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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स का पाकिस्तान को नोटिस

  • 07 Nov 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

  • पूरे विश्व में आतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय सहायता पर नज़र रखने वाली संस्था ‘फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (The Financial Action Task Force -FATF) ने पाकिस्तान से 3 महीने के भीतर ‘टेरर फंडिग’ (आतंक का वित्तपोषण) पर रिपोर्ट मांगी है। हाल ही में अर्जेन्टीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में समूह की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

ब्यूनस आयर्स बैठक से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • विदित हो कि बैठक में भारत ने ‘टेरर फंडिग’ का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान पर सुरक्षा परिषद के आदेशों को दरकिनार करने और आतंकी वित्त पोषण में संलिप्त होने की बात कही थी।
  • तत्तपश्चात् एफएटीएफ ने पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाल दिया और फरवरी 2018 तक यानी 3 माह के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया है। भारत वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की ओर से समर्थित आतंकवाद और आतंकी समूहों के मुद्दे को उठाता रहा है और इस बार भी भारत ने ऐसा ही किया।
  • लेकिन, ब्यूनस आयर्स में आयोजित एफएटीएफ की बैठक में भी चीन ने मसूद अज़हर को वीटो लगाकर बचाने की तरह ही पाकिस्तान को इस मामले में भी बचाने की कोशिश की थी, लेकिन दो वक्ताओं ने भारत का समर्थन किया जिसके बाद चीन अलग-थलग पड़ गया।

  • पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को आतंकी समूहों के बैंकिंग खाते बंद करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही उसे यह भी बताना होगा कि आतंकियों के वित्तीय ढाँचे को प्रतिबंधित करने के लिये क्या कदम उठाए गए हैं?
  • इसके अलावा टेरर फंडिंग से जुड़ी जानकारी साझा करने और उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश भी दिये गए हैं।

क्या है फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स?

  • फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स वर्ष 1989 में जी-7 की पहल पर स्थापित एक अंतः सरकारी संस्था है।
  • इसका उद्देश्य ‘टेरर फंडिंग’, ‘ड्रग्स तस्करी’ और ‘हवाला कारोबार’ पर नज़र रखना है।

क्यों महत्त्वपूर्ण है फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स?

  • फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स किसी देश को निगरानी सूची में डाल सकती है और उसके बावजूद कार्रवाई न होने पर उसे ‘खतरनाक देश’ घोषित कर सकती है।
  • उत्तर कोरिया, ईरान और युगांडा को भी इस सूची में डाला गया है। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम और अमेरिका जैसे देश इसकी रिपोर्ट का कड़ाई से पालन करते हैं।
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