भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक बौद्धिक संपदा सूचकांक-2020
- 07 Feb 2020
- 10 min read
प्रीलिम्स के लिये:बौद्धिक संपदा सूचकांक-2020 में भारत की रैंकिंग मेन्स के लिये:बौद्धिक संपदा और भारत के समक्ष चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर (US Chambers of Commerce Global Innovation Policy Center) द्वारा जारी अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक-2020 में भारत को 53 देशों में 40वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।
मुख्य बिंदु
- यह ‘वैश्विक बौद्धिक संपदा सूचकांक’ का आठवाँ संस्करण है जिसका शीर्षक आर्ट ऑफ़ द पॉसिबल (Art of the Possible) है।
- इस सूचकांक के शीर्ष पाँच देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, स्वीडन एवं जर्मनी है।
- सूचकांक में शामिल 53 देशों की वैश्विक GDP में 90% की भागीदारी है।
- इस वर्ष तीन और नई अर्थव्यवस्थाओं (कुवैत, ग्रीस, डोमिनिकन गणराज्य) को इस सूचकांक में शामिल किया गया है।
- सूचकांक में भारत के बौद्धिक संपदा और कॉपीराइट से संबंधित मुद्दों के संरक्षण से संबंधित स्कोर में भी सुधार देखा गया है।
- सूचकांक 50 से अधिक अद्वितीय संकेतकों के साथ प्रत्येक उस अर्थव्यवस्था के लिये बौद्धिक संपदा ढाँचे का मूल्यांकन करता है जो सबसे प्रभावी बौद्धिक संपदा प्रणालियों के माध्यम से अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- ये संकेतक किसी अर्थव्यवस्था के समग्र आईपी पारिस्थितिकी तंत्र का एक ढाँचा तैयार करते हुए सुरक्षा की नौ श्रेणियाँ प्रदान करते हैं-
- पेटेंट (Patents)
- कॉपीराइट (Copyrights)
- ट्रेडमार्क (Trademarks)
- डिज़ाइन का अधिकार (Design Rights)
- व्यापार में गोपनीयता (Trade Secrets)
- आईपी संपत्तियों का व्यावसायीकरण (Commercialization of IP Assets)
- प्रवर्तन (Enforcement)
- सर्वांगी दक्षता (Systemic Efficiency)
- सदस्यता और अंतराष्ट्रीय संधियों का अनुसमर्थन (Membership and Ratification of International Treaties)
नए संकेतक
- यह सूचकांक बौद्धिक संपदा के संबंध में आने वाली नई चुनौतियों का सामना करने हेतु मानक निर्धारित करने का प्रयास करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक के इस संस्करण में पाँच नए संकेतकों और पहले से मौजूद संकेतकों में दो अतिरिक्त संकेतकों को भी शामिल किया गया है जो निम्नलिखित हैं-
- पादप विविधता सुरक्षा तथा सुरक्षा की अवधि (Plant Variety Protection, term of Protection)
- आईपी-गहन उद्योग, राष्ट्रीय आर्थिक प्रभाव विश्लेषण (IP-Intensive Industries, National Economic Impact Analysis)
- पादपों की नई किस्मों की सुरक्षा हेतु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन अधिनियम, 1991 की सदस्यता (Membership of the International Convention for the Protection of New Varieties of Plants, act of 1991)
- साइबर अपराध पर सम्मेलन, 2001 की सदस्यता (Membership of the Convention on Cybercrime, 2001)
- औद्योगिक डिज़ाइनों के अंतर्राष्ट्रीय पंजीकरण के संबंध में हेग समझौता (The Hague Agreement Concerning the International Registration of Industrial Designs)
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिह्नों को पंजीकृत करने से संबंधित मैड्रिड समझौता प्रोटोकॉल (Protocol Relating to the Madrid Agreement Concerning the International Registration of Marks)
- पेटेंट सहयोग संधि (Patent Cooperation Treaty)
भारत की स्थिति
- वर्ष 2020 के इस सूचकांक में भारत 38.46% के स्कोर के साथ 53 देशों की सूची में 40वें स्थान पर रहा, जबकि वर्ष 2019 में 36.04% के स्कोर के साथ भारत 50 देशों की सूची में 36वें स्थान पर था।
- सूचकांक में शामिल दो नए देशों, ग्रीस और डोमिनिकन गणराज्य का स्कोर भारत से अच्छा है। गौरतलब है कि फिलीपीन्स और उक्रेन जैसे देश भी भारत से आगे हैं।
- हालाँकि धीमी गति से ही सही भारत द्वारा किसी भी देश की तुलना में अपनी रैंकिंग में समग्र वृद्धि दर्ज की गई है।
भारत की स्थिति में सुधार के कारण
- वैश्विक बौद्धिक संपदा सूचकांक में भारत के स्कोर के बढ़ने का मुख्य कारण देश में बौद्धिक संपदा संचालित नवाचार और रचनात्मकता में निवेश का बढ़ना है।
- सूचकांक के अनुसार, भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति- 2016 (Intellectual Property Rights Policy) के पश्चात् नवाचार एवं संरचनात्मक निवेश पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- वर्ष 2016 के बाद से, भारत में पेटेंट और ट्रेडमार्क हेतु आवेदन करने की प्रक्रिया में तेज़ी आई है, भारतीय नवोन्मेषकों (Innovators) और सृजनकर्त्ताओं (Creators) के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ी है तथा पेटेंट और ट्रेडमार्क के लिये पंजीकरण एवं अधिकारों को लागू करना अब आसान हो गया है।
- इस सूचकांक में पिछले वर्ष के कई सुधारों पर भी प्रकाश डाला गया है जो भारत के समग्र बौद्धिक संपदा पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूती प्रदान करते हैं।
- ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर के अनुसार, भारत सर्वांगी दक्षता संकेतक (Systemic Efficiency indicator) में 28 अन्य अर्थव्यवस्थाओं से लगातार आगे बना हुआ है। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा बौद्धिक संपदा नीति निर्माण के दौरान हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करना और बौद्धिक संपदा संरक्षण के महत्त्व के बारे में ओर अधिक जागरूकता पैदा करने के लिये उठाए गए ठोस कदम है।
- छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों और बौद्धिक संपदा के उपयोग के लिये लक्षित प्रोत्साहन में भारत अग्रणी बना हुआ है।
ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और भारत
- वर्ष 2019 में, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कॉपीराइट-उल्लंघन सामग्री की ऑनलाइन पहुँच को रोकने के लिये गतिशील निषेधाज्ञा (Dynamic Injunctions) का उपयोग किया गया था जिसके परिणामस्वरूप कॉपीराइट से संबंधित दो संकेतकों में भारत का स्कोर बढ़ा है।
- कॉपीराइट-उल्लंघन हेतु निषेधाज्ञाओं का उपयोग करने के मामले में भारत ब्रिटेन और सिंगापुर के साथ है। सूचकांक में भारत कॉपीराइट संकेतकों के संदर्भ में 24 अन्य देशों से आगे है।
GIPC के अनुसार भारत के समक्ष चुनौतियाँ:
- GIPC द्वारा भारत हेतु कई चुनौतियों की पहचान की गई है जो इस प्रकार हैं-
- पेटेंट की आवश्यकता
- पेटेंट प्रवर्तन या लागू करना
- लाइसेंस की अनिवार्यता
- पेटेंट का विरोध
- डेटा सुरक्षा नियामक
- पेटेंट कानून संधि, ट्रेडमार्क हेतु सिंगापुर संधि में पारदर्शीता का अभाव
- रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार के मज़बूत होने से सबसे अधिक फायदा भारत को ही होगा। उदाहरण के लिये- मज़बूत बौद्धिक संपदा अधिकार के अभाव में बॉलीवुड को प्रत्येक वर्ष 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता है।
- मजबूत बौद्धिक संपदा मानक दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूती प्रदान कर सकते हैं तथा व्यापार करने हेतु एक गंतव्य के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को और मज़बूती दे सकते हैं।
- इस प्रकार विदेशी व्यवसायों की निवेश करने की क्षमता तथा ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम’ भारत के अपने अभिनव (Innovative) और रचनात्मक (Creative) उद्योगों के विकास का समर्थन करते है।
आगे की राह
भारत की इस वृद्धि को बनाए रखने के लिये भारत को अपने समग्र बौद्धिक संपदा ढाँचे में परिवर्तनकारी बदलाव लाने की दिशा में अभी और काम करने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं मज़बूत बौद्धिक संपदा मानकों को लगातार लागू करने के लिये गंभीर कदम उठाए जाने की भी ज़रूरत है।