जैव विविधता और पर्यावरण
टाइप- 2 पोलियो वायरस दूषण की जाँच शुरू
- 05 Oct 2018
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चर्चा में क्यों
हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में टीकाकरण के लिये इस्तेमाल की जाने वाली शीशियों में पाए गए टाइप- 2 पोलियो वायरस दूषण की जाँच का आदेश दिया है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपने नियमित निगरानी के दौरान मल के कुछ नमूनों में यह वायरस पाया। हालाँकि WHO ने यह भी सुनिश्चित किया कि पाए गए मामले अब तक पोलियोमेलाइटिस (पोलियो) के रूप में विकसित नहीं हुए हैं। फिर भी, सरकार ने उपरोक्त तीनों राज्यों में सावधानी के तहत अतिरिक्त टीकाकरण का आदेश दे दिया है।
- पाए गए वायरस क्षीण (कमज़ोर) पोलियो वायरस हैं तथा ये पक्षाघात का कारण नहीं बनते हैं।
- ये वायरस 4-6 सप्ताह में नष्ट हो जाते हैं और मल के माध्यम से निकल जाते हैं।
पृष्ठभूमि
- वैश्विक स्तर पर टाइप- 2 पोलियो वायरस का अंतिम मामला 1999 में भारत के अलीगढ़ में दर्ज किया गया था।
- 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया गया था तथा अंतिम मामला जनवरी 2011 में दर्ज किया गया था।
- टाइप- 2 पोलियो वायरस के वैश्विक उन्मूलन के प्रमाणीकरण के बाद भारत ने ट्राईवैलेंट वैक्सीन (tOPV) से बाईवैलेंट वैक्सीन (bOPV) पर स्विच कर लिया था। पोलियो वैक्सीन से टाइप- 2 घटक को निकालने का उद्देश्य टीका-व्युत्पन्न पोलियो वायरस टाइप- 2 के प्रकोप को कम करना था।
- ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) में एक कमज़ोर लेकिन जीवित पोलियो वायरस होता है जो लकवा संबंधी पोलियो का कारण बन सकता है। इसके अलावा, यह वैक्सीन वायरस से प्रतिरक्षित बच्चों द्वारा उत्सर्जित किया जाता है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित हो सकता है। OPV विषाणु को अधिक विषाक्त रूप में परिवर्तित होने के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करता है, जिससे टीका-व्युत्पन्न पोलियो वायरस (VDPV) का खतरा बढ़ जाता है। आयातित पोलियो की तरह यह खतरनाक VDPV प्रतिरक्षा से वंचित आबादी में प्रकोप को बढ़ा सकता है।
- हाल ही में भारत ने 2018 के लिये पल्स पोलियो प्रोग्राम भी लॉन्च किया था ताकि 28 जनवरी को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिये ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) का बंदोबस्त किया जा सके।
पोलियो
- पोलियो या 'पोलियोमेलाइटिस' या जिसे अक्सर बहुतृषा भी कहा जाता है, एक विषाणु-जनित बेहद खतरनाक संक्रामक रोग है। यह आमतौर पर किसी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित मल या भोजन के माध्यम से फैलता है।
- शुरुआती लक्षण : अधिकांश मामलों में रोगी को इसके लक्षणों का पता नहीं चल पाता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं- फ्लू जैसा लक्षण, पेट का दर्द, अतिसार (डायरिया), उल्टी, गले में दर्द, हल्का बुखार, सिर दर्द।
- खतरनाक पोलियो वायरस के 3 उपभेदों (टाइप- 1, टाइप- 2 और टाइप- 3) में से पोलियो वायरस टाइप- 2 को 1999 में खत्म कर दिया गया था। नवंबर 2012 में नाइजीरिया में दर्ज आखिरी मामले के बाद पोलियो वायरस टाइप- 3 का कोई मामला नहीं मिला है।