिक उपायों की तलाश कर सकें लेकिन इस मामले में उन्हें केवल कुछ घंटों का ही समय दिया गया। 

कोयला स्टॉक में कमी के कारण

  • अन्य उद्योग विश्लेषकों ने बिजली के संयंत्रों में कोयले की कमी के लिये सूक्ष्म स्टॉक को बनाए रखने के लिये सरकार के ढुलमुल रवैये और बिजली उत्पादन के लिये सभी कोयले के आयात को रोकने के लिये इसके असामयिक निर्णय तथा घरेलू आपूर्ति पर बढ़ते दबाव को ज़िम्मेदार ठहराया है।
  • विश्लेषकों के अनुसार, जब कोयले की पर्याप्त आपूर्ति हुई थी, उस समय भी कई बिजली संयंत्रों ने कोयले के पर्याप्त भंडार नहीं रखे क्योंकि उन्हें लगा कि पर्याप्त आपूर्ति थी।
  • सरकार द्वारा उन बिजली संयंत्रों के खिलाफ़ इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। 
  • सरकार ने पिछले साल बिजली के लिये किये जाने वाले कोयले के आयात को शून्य करने का फैसला किया, जिसके परिणामस्वरूप अब यह कमी आई है।

निष्कर्ष

सब जानते हैं कि मई, जून की अवधि में कोल इंडिया की आपूर्ति कम हो जाती है और इसके बाद मानसून के कारण स्वाभाविक तौर पर यह आपूर्ति कम हो जाती है। इसलिये सरकार के साथ-साथ कोयला आपूर्ति संगठनों, उर्जा क्षेत्रों तथा गैर-उर्जा क्षेत्रों सभी को इसका सामना करने के लिये पहले से ही तैयार रहना चाहिये।

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