जम्मू और कश्मीर में शासन सुधार | 22 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को अगले छह महीने के लिये बढ़ाने का निर्णय लिया।
प्रमुख बिंदु
- केंद्र सरकार ने ज़मीनी लोकतंत्र को बढ़ावा देते हुए राज्य में अपने अधिकार क्षेत्र में विस्तार किया है जो संघवाद की भावना का उल्लंघन करने के साथ-साथ विरोधाभासी भी प्रतीत होता है। इसमें निम्नलिखित मुद्दे शामिल हैं:
- कमज़ोर आर्थिक विकास
- बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करने में असफल
- सरकारी कर्मचारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार
- मानवाधिकारों का उल्लंघन
- बेरोज़गारी
- सीमा पार से घुसपैठ से सुरक्षा को खतरा
जम्मू-कश्मीर में शासन के मुद्दों का समाधान करने के लिये शुरू की गई पहल
- लद्दाख को संभागीय दर्जा
- ‘बैक टू विलेज़ेज़’ कार्यक्रम के तहत सरकारी अधिकारी गाँवों का दौरा करते हैं एवं लोगों की शिकायतों का त्वरित निवारण करते हैं।
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन
- जम्मू कश्मीर में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने पर राष्ट्रपति शासन लागू होता है, इसके दो पक्ष हैं-
- जम्मू-कश्मीर संविधान के तहत राज्यपाल का शासन
- भारतीय संविधान के तहत राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद-356)
- राष्ट्रपति के अनुमोदन से राज्य में पहले छह महीने के लिये राज्यपाल शासन लगाया जाता है।
- यदि 6 महीने के भीतर संवैधानिक संकट का समाधान नहीं हो पाता है, तो राष्ट्रपति शासन को प्रत्येक 6 महीने के बाद संसदीय स्वीकृति के साथ अधिकतम 3 वर्षों के लिये भारतीय संविधान के अनुच्छेद-356 के तहत बढ़ाया जा सकता है।
- अनुच्छेद-356 के अंतर्गत किसी भी राज्य के संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने पर तथा अनुच्छेद 365 के अंतर्गत केंद्र सरकार के आदेशों के अनुपालन में राज्य सरकार की विफलता के मामले में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। इस स्थिति में राज्य का समस्त नियंत्रण केंद्र सरकार के हाथों में आ जाता है। हालाँकि अन्य राज्यों में राज्यपाल शासन का कोई प्रावधान नहीं है।
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज़ा
- अन्य राज्यों में धारा 356 के तहत सीधे राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में शुरुआती 6 महीनों के लिये राज्यपाल शासन लागू होता है।
- राज्यपाल शासन के दौरान सभी विधायी शक्तियाँ राज्यपाल में निहित होती हैं। इसके बाद यदि ज़रूरी हुआ तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है।
- राज्य के संविधान के तहत 6 महीने से अधिक समय के लिये राज्यपाल शासन लागू नहीं किया जा सकता।
- राष्ट्रपति शासन के दौरान यदि संभव हुआ तो राज्य में चुनाव करवाए जाते हैं या फिर इसकी अवधि और 6 महीनों के लिये बढ़ा दी जाती है।
क्या है राष्ट्रपति शासन?
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत ऐसे राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है जहाँ संवैधानिक रूप से चुनी हुई सरकार चलने की सभी संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं।
- राज्य विधानसभा भंग कर दी जाती है और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त राज्यपाल राज्य में कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करता है।
- इस दौरान राज्य की सभी प्रशासनिक और विधायी शक्तियों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण हो जाता है एवं राज्य में ‘राष्ट्रपति शासन' लागू माना जाता है।
क्यों लागू होता है राष्ट्रपति शासन?
- जब किसी राज्य की विधानसभा मुख्यमंत्री का चुनाव करने में असमर्थ रहती है,
- जब राज्य में चल रही गठबंधन सरकार फूट पड़ने की वज़ह से गिर जाती है,
- जब किसी अपरिहार्य कारणवश राज्य में विधानसभा चुनाव समय पर न करवाए जा सकें,
- जब कोई राज्य संविधान में निर्धारित कायदे-कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन करता प्रतीत हो।