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रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिये GoM का गठन

  • 16 Jan 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?


गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की अगुवाई में एक मंत्रिस्तरीय समूह का गठन किया गया है जो एक कंपोज़िशन स्कीम (composition scheme) तैयार करने के अलावा रियल स्टेट के क्षेत्र में GST दर को युक्तिसंगत बनाने की संभावनाओं की तलाश करेगा।

  • GST प्रणाली के तहत रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये इस 7-सदस्यीय मंत्री समूह (Group of Ministers-GoM) के गठन का निर्णय हाल ही में हुई GST परिषद की बैठक के दौरान लिया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • GoM के विचारार्थ विषयों (Terms of Reference-ToR) में इस सेक्टर के लिये एक कंपोजिशन स्कीम तैयार करने के तरीके सुझाना शामिल है।
  • GoM, रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रस्ताव के तहत उत्पन्न होने वाले मुद्दों और चुनौतियों सहित GST के अंतर्गत कर की दरों का भी विश्लेषण करेगा।
  • यह समूह कंपोज़िशन स्कीम में ज़मीन के समावेशन/अपवर्जन या किसी अन्य घटक को शामिल करने की वैधानिकता की जाँच करेगा और मूल्यांकन प्रक्रिया संबंधी सुझाव भी देगा।
  • यह समूह एक संयुक्त समझौते और उपयुक्त मॉडल में विकास अधिकारों के हस्तांतरण (Transfer of Development Rights-TDR) और विकास अधिकारों (Development Rights) पर GST के विभिन्न पहलुओं की भी जाँच करेगा।
  • GoM के अन्य मंत्रियों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री तथा गोवा के पंचायत मंत्री मौविन गोडिन्हो (Mauvin Godinho) शामिल हैं।
  • वर्तमान में निर्माणाधीन संपत्ति या रेडी-टू-मूव-इन (ready-to-move-in) फ्लैट्स, जहाँ बिक्री के समय पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया गया है, के मामले में किये गए भुगतान पर 12% GST लगाया जाता है।
  • GST लागू होने से पहले इस तरह की संपत्ति पर 15-18% कर लगाया जाता था।
  • हालाँकि, ऐसी रियल एस्टेट परिसंपत्तियों के खरीदारों पर GST नहीं लगाया जाता है जिनकी बिक्री के समय पूर्णता-प्रमाण पत्र जारी किया गया हो।

स्रोत : पी.आई.बी एवं इकोनॉमिक टाइम्स

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