भूगोल
परमाणु खनिजों के खनन का मामला SC को स्थानांतरित
- 09 May 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी।
कुछ समय पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार को निजी समूहों को परमाणु और दुर्लभ खनिज (Atomic and Rare Mineral) वाले ब्लॉकों का अन्वेषण लाइसेंस (Exploration License) जारी करने का निर्देश दिया था।
- उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा लिये गए नीतिगत निर्णय के अंतर्गत निजी समूहों को ऐसे खनिजों के अन्वेषण की अनुमति नहीं है।
क्या है मामला?
- जून 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार के समय निजी दलों/समूहों को 62 अपतटीय ब्लॉकों (Offshore Blocks) में परमाणु और दुर्लभ खनिजों की खोज करने की अनुमति दी गई थी लेकिन इस संबंध में बड़े पैमाने पर बरती गई अनियमितताओं को देखते हुए सरकार ने सीबीआई जाँच के आदेश दिये।
- केंद्र ने 2016 में रक्षा आवश्यकताओं (Defence Requirements) के मामले में प्रकृति और सामरिक महत्त्व (Strategic Importance) को ध्यान में रखते हुए केवल सरकारी एजेंसियों के माध्यम से खनन की अनुमति दी।
- केंद्र ने परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy) के साथ परामर्श करके एक नीतिगत निर्णय लेते हुए परमाणु या दुर्लभ खनिज ब्लॉकों को निजी पार्टियों को नीलाम नहीं करने का फैसला लिया।
- इस नीतिगत निर्णय के बाद भारतीय खान ब्यूरो (Indian mines bureau) ने 7 जून, 2010 को दुर्लभ खनिजों को प्रभावित करने वाले अपतटीय ब्लॉकों की खोज के लिये दिये गए अपने प्रस्ताव के तहत 16 निजी आवेदकों को संक्षिप्त सूची में रखते हुए, अपने फैसले को रद्द कर दिया।
- इस संक्षिप्त सूची में शामिल कुछ फर्मों ने केंद्र के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
- ने 25 अप्रैल को दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की पीठ द्वारा निजी आवेदकों के आवंटन को बरकरार रखते हुए केंद्र को दो सप्ताह के भीतर निजी कंपनियों को अन्वेषण लाइसेंस जारी करने का निर्देश दिया गया।
अपतटीय ब्लॉक (Offshore Blocks)
- ऐसे समुद्री किनारे जहाँ तेल, गैस एवं अन्य प्राकृतिक संसाधन पाए जाते हैं अपतटीय ब्लॉक कहलाते हैं।
- अपतटीय ब्लॉकों से इन संसाधनों का निष्कर्षण खनन आदि के माध्यम से किया जाता है।
- परमाणु और दुर्लभ खनिज (Atomic and Rare Mineral)
- ऐसी विरल मृदा या दुर्लभ धातुएँ जो पृथ्वी पर अत्यल्प मात्रा में पाई जाती हैं परमाणु और दुर्लभ खनिज कहलाती हैं जैसे- यूरेनियम, थोरियम आदि।
- इनका निष्कर्षण कार्य अत्यंत कठिन होता है।
केंद्र सरकार का पक्ष
- सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि जिन पाँच कंपनियों ने 7 जून, 2010 को अधिसूचना के तहत अन्वेषण लाइसेंस प्राप्त करने हेतु आवेदन किया था उनका निदेशक एक ही व्यक्ति था। साथ ही इन पाँच कंपनियों द्वारा किया गया पंजीकरण अधिसूचना की तारीख के बाद का था।
- स्क्रीनिंग कमेटी (Screening Committee) द्वारा चयन प्रक्रिया को 5 अप्रैल, 2011 तक पूरा कर लिया गया था, जबकि अन्वेषण लाइसेंस हेतु आवेदन 7 जून, 2010 को प्राप्त हुआ था। अतः अन्वेषण लाइसेंस देने में पारदर्शिता और कर्मठता का अभाव पाया गया।
परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy)
- इसकी स्थापना राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से प्रधानमंत्री के सीधे प्रभार के तहत 3 अगस्त, 1954 को हुई।
- इसका प्रमुख लक्ष्य परमाणु प्रौद्योगिकी के माध्यम से संपदा का सृजन और अपने नागरिकों को बेहतर गुणवत्तायुक्त जीवन स्तर उपलब्ध कराते हुए भारत को और अधिक शक्ति संपन्न बनाना है।
- इसका प्रमुख उद्देश्य भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाकर, नाभिकीय और विकिरण प्रौद्योगिकियों एवं उनके अनुप्रयोगों के विकास एवं विस्तार के माध्यम से देशवासियों को पर्याप्त, सुरक्षित एवं पौष्टिक भोजन तथा बेहतर स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में योगदान देना है।
भारतीय खान ब्यूरो (Indian Bureau of Mines)
- इसकी स्थापना 1 मार्च, 1948 को हुई।
- प्रारंभ में यह एक सलाहकारी निकाय था। 1950 में इसके कार्यों में परिवर्तन कर इसे खान और खनिज संभावित क्षेत्रों के निरीक्षण का कार्य दे दिया गया।
- इसका प्रमुख कार्य डेटाबेस इकट्ठा करना और उसे व्यवस्थित करना, एक राष्ट्रीय खनिज सूचना भंडार के रूप में देश में अन्वेषण, पूर्वेक्षण, खानों और खनिजों संबंधी सभी जानकारियों को प्रकाशित और प्रसारित करने के लिये कदम उठाना है।
- वर्तमान में इसके 4 ज़ोन ऑफिस और 13 रीज़नल ऑफिस हैं।