भारतीय अर्थव्यवस्था
6.5 लाख टन क्षमता के अतिरिक्त आपातकालीन पेट्रोलियम भंडार स्थापित करने को मंज़ूरी
- 28 Jun 2018
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चर्चा में क्यों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कर्नाटक के पदुर और ओडिशा के चांदीखोल में 6.5 लाख टन (MMT) क्षमता के अतिरिक्त आपातकालीन पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserve-SPR) स्थापित करने को मंज़ूरी दी है। इसके साथ-साथ इन दोनों एसपीआर के लिये समर्पित सिंगल पॉइंट मूरिंग (Single Point Mooring) के निर्माण को भी स्वीकृति दी गई है।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- इस परियोजना के बजटीय आवंटन के संदर्भ में अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। यही कारण है कि इस परियोजना को पीपीपी मॉडल के तहत सैद्धांतिक मंज़ूरी दी गई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अभी सिर्फ सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है और इस पर विस्तृत ब्योरा बाद में तैयार किया जाएगा।
- इन गोदामों के संबंध में नियमों और शर्तों का निर्धारण वित्त मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के बाद पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा किया जाएगा।
- चांदीखोल और पदुर के लिये SPR प्रतिष्ठान भूमिगत (अंडरग्राउंड रॉक कैवर्न) होंगे।
- इनकी क्षमता क्रमश: 40 लाख टन और 25 लाख टन होगी।
- सरकार ने वर्ष 2017-18 की बजट घोषणा में दो अतिरिक्त एसपीआर स्थापित करने की घोषणा की थी।
- चांदीखोल और पदुर में एसपीआर के निर्माण चरण के दौरान ओडिशा और कर्नाटक राज्यों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार के पर्याप्त अवसर सृजित होने की उम्मीद है।
मौजूदा क्षमता कितनी है?
- ISPRL (Indian Strategic Petroleum Reserve Limited- ISPRL) द्वारा पहले ही तीन जगहों-विशाखापत्तनम (13.3 लाख टन), मंगलूर (15 लाख टन) और पदुर (25 लाख टन) में तेल भंडारण के लिये गोदाम स्थापित किये गए हैं।
- मौजूदा चट्टानी भंडार केंद्रों की क्षमता 53.3 लाख टन है।
- ISPRL, एक सरकारी स्वामित्व का विशेष उद्देश्य वाला उद्यम है।
- वित्त वर्ष 2016-17 के लिये खपत आँकड़ों के अनुसार, SPR कार्यक्रम के पहले चरण के तहत इसकी कुल 5.33 लाख टन क्षमता से करीब 10 दिनों के लिये भारत की कुल कच्चे तेल की ज़रूरतों के लिये आपूर्ति की जा सकती है।
- इन गोदामों से आपातकाल में 12 से 22 दिनों के लिये तेल की आपूर्ति हो सकेगी। साथ ही इससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा को भी बल मिलने की उम्मीद है।
- उल्लेखनीय है कि भारत अपनी ज़रूरत का तीन-चौथाई से अधिक कच्चा तेल आयात करता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार निरंतर इस कोशिश में है कि देश में आपातकालीन स्थिति में तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये पेट्रोलियम का भण्डारण किया जाना चाहिये। अतः इस दिशा में सरकार का यह कदम प्रभावी साबित होगा।
तेल खोज नियमों में छूट
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेल खोज व्यवस्था को पहले की अपेक्षा और अधिक सरल बनाने के लिये तेल खोज नियमों में छूट देने का निर्णय लिया है।
- तेल उत्पादक कंपनियों को यह अनुमति दी गई है कि यदि इन कंपनियों के निर्धारित अनुबंधित क्षेत्र के समीप के किसी क्षेत्र में कहीं तेल भंडार मिलता है तो वे उस क्षेत्र को अपने कार्यक्षेत्र में शामिल कर सकते हैं। हालाँकि इस छूट के संदर्भ में कुछ आवश्यक शर्तें भी निर्धारित की गई हैं।
- इस निर्णय से किसी संचालक को भूकंप से संबंधित अध्ययन करने, डेटा को समझने और ज़्यादा सक्षमता से तेल की खोज करने में भी मदद मिलेगी।
मुद्दा क्या है?
- कुछ समय पहले कृष्णा-गोदावरी बेसिन में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (आरआईएल) और ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के बीच तेल भंडार का व्यापक अधिकार क्षेत्र काफी विवादास्पद रहा है।