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सामाजिक न्याय

महिला सुरक्षा के लिये सरकार के प्रयास

  • 11 Dec 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये

महिलाओं की सुरक्षा के लिये विभिन्न नीतियाँ

मेन्स के लिये

महिला सुरक्षा तथा सशक्तीकरण के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देश में महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा तथा हत्या के बढ़ते मामलों के संदर्भ में गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की तरफ से बयान जारी किया गया। इसमें महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद सरकार ने यौन अपराधों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 पारित किया। इस अधिनियम के तहत पहली बार यौन अपराधों की विस्तृत व्याख्या की गई तथा इसके तहत सज़ा के प्रावधानों को कठोर किया गया।
  • वर्ष 2018 में सरकार ने आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 पारित किया। इसके तहत 12 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ बलात्कार करने पर आरोपी के लिये फाँसी का प्रावधान किया गया। इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि ऐसे मामलों से संबंधित जाँच तथा मुकदमे की अधिकतम अवधि 4 महीने हो।
  • इसके अलावा सरकार ने अखिल भारतीय स्तर पर आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (Emergency Response Support System-ERSS) की शुरुआत की है। इसके तहत सभी प्रकार की आपातकालीन स्थितियों में सुरक्षा हेतु एकल, अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हेल्पलाइन नंबर “112” की शुरुआत की गई है।
    • ERSS के तहत कंप्यूटरीकृत तरीके से आपात स्थिति के बारे में वहाँ विद्यमान संसाधनों जैसे- पुलिस, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, वीमेन हेल्पलाइन आदि तक सूचना प्रेषित की जाएगी तथा उन्हें खतरे के स्थान पर भेजा जाएगा।
  • स्मार्ट पुलिसिंग तथा सुरक्षा प्रबंधन में तकनीकी की मदद से सुरक्षित नगर परियोजना (Safe City Project) को लागू करने की घोषणा की गई है। इसके पहले चरण के लिये देश के आठ शहरों (अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ तथा मुंबई) को शामिल किया गया है।
  • वर्ष 2018 में गृह मंत्रालय ने साइबर अपराध पोर्टल (Cyber-Crime Portal) लॉन्च किया। इसके माध्यम से कोई भी नागरिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डाले गए अश्लील कंटेंट के खिलाफ शिकायत कर सकता है।
  • वर्ष 2018 में ही गृह मंत्रालय ने यौन अपराधियों की जाँच एवं उन पर नजर रखने के लिये यौन अपराधियों पर राष्ट्रीय डेटाबेस (National Database on Sexual Offenders-NDSO) लॉन्च किया। इसका प्रयोग प्रवर्तन एजेंसियों (Enforcement Agencies) द्वारा किया जाएगा।
  • गृह मंत्रालय ने फरवरी 2019 में यौन अपराधों जाँच ट्रैकिंग प्रणाली (Investigation Tracking System for Sexual Offences-ITSSO) नामक ऑनलाइन टूल लॉन्च किया।
    • इसका उद्देश्य आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों में यौन हिंसा से संबंधित मामलों की मॉनीटरिंग तथा समयानुसार जाँच पूरी करने में पुलिस की मदद करना है।
  • हिंसा की शिकार हुई महिलाओं को एक ही छत के नीचे चिकित्सीय तथा पुलिस सहायता, कानूनी एवं मनोवैज्ञानिक-सामाजिक परामर्श देने के अलावा अस्थायी आश्रय प्रदान करने के लिये वर्ष 2015 से वन स्टॉप सेंटर योजना (One Stop Centre scheme-OSC Scheme) चलाई जा रही है।
    • सरकार ने 728 OSC की स्थापना का अनुमोदन किया है, जबकि वर्तमान में 595 OSCs कार्यरत हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.

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