भारतीय अर्थव्यवस्था
‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ व्यवस्था
- 09 Jun 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लियेG7, G20, ‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ समझौता मेन्स के लिये‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ व्यवस्था की आवश्यकता और इससे संबंधित चुनौतियाँ, इस संबंध में भारत का पक्ष |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सात (G7) देशों के समूह के वित्त मंत्रियों ने ‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ (GMCTR) की स्थापना करते हुए एक ऐतिहासिक समझौते को अंतिम रूप दिया है।
- यह समझौता भविष्य में एक विश्वव्यापी सौदे का आधार बन सकता है। जुलाई 2020 में G20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक में समझौते पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
- इसके अलावा G7 देशों ने विभिन्न कंपनियों को अपने पर्यावरणीय प्रभाव को अधिक मानकीकृत तरीके से घोषित करने की दिशा में आगे बढ़ने हेतु भी सहमति व्यक्त की, ताकि निवेशक आसानी से निर्णय ले सकें कि किस कंपनी को फंड प्रदान करना है।
ग्रुप ऑफ सेवन (G7)
- यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था।
- वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये प्रतिवर्ष G7 ब्लॉक की बैठक आयोजित की जाती है।
- G7 देशों में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांँस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं।
- सभी G7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं।
- G7 का कोई औपचारिक संविधान या कोई निश्चित मुख्यालय नहीं है। वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रतिनिधियों द्वारा लिये गए निर्णय गैर-बाध्यकारी होते हैं।
प्रमुख बिंदु
वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर
- परिचय
- समझौते के मुताबिक, G7 देश कम-से-कम 15 प्रतिशत की वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर का समर्थन करेंगे और उन देशों में करों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिये उपाय किये जाएंगे, जहाँ व्यवसाय संचालित होते हैं।
- कॉर्पोरेट कर अथवा निगम कर उस शुद्ध आय या लाभ पर लगाया जाने वाला प्रत्यक्ष कर है, जो उद्यम अपने व्यवसायों से लाभ कमाते हैं।
- समझौते के मुताबिक, G7 देश कम-से-कम 15 प्रतिशत की वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर का समर्थन करेंगे और उन देशों में करों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिये उपाय किये जाएंगे, जहाँ व्यवसाय संचालित होते हैं।
- प्रयोज्यता
- यह कंपनियों के विदेशी लाभ पर लागू होगा। ऐसे में यदि सभी देश वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर पर सहमत होते हैं, तब भी सरकारों द्वारा स्थानीय कॉर्पोरेट कर की दर स्वयं ही निर्धारित की जाएगी।
- किंतु यदि कंपनियाँ किसी विशिष्ट देश में कम दरों का भुगतान करती हैं, तो उनकी घरेलू सरकारें अपने करों को सहमत न्यूनतम दर पर ला सकती हैं, जिससे लाभ को टैक्स हेवन में स्थानांतरित करने का लाभ समाप्त हो जाता है।
- ‘टैक्स हेवन’ का आशय आमतौर पर एक ऐसे देश से होता है, जो राजनीतिक और आर्थिक रूप से स्थिर वातावरण में विदेशी व्यक्तियों तथा व्यवसायों को बहुत कम या न्यूनतम कर देयता प्रदान करता है।
‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ की आवश्यकता
- कर नुकसान की कमी
- कई देशों में अमूर्त स्रोतों जैसे कि दवा पेटेंट, सॉफ्टवेयर और बौद्धिक संपदा पर रॉयल्टी से प्राप्त आय लगातार ‘टैक्स हेवन’ की ओर हस्तांतरित हो रही है, जिससे कंपनियों को अपने पारंपरिक घरेलू देशों में उच्च करों का भुगतान नहीं करना पड़ता है।
- ये कंपनियाँ प्रायः प्रमुख बाज़ारों से कम कर वाले देशों जैसे आयरलैंड या कैरेबियाई देशों जैसे ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह या बहामा अथवा पनामा जैसे मध्य अमेरिकी देशों में अपने लाभ को बढ़ाने के लिये सहायक कंपनियों के जटिल वेब पर निर्भर रहती हैं।
- कॉरपोरेट कर के दुरुपयोग के कारण भारत को प्रतिवर्ष 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है।
- कर एकरूपता
- ‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ दशकों से चली आ रही प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त कर देगा, जिसके तहत विभिन्न देशों द्वारा बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों को कर दरों में छूट देकर आकर्षित करने की प्रतिस्पर्द्धा की जा रही है।
चुनौतियाँ
- विभिन्न देशों को एकजुट करना
- इस व्यवस्था के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती प्रमुख राष्ट्रों को एक साथ एक ही मंच पर लाना है, क्योंकि ‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर’ किसी राष्ट्र की कर नीति तय करने के लिये उसके संप्रभु अधिकार को प्रभावित करती है।
- नीतिगत मुद्दे
- विभिन्न देशों द्वारा कॉर्पोरेट कर का उपयोग अपनी नीतियों को प्रोत्साहित करने के लिये एक उपकरण के तौर पर किया जाता है और ‘वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर’ व्यवस्था के कारण यह उपकरण समाप्त हो जाएगा।
- कम कर दर का उपयोग एक उपकरण के तौर पर वैकल्पिक रूप से आर्थिक गतिविधि को आगे बढ़ाने हेतु किया जाता है। साथ ही वैश्विक न्यूनतम कर दर व्यवस्था, कर चोरी से निपटने में सक्षम नहीं होगी।
अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रयास:
- आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) सीमा पार डिजिटल सेवाओं पर कर लगाने और वैश्विक कॉर्पोरेट न्यूनतम कर सहित कर आधार क्षरण (Base Erosion) को रोकने के नियमों पर 140 देशों के बीच कर वार्ता का समन्वयन कर रहा है।
भारत का पक्ष
- यद्यपि कराधान अंततः एक संप्रभु गतिविधि है और राष्ट्र की आवश्यकताओं और परिस्थितियों पर निर्भर करती है, किंतु भारत सरकार कॉर्पोरेट कर संरचना को लेकर विश्व स्तर पर हो रही वार्ताओं में हिस्सा लेने पर सहमत है।
- भारत को वैश्विक न्यूनतम 15 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर दर समझौते से लाभ होने की संभावना है, क्योंकि भारत की प्रभावी घरेलू कर दर, 15 प्रतिशत की न्यूनतम सीमा से अधिक है, और इस तरह भारत अधिक निवेश आकर्षित करता रहेगा।
- सितंबर 2019 में सरकार ने कंपनियों के लिये कॉर्पोरेट कर की दर को घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया था। इसके अलावा नई विनिर्माण फर्मों के लिये 15 प्रतिशत की दर की पेशकश की गई थी।
- भारतीय घरेलू कंपनियों के लिये प्रभावी कर दर, अधिभार और उपकर सहित, लगभग 25.17 प्रतिशत है।
आगे की राह
- जुलाई 2021 में वेनिस में होने वाली G20 बैठक में G7 समझौते पर दुनिया के सबसे बड़े विकसित और विकासशील देशों के बीच व्यापक चर्चा की जाएगी।
- अभी भी बहुत कुछ तय करने की आवश्यकता है, जिसमें वह मेट्रिक्स भी शामिल है जो यह निर्धारित करेगा कि कर कैसे और किन बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर लागू किया जाएगा।
- इस व्यवस्था में डिजिटल सेवा कर सहित विभिन्न नए अंतर्राष्ट्रीय कर नियमों को लागू करने के बीच उचित समन्वय स्थापित किया जाना चाहिये। किसी भी अंतिम समझौते का कम कर वाले देशों और टैक्स हेवन पर बहुत अधिक प्रभाव होगा।