जी.एम. काई से मलेरिया का इलाज | 11 Sep 2017
चर्चा में क्यों ?
मानव रोगों में चेचक या टाइफाइड की तुलना में मलेरिया का उन्मूलन सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है और यह दुनिया की लगभग आधी आबादी के लिये एक वास्तविक और निरंतर खतरे जैसा है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा जी.एम. काई (moss) तैयार किया है, जिससे अब मलेरिया का इलाज किया जा सकता है। आनुवंशिक रूप से रूपांतरित मॉस या काई का उपयोग करके बड़े पैमाने पर मलेरिया निवारक औषधि आर्टेमिसिनिन का उत्पादन किया जा सकता है।
काई (moss) क्या है ?
- काई एक छोटा-सा पुष्प-रहित हरे रंग का पौधा होता है, जिसमें जड़ नहीं होती है। यह नमी वाले स्थानों में अधिक उगता है। इसकी सरल संरचना आनुवंशिक इंजीनियरिंग दवाओं के लिये एक आदर्श स्थिति प्रदान करती है।
प्रमुख बिंदु
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बीस वर्ष पहले मलेरिया से हर साल औसतन 20 लाख लोगों की मृत्यु होती थी।
- बाद में इसके उपचार में कुछ प्रगति होने के बावजूद भी अकेले वर्ष 2015 में मलेरिया के 212 मिलियन मामले दर्ज़ किये गए और 4,29,000 लोगों की इस बीमारी से मृत्यु हुई थी।
- अब तक मलेरिया के उपचार के लिये आर्टिमिसिनिन (Artemisinin) नामक औषधि का प्रयोग किया जाता रहा है।
- आर्टिमिसिनिन का उपयोग चीन में सामान्य ज्वर और सूजन के लिये किया जाता है। परंतु इस औषधि की आपूर्ति पर्याप्त नहीं होती है, जिसके कारण इससे इलाज महँगा पड़ता है।
- लेकिन नए शोधों से स्पष्ट हुआ है कि काई को आनुवंशिक रूप से रूपांतरित कर आर्टिमिसिनिन नामक औषधि को औद्योगिक स्तर एवं कम लागत में तैयार किया जा सकता है।
आर्टेमिसिनिन क्या है ?
- आर्टेमिसिनिन, आर्टेमिसिया एनआ (Artemisia annua) नामक पौधे से प्राप्त किया जाने वाला पदार्थ है। आर्टेमिसिया एनआ का पौधा अल्प-अवधि के लिये गर्मी के मौसम में उगता है।
- इसकी जटिल संरचना के कारण इससे औषधि तैयार करना कठिन है और इसका रासायनिक संश्लेषण आर्थिक दृष्टि से संभव नहीं है।
इस शोध का महत्त्व
- यह शोध आनुवंशिक रूप से मज़बूत पौधे पर आधारित मंच प्रस्तुत करके सिंथेटिक जैव प्रौद्योगिकी की सीमाओं का विस्तार करता है, जिसे अन्य जटिल, उच्च-मूल्य वाले पौधों पर आधारित यौगिकों के औद्योगिक उत्पादन के लिये बढ़ाया जा सकता है।