नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत सरकार, महाराष्‍ट्र सरकार और विश्‍व बैंक के मध्य शुरू हुई नई परियोजना

  • 09 Apr 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?
भारत सरकार, महाराष्‍ट्र सरकार और विश्‍व बैंक ने महाराष्‍ट्र के मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्रों में रहने वाले छोटे और सीमांत किसानों की सहायता करने के उद्देश्‍य से 420 मिलियन अमेरिकी डॉलर की एक परियोजना पर हस्‍ताक्षर किये हैं।

लक्ष्य

  • इस क्षेत्र में जलवायु की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील माने जाने वाले 15 ज़िलों के दायरे में आने वाले 5,142 गाँवों को कवर किये जाने की आशा है।
  • अंतर्राष्‍ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development - IBRD) से प्राप्‍त 420 मिलियन डॉलर के ऋण में छह वर्ष की राहत अवधि और 24 साल की परिपक्‍वता अवधि है।

अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक

  • BRD को अन्य सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलाकर विश्व बैंक के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में विश्व बैंक निम्नलिखित संस्थाओं का समूह है- अंतर्राष्ट्रीय विकास एवं पुनर्निर्माण बैंक (IBRD), अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA), अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC), बहुपक्षीय निवेश गारंटी संस्था (MIGA), निवेश विवादों को सुलझाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID)।
  • भारत ICSID को छोड़कर अन्य सभी संस्थाओं का सदस्य है।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् युद्ध प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण के लिये जुलाई, 1944 में ब्रेटनवुड सम्मेलन के तहत पुनर्निर्माण एवं विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (विश्व बैंक) की स्थापना दिसंबर, 1945 में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ-साथ हुई। 
  • इसने जून, 1946 में कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। विश्व बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक-दूसरे की पूरक संस्थाएँ हैं।

लाभ

  • इस परियोजना से कृषि क्षेत्र में जलवायु की दृष्टि से लचीले माने जाने वाले तौर-तरीकों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कृषि अथवा खेती-बाड़ी आगे भी इन किसानों के लिये वित्तीय दृष्टि से एक लाभप्रद आर्थिक गतिविधि बनी रहे।
  • इस परियोजना से 3.0 मिलियन हेक्‍टेयर क्षेत्र में निवास कर रहे 7 मिलियन से भी अधिक किसान लाभान्वित होंगे।
  • जलवायु-लचीली कृषि जिंसों से जुड़ी उभरती मूल्‍य श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्‍य से इस परियोजना के तहत किसान उत्‍पादक संगठनों की क्षमता बढ़ाई जाएगी, ताकि वे टिकाऊ, बाज़ार उन्‍मुख और कृषि उद्यमों के रूप में परिचालन कर सकें।
  • इससे उन विभिन्‍न स्‍थानीय संस्‍थानों के जलवायु-लचीली कृषि एजेंडे को मुख्‍य धारा में लाने में मदद मिलेगी जो कृषि समुदाय को खेती-बाड़ी से संबंधित सेवाएँ मुहैया कराते हैं।

प्रमुख विशेषताएँ

  • ‘जलवायु-लचीली कृषि के लिये महाराष्‍ट्र परियोजना’ को ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में क्रियान्वित किया जाएगा जो मुख्‍यत: वर्षा जल से सिंचित कृषि पर निर्भर रहते हैं।
  • इस परियोजना के तहत खेत एवं जल-संभर स्‍तर पर अनेक गतिविधियाँ शुरू की जाएंगी।
  • इसके तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों, सतही जल भंडारण के विस्तार तथा जलभृत पुनर्भरण की सुविधा जैसी जलवायु-लचीली प्रौद्योगिकियों का व्‍यापक उपयोग किया जाएगा जिससे दुर्लभ जल संसाधनों का और भी अधिक कारगर ढंग से उपयोग करने में उल्‍लेखनीय योगदान मिलने की आशा है।
  • इस परियोजना के तहत अल्‍प परिपक्‍वता अवधि वाली और सूखा एवं गर्मी प्रतिरोधी जलवायु-लचीली बीज किस्‍मों को अपना कर जलवायु के कारण फसलों के प्रभावित होने के जोखिमों को कम करने के साथ-साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

वर्तमान स्थिति

  • हाल के कुछ वर्षों में प्रतिकूल मौसम से महाराष्‍ट्र में कृषि बुरी तरह प्रभावित हुई है। महाराष्ट्र में मुख्‍यत: छोटे और सीमांत किसानों द्वारा खेती की जाती है।
  • महाराष्‍ट्र के किसानों की फसल उत्‍पादकता अपेक्षाकृत कम है और वे काफी हद तक वर्षा जल पर ही निर्भर रहते हैं। हाल के वर्षों में भंयकर सूखा पड़ने से इस राज्‍य में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अथवा पैदावार बुरी तरह प्रभावित हुई है।

भारत सरकार किसानों के कल्‍याण को सर्वोच्‍च प्राथमिकता देती है और वह कृषि क्षेत्र में जान फूँकने और किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिये अनेक योजनाएँ क्रियान्वित कर रही है। जलवायु परिवर्तन की समस्‍या से निपटने के लिये कृषि प्रणालियों को निश्चित तौर पर लचीला होना चाहिये तथा इसके साथ ही उनके तहत बदलाव को अपनाने के लिये सदैव तैयार रहना चाहिये। भारत को आने वाली पीढि़यों के दौरान भी अपने सतत् विकास को बनाए रखने तथा विश्‍व की सबसे बड़ी मध्‍यम-वर्गीय अर्थव्‍यवस्‍थाओं में स्‍वयं को भी शुमार करने के लिये एक ऐसे अपेक्षाकृत अधिक संसाधन-कुशल विकास पथ को अपनाना चाहिये जो समावेशी हो।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow