शासन व्यवस्था
गूगल, अमेज़ॅन और एंटीट्रस्ट स्क्रूटनी
- 03 Jun 2019
- 5 min read
चर्चा में क्यों?
गूगल और अमेज़ॅन (Google and Amazon) उपभोक्ता गोपनीयता, श्रम की स्थिति और सार्वजनिक चर्चा को प्रभावित करने तथा साख विरोधी कानून के उल्लंघन के आरोपों के तहत जाँच के दायरे में हैं।
प्रमुख बिंदु
- अमेरिकी सरकार की एंटी ट्रस्ट प्रवर्तन एजेंसियाँ, संघीय व्यापार आयोग (Trade Commission) और न्याय विभाग (Department of Justice) क्रमशः अमेज़ॅन और गूगल के खिलाफ एंटीट्रस्ट जाँच कर रहे हैं।
- गौरतलब है कि वर्ष 2018 में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने भी अनुचित व्यापार व्यवहारों और भारत में साख विरोधी आचरण का उल्लंघन करने के आरोप में गूगल पर 1 करोड़ 36 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था।
गूगल और अमेज़ॅन का मुद्दा
- अमेज़ॅन: के मार्केटप्लेस प्लेटफ़ॉर्म पर एकतरफा अनुबंध, विज्ञापन नीतियों और क्रूर प्रतिस्पर्द्धात्मक वातावरण का आरोप लगाया जाता है।
- अमेज़ॅन की निरंतर वृद्धि भी इसे क्रेता एकाधिकार जैसी शक्ति प्रदान कर सकती है।
- गूगल: पर कुछ विज्ञापनों और ऑनलाइन सर्च के प्रति पक्षपात करते हुए ऑनलाइन सर्च मार्केट के प्रभुत्व का दुरुपयोग करने का आरोप है।
- वर्ष 2017 में यूरोपीय नियामकों ने भी विज्ञापनों से संबंधित एक मामले में गूगल पर 1.7 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था।
साख विरोधी कानून
- साख विरोधी कानून (Antitrust Law) को प्रतिस्पर्द्धा कानूनों के रूप में भी जाना जाता है, जिसका उद्देश्य व्यापार और वाणिज्य को अनुचित प्रतिबंधों, एकाधिकार और मूल्य निर्धारण से सुरक्षित रखन है।
- साख विरोधी कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि खुले बाज़ार की अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा मौजूद है।
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 भारत का साख विरोधी कानून (Antitrust Law) है जिसने एकाधिकार और अवरोधक व्यापार व्यवहार अधिनियम, 1969 (Monopolistic and Restrictive Trade Practices Act of 1969) को निरस्त किया एवं प्रतिस्पर्द्धा संरक्षण की आधुनिक संरचना की व्यवस्था की।
प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002
- 3 प्रतिस्पर्द्धा विरोधी समझौतों का निषेध
- प्रभुत्व के दुरुपयोग की रोकथाम
- संयोजनों (विलय और अधिग्रहण) का विनियमन
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग
- अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा के सृजन और इस संदर्भ में ‘सबको समान अवसर प्रदान’ करने के लिये संसद द्वारा 13 जनवरी, 2003 को प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 को लागू किया गया था।
- 14 अक्तूबर, 2003 से केंद्र सरकार द्वारा भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) की स्थापना की गई थी। इसके बाद प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) अधिनियम, 2007 द्वारा इस अधिनियम में संशोधन किया गया।
- 20 मई, 2009 को प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी समझौते और प्रमुख स्थितियों के दुरुपयोग से संबंधित अधिनियम के प्रावधानों को अधिसूचित किया गया।
- यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर के अलावा संपूर्ण भारत में लागू होता है।
- एक अध्यक्ष और छह सदस्यों के साथ भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग पूरी तरह से कार्यात्मक है।
- आयोग के कार्य निम्नलिखित हैं :-
- व्यापार से संबंधित प्रतिस्पर्द्धा पर प्रतिकूल प्रभाव करने वाले कारकों को रोकना।
- बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना और बनाए रखना।
- उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना।
- व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।