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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

गोल्ड नैनोपार्टिकल्स

  • 02 Jul 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

नैनोटेक्नोलॉजी, नैनोपार्टिकल

मेन्स के लिये:

गोल्ड नैनोपार्टिकल्स का विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्व 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय शोधकर्त्ताओं ने ‘साइक्रोटॉलरेंट अंटार्कटिक बैक्टीरिया’ (Psychrotolerant Antarctic Bacteria) का प्रयोग करते हुए  पर्यावरण अनुकूल तरीके से, गैर विषैले तथा कम लागत वाले गोल्ड नैनोपार्टिकल्स अर्थात सोने के नैनोकणों (Gold Nanoparticles- GNPs) को सफलतापूर्वक संश्लेषित किया गया है।

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प्रमुख बिंदु:

  • यह अध्ययन जर्नल ऑफ प्रिपेरेटिव बायोकैमिस्ट्री एंड बायोटेक्नोलॉजी (Journal of Preparative Biochemistry & Biotechnology) में प्रकाशित हुआ है।
  • शोधकर्त्ताओं ने नियंत्रित वातावरणीय दशाओं में 20 से 30 नैनो मीटर के गोलाकार गोल्ड नैनोपार्टिकल्स को संश्लेषित किया है। 
  • शोध के दौरान ‘सल्फेट रीडयूसिंग बैक्टीरिया’ (Sulphate Reducing Bacteria-SRB) पर गोल्ड नैनोपार्टिकल्स के जीनोटॉक्सिसिटी (Genotoxicity) प्रभाव को देखा गया। 
    • जीनोटॉक्सिसिटी द्वारा ऐसे रासायनिक एजेंटस को वर्णित किया जाता है जो DNA की आनुवंशिक जानकारी (Genetic Information of DNA) को उत्परिवर्तन द्वारा नष्ट करने में सक्षम है। 
    • सल्फेट रीडयूसिंग बैक्टीरिया या सल्फर को कम करने वाले बैक्टीरिया सल्फेट/सल्फर की खपत कर ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
  • शोध में देखा गया कि गोल्ड नैनोपार्टिकल्स ‘सल्फेट रीडयूसिंग बैक्टीरिया' की वृद्धि को रोकने तथा इसकी कोशिका के DNA की आनुवंशिक जानकारी को नष्ट करने में सक्षम है और बैक्टीरियारोधी गुण प्रदर्शित करता है।
  • गौरतलब है कि शोधकर्त्ताओं ने ‘साइक्रोटॉलरेंट अंटार्कटिक बैक्टीरिया’ का उपयोग करके गोल्ड आयन को GNPs में बदलने के लिये पर्यावरणीय रूप से स्वीकार्य हरित रसायन प्रक्रियाओं का सहारा लिया है।
    • साइक्रोटॉलरेंट सूक्ष्मजीवों की वृद्धि 20-40 डिग्री सेंटीग्रेड पर सबसे अच्छी होती है हालाँकि ये कम तापमान को भी सहन करने में सक्षम होते हैं।

नैनोटेक्नोलॉजी और नैनोपार्टिकल

  • नैनोटेक्नोलॉजी: नैनोटेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है जिसके तहत 1 नैनोमीटर (nm) से लेकर 100 नैनोमीटर तक के आकार की सीमा तक नियंत्रित बदलाव के माध्यम से नई एवं अभिनव सामग्रियाँ विकसित की जाती हैं। 
  • नैनोपार्टिकल: नैनोपार्टिकल वो पदार्थ हैं जो 100 नैनोमीटर से कम आकार के होते हैं। नैनोपार्टिकल का सतह-आयतन अनुपात उच्च होता है। 

गोल्ड नैनोपार्टिकल एवं इनका महत्त्व

  • गोल्ड नैनोपार्टिकल को ‘थोक सोने’ (1064° सेल्सियस) की तुलना में बहुत कम तापमान (300° सेल्सियस) पर पिघलाया जा सकता है।  
    • गोल्ड नैनोपार्टिकल में पारंपरिक थोक सोने की तुलना में अधिक सौर विकिरण अवशोषित करने की क्षमता पाई गई है, जो फोटोवोल्टिक सेल निर्माण उद्योग में उपयोग के लिये बेहतर साबित हो सकती है।
  • इनमें विशेष प्रकाशीय गुण भी विद्यमान होते है। जैसे- 100nm से अधिक आकार के गोल्ड नैनोपार्टिकल कण पानी में नीले या बैंगनी रंग का प्रभाव उत्पन्न करते हैं, जबकि 100 nm आकर के कण सोने के कोलाइडल कणों के साथ लाल रंग के दिखाई देते हैं। 
    • इस प्रकार चिकित्सीय इमेजिंग के निर्माण में इनका उपयोग किया जा सकता है। 
  • गोल्ड नैनोपार्टिकलस में अद्वितीय भौतिक रासायनिक गुण भी पाये जाते हैं।
    • उनकी जैव-रासायनिकता, उच्च सतही क्षेत्र, स्थिरता और गैर-विषाक्तता (नॉनटॉक्सीसिटी) उन्हें चिकित्सीय उपयोग में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये उपयुक्त बनाती है जिसमें बीमारियों का पता लगाना और उनका निदान करना, बायो-लेबलिंग तथा लक्षित दवा वितरण इत्यादि शामिल हैं।
  • ये कण पेप्टाइड्स, प्रोटीन, प्लाज्मिड डीएनए और कीमोथेरेप्यूटिक एजेंटों से बनी विभिन्न दवाओं को स्थानांतरित करने में भी सक्षम हैं जिनके प्रयोग से मानव शरीर की कोशिकाओं को उपचारित किया जा सकता है।
  • इन गोल्ड नैनोपार्टिकल्स का उपयोग समग्र चिकित्सीय एजेंट नैदानिक ​​परीक्षणों यथा कैंसर-रोधी, विषाणु-रोधी, मधुमेह-रोधी और कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं इत्यादि में किया जा सकता है।
  • गोल्ड नैनोपार्टिकलस को इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में भी उपयोगी पाया जाता है। वैज्ञानिकों द्वारा 'नॉमफेट' नाम का एक ट्रांज़िस्टर बनाया है।
    • जिसका पूरा नाम ‘नैनोपार्टिकल ऑर्गेनिक मैमोरी फील्ड-इफेक्ट ट्रांज़िस्टर’ (Nanoparticle Organic Memory Field-Effect Transistor) है।
    • इसे विकसित करने के लिये कमरे के तापमान पर उत्प्रेरक के रूप में मैंगनीज़ ऑक्साइड में गोल्ड नैनोपार्टिकलस को अंतःस्थापित (Embedding) किया गया, ताकि हवा में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक को तोड़ा जा सके तथा कार्बनिक अणुओं के साथ गोल्ड नैनोपार्टिकलस को संयोजित किया जा सके।
  • नॉमफेट न्यूरॉन से न्यूरॉन की ओर जाने वाले सिग्नल की गति एवं शक्ति की भिन्नता/प्लास्टिसिटी के रूप में पहचाने जाने वाले ‘मानव सूत्रयुग्मन’ (Human Synapse) की नकल कर सकने में सक्षम हैं।

स्रोत:पीआइबी

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