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शासन व्यवस्था

GOCO मॉडल

  • 10 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

GOCO Model, आर्मी बेस वर्कशॉप, केंद्रीय आयुध डिपो

मेन्स के लिये:

GOCO Model और इसके निहितार्थ, रक्षा क्षेत्र का निजीकरण किये जाने संबंधित मुद्दा

चर्चा में क्यों?

भारतीय सेना द्वारा परिचालन क्षमता में सुधार लाने के उद्देश्य से अपने आधार कार्यशालाओं और आयुध डिपो के लिये सरकारी स्वामित्व वाले संविदाकारक (Government Owned Contractor Operated- GOCO) मॉडल को लागू करने हेतु संभावित उद्योग भागीदारों की पहचान करने की प्रक्रिया को शुरू किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • सेना द्वारा केंद्रीय आयुध डिपो (Central Ordnance Depot- COD), कानपुर के लिये वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई-चेन मैनेजमेंट के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले सेवा प्रदाताओं को शॉर्टलिस्ट करने हेतु उनसे जानकारी प्रदान करने के लिये अनुरोध (Request for Information- RFI) किया गया है।
  • सेना ने आर्मी बेस वर्कशॉप (Army Base Workshop- ABW) की उच्च परिचालन क्षमता लिये GOCO मॉडल के मूल्यांकन का कार्य शुरू कर दिया है।
  • इन कार्यशालाओं (Workshops) में किये जाने वाले कार्यों में डिपो स्तर पर मरम्मत तथा T-72 और T-90, बंदूक, मोर्टार एवं छोटे हथियार, वाहन, संचार प्रणाली, रडार, वायु रक्षा प्रणाली, बख्तरबंद कर्मियों के वाहन तथा पुर्जों का निर्माण एवं विमानन क्षेत्र के उपकरणों की मरम्मत करना शामिल हैं।

GOCO मॉडल से संबंधित तथ्य

  • GOCO मॉडल की सिफारिश युद्धक क्षमता बढ़ाने और रक्षा व्यय को फिर से संतुलित करने से संबंधित लेफ्टिनेंट जनरल डी.बी. शेखटकर (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली समिति ने किया था।
  • सिफारिशों के आधार पर सरकार ने दो अग्रिम आधार कार्यशालाओं, एक स्थैतिक कार्यशाला और चार आयुध डिपो को बंद करने का फैसला किया है, साथ ही आठ ABWs का GOCO मॉडल के आधार पर निगमीकरण (Corporatised) करने की सिफारिश की गई है।
  • चिंहित आठ ABW दिल्ली, जबलपुर (मध्य प्रदेश), काकिनारा (पश्चिम बंगाल), इलाहाबाद, आगरा और मेरठ (उत्तर प्रदेश), पुणे के पास किरकी और बंगलूरु में स्थित हैं।
  • 19 दिसंबर, 2019 को सूचना के लिये किये गए अनुरोध का उद्देश्य वेयरहाउसिंग, लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट में अनुभवी सेवा प्रदाता को शॉर्टलिस्ट करना है।
  • गौरतलब है कि इस संदर्भ में प्रतिक्रियाएँ प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि अनुरोध को पोस्ट करने की तिथि से छह सप्ताह होगी।
  • ध्यातव्य है कि सेवा प्रदाताओं द्वारा COD कानपुर को अधिकार में लेने के बाद संपूर्ण अवसंरचना के रख-रखाव की ज़िम्मेदारी सेवा प्रदाता की होगी।
  • इस मॉडल के अंतर्गत चयनित सेवा प्रदाता द्वारा मौजूदा श्रमशक्ति/कार्यबल को नियोजित करना आवश्यक होगा।
  • गौरतलब है कि GOCO मॉडल के तहत आउटसोर्सिंग के लिये परिकल्पित COD कानपुर के कार्यों में भंडारण का संचालन, भंडारों का परिवहन और क्षेत्र का रख-रखाव शामिल है।
  • सेवा प्रदाता एक पंजीकृत भारतीय कंपनी होनी चाहिये, जिसके पास संबंधित डोमेन में कम-से-कम 10 वर्ष का कार्य अनुभव हो और पिछले तीन वित्तीय वर्षों में उसका औसत वार्षिक कारोबार 50 करोड़ रुपए का हो।
  • COD कानपुर की सूची की कुल सीमा लगभग 4045 वस्तुएँ हैं और यहाँ किसी भी समय औसतन लगभग 70,000 टन भंडार होता है। इसमें विभिन्न प्रकार के कपड़े, जूते, टोपी या हेल्मेट और तंबू का सामान, कैम्पिंग आइटम, रसोई की सामग्री इत्यादि उपकरण शामिल हैं।

स्रोत: द हिंदू

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