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भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक- 2019

  • 09 Oct 2019
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक के संकेतक, भारत और अन्य देशों का प्रदर्शन

मेन्स के लिये:

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक का महत्त्व और भारत की क्षमता।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) द्वारा जारी वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक-2019 (Global Competitiveness Index 2019) में भारत को 141 देशों की सूची में 68वाॅं स्थान प्राप्त हुआ है।

वैश्विक संदर्भ:

  • सिंगापुर ने संयुक्त राज्य अमेरिका को विश्व की सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था के रूप में प्रतिस्थापित करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
  • 28वें स्थान के साथ चीन को ब्रिक्स देशों के समूह में सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ है।
  • अमेरिका को दूसरा, हाॅन्गकाॅन्ग को तीसरा, नीदरलैंड्स को चौथा और स्विट्ज़रलैंड को पाँचवाॅं स्थान मिला है।
  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कई प्रतिस्पर्द्धी देशों की उपस्थिति इस क्षेत्र को विश्व में सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाती है

भारत का प्रदर्शन:

  • इस वर्ष भारत वार्षिक वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक-2019 में 10 स्थान नीचे खिसक गया है जबकि वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक-2018 में भारत 58वें स्थान पर था।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत व्यापक आर्थिक स्थिरता और बाज़ार के आकार के मामले में उच्च स्थान पर है।
  • बाज़ार के आकार और अक्षय ऊर्जा विनियमन के लिये भारत को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
  • कॉरपोरेट गवर्नेंस के मामलों में भारत 15वें स्थान पर है जबकि शेयरहोल्डर गवर्नेंस के मामलों में इसका स्थान दूसरा है।
  • इसके अलावा नवाचार के मामले में भारत उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आगे है।
  • योग्यता और प्रोत्साहन के मामले में भारत को 118वें स्थान तथा कौशल उपलब्धता के मामले में 107वें स्थान पर रखा गया है।

भारत के संदर्भ में चिंता के मुद्दे:

  • सूचना, संचार और प्रौद्योगिकी अनुकूलन, स्वास्थ्य की खराब स्थिति एवं निम्न जीवन प्रत्याशा जैसे प्रतिस्पर्द्धा के कुछ मानकों पर भारत की स्थिति कमज़ोर है।
  • WEF के अनुसार, जीवन प्रत्याशा में भारत को कुल 141 देशों में से 109वें स्थान पर रखा गया है जो अफ्रीका की तुलना में कम और दक्षिण एशियाई देशों के औसत से काफी नीचे है।
  • व्यापार के नियमों की अस्पष्टता, श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा में कमी, अपर्याप्त रूप से विकसित श्रम बाज़ार की नीतियाँ तथा महिलाओं की कम भागीदारी के कारण भारत की बाज़ार उत्पादन क्षमता कम है।
  • महिला श्रमिकों के पुरुष श्रमिकों के 0.26 के अनुपात के साथ भारत को 128वें स्थान दिया गया है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum)

  • विश्व आर्थिक मंच सार्वजनिक-निजी सहयोग हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जिसका उद्देश्य विश्व के प्रमुख व्यावसायिक, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों तथा अन्य प्रमुख क्षेत्रों के अग्रणी लोगों के लिये एक मंच के रूप में कार्य करना है।
  • यह एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसका मुख्यालय जिनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में है।
  • इस संस्था की सदस्यता अनेक स्तरों पर प्रदान की जाती है और ये स्तर संस्था के काम में उनकी सहभागिता पर निर्भर करते हैं।
  • इसके माध्यम से विश्व के समक्ष मौजूद महत्त्वपूर्ण आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों पर परिचर्चा का आयोजन किया जाता है।
  • विश्व आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित की जाने वाली कुछ महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट-
    • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक (Global Competitiveness Index -GCR)
    • यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धात्मकता रिपोर्ट (Travel and Tourism Competitiveness Report)
    • वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी रिपोर्ट (Global Information Technology Report)

वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक के बारे में

  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (World Economic Forum) द्वारा जारी की जाने वाली वार्षिक रिपोर्ट है।
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम वर्ष 2004 से यह रिपोर्ट जारी करता है।
  • यह सूचकांक 12 संकेतकों पर आधारित है, जो इस प्रकार हैं-
    • संस्थान (Institution)
    • उपयुक्त आधारभूत संरचना (Appropriate Infrastructure)
    • स्थिर समष्टिगत आर्थिक ढाँचा (Stable Macroeconomic Framework)
    • अच्छा स्वास्थ्य और प्राथमिक शिक्षा (Good Health and Primary Education)
    • उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण (Higher Education and Training)
    • कुशल माल बाज़ार (Efficient Goods Markets)
    • कुशल श्रम बाज़ार (Efficient Labor Markets)
    • वित्तीय बाज़ारों का विकास (Developed Financial Markets)
    • मौजूदा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की क्षमता (Ability to Harness Existing Technology)
    • बाज़ार आकार - घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों (Market Size—Both Domestic and International)
    • सबसे परिष्कृत उत्पादन प्रक्रियाओं का उपयोग करके विभिन्न घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वस्तुओं का उत्पादन (Production of New and Different Goods Using the Most Sophisticated Production Processes)
    • नवाचार (Innovation)

आगे की राह

  • भारत को अपने कौशल आधार को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
  • सूचकांक के अनुसार कोरिया, जापान, फ्राँस जैसी मज़बूत नवाचार क्षमता वाली अर्थव्यवस्थाओं तथा भारत, ब्राज़ील जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को अपने श्रम बाज़ार की कार्यप्रणाली एवं मानव संसाधन आधार में सुधार लाना चाहिये।
  • अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने, वर्तमान और भविष्य के कार्यबल के कौशल आधार को बढाने, नए बुनियादी ढाँचे का विकास करने तथा नई तकनीकों को एकीकृत करने हेतु देशों को राजकोषीय नीति एवं सार्वजनिक प्रोत्साहन जैसे उपायों पर ज़ोर देना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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