शासन व्यवस्था
कृषि एवं मनरेगा संबंधी नीतिगत दृष्टिकोणों में समन्वय हेतु उप-समूह का गठन
- 20 Jun 2018
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चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (Agriculture Sector and the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme - MGNREGS) पर समन्वित नीतिगत दृष्टिकोण हेतु सात मुख्यमंत्रियों के उप-समूह का गठन किया गया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसके संयोजक हैं।
- आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों तथा नीति आयोग के सदस्य श्री रमेश चंद को इस उप-समूह का सदस्य बनाया गया है। इस उप-समूह को नीति आयोग द्वारा आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी।
- वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने से संबंधित प्रधानमंत्री के विज़न को ध्यान में रखते हुए ही इस उप-समूह का गठन किया गया है।
- इसके अंतर्गत मनरेगा स्कीम का उपयोग करते हुए बुवाई-पूर्व एवं फसल कटाई-उपरांत उपायों पर विशेष बल देते हुए ऐसी टिकाऊ परिसंपत्तियों का सृजन करने का सुझाव दिया गया जिसकी सहायता से किसानों की आमदनी को दोगुनी करने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में व्याप्त मुश्किलों को कम किया जा सके।
इस उप-समूह के विचारार्थ निम्नलिखित विषयों को शामिल किया जाएगा:
- बुवाई-पूर्व और फसल कटाई-उपरांत दोनों ही स्थिति के लिये राज्य को विशिष्ट उपायों के व्यापक विकल्प सुझाना, ताकि आमदनी, जल संरक्षण और कचरे से संपदा निर्माण पर दिये जा रहे विशेष ज़ोर को और बढ़ाया जा सके।
- मनरेगा के तहत विभिन्न कार्यों को वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लक्ष्य की प्राप्ति से जुड़ी आवश्यकताओं से पूरी तरह सुव्यवस्थित करना।
- मनरेगा से जुड़े विशिष्ट उपायों पर ऐसी सिफारिशें पेश करना, जिससे कि कृषि क्षेत्र में मुश्किलें कम हो सकें। इनमें कार्य की उपलब्धता, मज़दूरी की दरें, सीजन विशेष संबंधी कार्य, इत्यादि से संबंधित समस्याएँ शामिल हैं।
- विशेषकर अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के परिवारों से जुड़े छोटे एवं सीमांत किसानों की आजीविका में विविधता के साथ-साथ विकास के लिये एक आजीविका स्रोत के रूप में मनरेगा के तहत संभावनाएँ तलाशना।
- आजीविका के लिये संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने हेतु मनरेगा और महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), उत्पादक समूहों एवं उत्पाद कंपनियों से जुड़े आजीविका संबंधी उपायों पर विशेष ज़ोर के बीच उचित समन्वय स्थापित करने के तरीके सुझाना।
- कोष का इष्टतम उपयोग, दक्षता, प्रभावकारिता एवं निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न विभागों के बीच संसाधनों के सफल सामंजस्य की संभावनाएँ तलाशने के लिये कार्यक्रम आयोजित करना।
उपर्युक्त उप-समूह अपने गठन की तिथि से तीन माह के भीतर रिपोर्ट पेश कर देगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की सुविधा के अनुसार ही इस उप-समूह की पहली बैठक अगले माह होने की आशा है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एक ऐसा मांग आधारित रोज़गार कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य अकुशल व शारीरिक श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों वाले प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों के मज़दूरी (रोज़गार) की गारंटी देकर आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है।
- इस योजना के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
♦ ग्रामीण क्षेत्रों में मांग के अनुसार प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों की अकुशल मज़दूरी उपलब्ध कराना, जिससे निर्धारित गुणवत्ता और स्थायित्व वाली उपयोगी परिसंपत्तियों का निर्माण हो।
♦ गरीबों की आजीविका को बढ़ावा देना।
♦ सक्रियतापूर्वक सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करना।
♦ पंचायती राज संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण।
प्रमुख कार्य
- जल संरक्षण या जल संग्रहण की योजना से संबंधित सूखा बचाव कार्य जैसे- पेड़ लगाना या वनों का विकास करना।
- अनुसूचित जातियों/जनजातियों या भूमि सुधार से लाभ पाने वालों के लिये सिंचाई की व्यवस्था करवाने से संबंधित।
- झीलों व तालाबों की सफाई, मरम्मत और पुननिर्माण का कार्य। भूमि सुधार व गाँवों को सड़क से जोड़ने का कार्य।
- बाढ़ नियंत्रण-सुरक्षा, जल-जमाव क्षेत्रों में जल निकासी से संबंधित।
इसका उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है। साथ ही उन परिवारों के वयस्क सदस्यों को वित्त वर्ष में सौ दिन की (पारिश्रमिक), रोज़गार गारंटी प्रदान करना है, जो अकुशल मानव कार्य करने के इच्छुक हैं।
आगे की राह
- आने वाले वर्षों में मनरेगा की प्रक्रिया को सरल और मजबूत करने पर ध्यान दिया ़जाएगा। इस संबंध में एक मास्टर सर्कुलर भी जारी किया गया है जिसमें इस कानून को लागू करने के संबंध में केंद्र सरकार के सभी प्रमुख निर्देशों का उल्लेख किया गया है। राज्यों को इसमें लचीलापन लाने के लिये प्रोत्साहित किया गया है।
- इस संबंध में समवर्ती ऑडिट और निगरानी करने संबंधी प्रावधान भी किये गए हैं। इसके अतिरिक्त मंत्रालय द्वारा श्रमिकों को कुशल बनाने की दिशा में भी काम किया जाएगा। उन्हें स्वरोज़गार और जीविका के लिये पारिश्रमिक अर्जित करने के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा।