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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वैश्विक पर्यावरण सुविधा अभियान के लिये विश्व बैंक देगा मदद

  • 18 Aug 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में भारत ने ‘पारिस्थितिक तंत्र सेवा सुधार परियोजना’ (Ecosystem Service Improvement Project) के लिये विश्‍व बैंक के साथ 24.64 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वैश्विक पर्यावरण सुगमता (Global Environment Facility-GEF) अनुदान समझौता किया है।
  • यह परियोजना 24.64 मिलियन अमेरिकी की डॉलर है। इसका वहन पूर्ण रूप से विश्‍व बैंक के  वैश्विक पर्यावरण सुगमता ट्रस्‍ट फंड (GEF Trust Fund) द्वारा किया जाएगा। परियोजना की अवधि 5 वर्ष है।

क्या है उद्देश्य ?

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (Indian Council of Forestry Research & Education) के माध्‍यम से ‘हरित भारत राष्‍ट्रीय मिशन’ के तहत मध्‍यप्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में इस परियोजना का कार्यान्‍वयन करेगा।
  • इस परियोजना का लक्ष्‍य वन विभागों और सामुदायिक संगठनों की संस्‍थागत क्षमता में मज़बूती लाना, वन पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को समृद्ध करना और मध्‍य भारत के उच्‍च क्षेत्रों में वनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका में सुधार करना है।

परियोजना के आवश्यक कदम

  • इस परियोजना के अंतर्गत केवल स्वीकृत और सुरक्षित जैव-नियंत्रण एजेंटों (bio-control agents) का उपयोग किया जायेगा तथा डॉक्यूमेंटेशन से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।
  • सामान्य जैव-नियंत्रण एजेंटों (general bio-control agents) का उपयोग करने से बचा जाएगा और लक्षित प्रजातियों के लिये विशिष्ट जैव-नियंत्रण एजेंटों का उपयोग किया जाएगा।
  • जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • वनों से प्राप्त होने वाले उत्पादों पर निर्भर वैध उपयोगकर्ताओं को एक घोषणापत्र दिया जाएगा, ताकि आवश्यक संसाधनों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित रहे।
  • परियोजना के लिये गांव स्तर की सहभागिता और निगरानी से संबंधित प्रोटोकॉल बनाये जायेंगे और सोशल ऑडिट की भी व्यवस्था की जाएगी।
  • ग्रामीण स्तर पर घरेलू लाभार्थीयों की एक सूची बनाई जाएगी और इसके ज़रिये अत्याधिक गरीब और पिछड़े लाभार्थियों की पहचान की जाएगी।
  • आम संपत्ति संसाधनों (common property resources) के जीर्णोद्धार (restoration) के दौरान भूमिहीन, पशुधन मालिकों के लिये वैकल्पिक रोज़गार या वैकल्पिक आय की व्यवस्था की जाएगी।
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