अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सरकार चुकाएगी ई-पेमेंट पर ट्रांजेक्शन लागत
- 16 Dec 2017
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निर्णय लिया है कि 1 जनवरी 2018 से दो सालों तक 2 हज़ार तक के डिजिटल पेमेंट पर लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) का वहन वह स्वयं करेगी।
क्या है मर्चेंट डिस्काउंट रेट?
- मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह शुल्क होता है, जो बैंक किसी भी दुकानदार या कारोबारी से कार्ड पेमेंट सेवा के लिये लेता है। कार्ड ट्रांजेक्शन के लिये प्वाइंट ऑफ सेल मशीन (POS-मशीन) बैंक की ओर से लगाई जाती है।
- बैंक द्वारा एमडीआर के तौर पर कमाई गई राशि में से कार्ड जारी करने वाले बैंक और कुछ हिस्सा पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स जैसे वीजा, मास्टरकार्ड को दिया जाता है। इस शुल्क के कारण ही दुकानदार कार्ड से पेमेंट के प्रति अरुचि प्रकट करते हैं। कई कारोबारी एमडीआर शुल्क का भार ग्राहकों पर डालते हैं।
- MDR की दर RBI द्वारा तय की जाती है। पिछले दिनों ही RBI ने MDR की नई दरें लागू की थी। इसके अनुसार 20 लाख रुपए तक के सालाना कारोबार वाले छोटे कारोबारी के लिये MDR 0.40 प्रतिशत तय किया गया है, जो प्रति सौदा अधिकतम 200 रुपया तय किया गया है।
- सालाना 20 लाख से ज्यादा का व्यापार करने वाले कारोबारियों पर 0.90 प्रतिशत MDR लगता है।
- 2012 से भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2,000 रुपए के डेबिट कार्ड भुगतान पर 0.75 फीसद एमडीआर तय कर रखा है, जबकि 2,000 से ऊपर एक फीसद एमडीआर लिया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- डेबिट कार्ड, भीम एप तथा यूपीआई के जरिये 2000 रूपए तक लेन-देन करने पर एमडीआर शुल्क का वहन सरकार स्वयं करेगी।
- वर्ष 2017 में अप्रैल से सितंबर तक में केवल डेबिट कार्ड से 2 लाख 18 हज़ार, 700 करोड़ का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ है। इस दर से ये आँकड़ा 4 लाख 37 हज़ार करोड़ हो जाने की संभावना है।
- एक अनुमान के अनुसार 2000 रूपए तक के लेन-देन के संबंध में वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल 1050 करोड़ रुपए तथा वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1,462 करोड़ रुपए की एमडीआर राशि की प्रतिपूर्ति सरकार देश के विभिन्न बैंकों को करेगी।
- इस छूट का मुख्य उद्देश्य कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देना है।