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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सभी दवाओं की बारकोडिंग अनिवार्य

  • 10 Jun 2019
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने भारत में नकली दवाओं के उभरते बाज़ार पर अंकुश लगाने के लिये स्थानीय स्तर पर बेची जाने वाली सभी दवाओं पर बारकोडिंग को अनिवार्य करने की योजना बनाई है। हालाँकि चिकित्सा उपकरणों और दवाओं के निर्यात के क्षेत्र में उनकी प्रामाणिकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये यह व्यवस्था पहले से ही भारत में लागू है।

आवश्यकता क्यों है?

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative- USTR) के कार्यालय द्वारा अप्रैल में जारी एक वार्षिक रिपोर्ट ‘Special 301 Report’ जिसमें ‘बौद्धिक संपदा संरक्षण’ और 'कुख्यात बाजारों' (Notorious Markets) की समीक्षा की गई है में यह बात सामने आई है कि भारत में नकली दवाओं के बढ़ते बाज़ार की समस्या अत्यंत गंभीर है।
  • USTR की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय बाजार में बेची जाने वाली सभी दवाइयों की लगभग 20% दवाइयाँ नकली हैं।

औषधीय/फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भारत की स्थिति

  • भारत अपनी उच्च घरेलू मांग और सस्ती विनिर्माण लागत के कारण कम लागत वाली जेनेरिक दवाओं के उत्पादन में विश्व के प्रमुख उत्पादकों में से एक है।
  • भारत औषधीय बाज़ार के क्षेत्र में दुनिया में तीसरे स्थान पर है जबकि मूल्य निर्धारण के मामले में 13वें स्थान पर है।
  • हालाँकि नकली दवाओं से संबंधित यह समस्या एक वैश्विक मुद्दा है, जो अल्पविकसित और विकासशील देशों (निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों) में अधिक प्रचलित है।
  • एक अनुमान के अनुसार निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में 10-30% दवाएँ नकली होती हैं, जबकि उच्च आय वाले देशों में महज़ 1% नकली दवाओं का मामला पाया जाता है।

भारत में नकली दवाओं के बाज़ार का कारण

  • चिकित्सा देखभाल तक सीमित पहुँच, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • आपूर्ति श्रृंखला में बाधा।
  • उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी।
  • दवाओं के खुद से (बिना डॉक्टर की सलाह के) लेने का प्रचलित तरीका।
  • असली दवाओं की उच्च लागत।
  • भ्रष्टाचार मामले में उचित कार्यवाही नहीं अर्थात् कानून का सही से लागू न किया जाना।
  • ऑनलाइन फार्मेसिज़ का प्रचलन।
  • जालसाज़ी में आधुनिक तकनीकों का उपयोग।

भारत में नकली और रद्दी दवाओं का वर्गीकरण

  • ड्रग एंड कॉस्मेटिक अधिनियम, 1940 [Drug and Cosmetic (D and C) Act, 1940] के अनुसार, खराब गुणवत्ता वाली दवाओं में क्रमशः नकली और मिलावटी दवाएँ शामिल हैं।
  • स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय) के तहत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization- CDSCO) ने 'मानक गुणवत्ता का नहीं' (Not of Standard quality- NSQ) उत्पादों को तीन श्रेणियों A, B और C में वर्गीकृत किया है जो गुणवत्ता मूल्यांकन के दौरान उत्पादों को वर्गीकृत करने में सहायक है।

श्रेणी A

श्रेणी B श्रेणी C
  • इस श्रेणी में ऐसी नकली और मिलावटी दवाएँ शामिल हैं जो उत्पाद की वास्तविक पहचान को छिपाते हैं और कुछ प्रसिद्ध ब्रांड के समान प्रतीत होते हैं।
  • इन उत्पादों में सक्रिय तत्त्व (जो इलाज कर सकें) शामिल नहीं होते हैं और आम तौर पर बिना लाइसेंस वाले असामाजिक लोगों द्वारा या कभी-कभी लाइसेंस प्राप्त निर्माताओं द्वारा निर्मित किये जाते हैं।
  • इस श्रेणी में पूरी तरह से रद्दी दवाएँ शामिल होती हैं, जिसमें उत्पाद विघटन या विलयन परीक्षण में विफल रहता है।
  • इस श्रेणी की दवाओं में छोटी-मोटी खामियाँ होती हैं, जैसे- क्रैकिंग, सूत्रीकरण रंग में परिवर्तन, लेबलिंग त्रुटियाँ, उत्पाद पर धब्बा, असमान कोटिंग इत्यादि।

बारकोडिंग के लाभ

  • दवाओं की बिक्री के लिये बारकोडिंग लागू करने से दवाओं की प्रामाणिकता, उनकी उपलब्धता, समाप्ति की तारीख इत्यादि के बारे में आसानी से जाँच की जा सकेगी। इसके साथ ही दवाओं को ट्रैक करने और जरूरत पड़ने पर उनको वापस मंगाने संबंधी सभी कार्यों को आसानी से किया जा सकेगा।

आगे की राह

  • लोगों में जागरूकता बढ़ाना:
    • भारत के लगभग 650 मिलियन लोग मोबाइल फोन उपयोगकर्त्ता हैं जिनमें से लगभग 78% लोगों की इंटरनेट तक पहुँच है। नकली और मिलावटी दवाओं के बारे में ऑनलाइन जानकारी का प्रसार करके इस मुद्दे का शीघ्र और प्रभावी समाधान किया जा सकता है।
  • जालसाज़ी को रोकने हेतु नवाचारी उपायों को लागू करना
    • नई पीढ़ी की जालसाज़ी रोकने वाली तकनीकों, जैसे- फोरेंसिक पहचान (रासायनिक, जैविक और डीएनए संबंधी), क्लाउड-आधारित डेटा श्रृंखला संग्रह का उपयोग और आपूर्ति श्रृंखला में ब्लॉकचेन का उपयोग नकली दवाओं को रोकने के लिये किया जा सकता है।

CDSCO

  • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization- CDSCO) स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अंतर्गत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (NRA) है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • देश भर में इसके 6 ज़ोनल कार्यालय, 4 सब-ज़ोनल कार्यालय, 13 पोर्ट ऑफिस और 7 प्रयोगशालाएँ हैं।
  • विज़न: भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना और उसे बढ़ावा देना।
  • मिशन: दवाओं, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता बढ़ाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा तय करना।
  • ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 एंड रूल्स 1945 (The Drugs & Cosmetics Act,1940 and rules 1945) के तहत CDSCO दवाओं के अनुमोदन, क्लिनिकल परीक्षणों के संचालन, दवाओं के मानक तैयार करने, देश में आयातित दवाओं की गुणवत्ता पर नियंत्रण और राज्य दवा नियंत्रण संगठनों को विशेषज्ञ सलाह प्रदान करके ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के प्रवर्तन में एकरूपता लाने के लिये उत्तरदायी है।

स्रोत- टाइम्स ऑफ़ इंडिया

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