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जैव विविधता और पर्यावरण

वैश्विक आकलन रिपोर्ट

  • 16 May 2019
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण संयुक्त राष्ट्र कार्यालय’ (United Nations Office for Disaster Risk Reduction- UNDRR) ने ‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ (Global Assessment Report- GAR) जारी की है। इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय गिरावट और अन्य आपदाओं की वज़ह से उत्पन्न खतरों पर चर्चा की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण संयुक्त राष्ट्र कार्यालय’ द्वारा आयोजित ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर वैश्विक आकलन रिपोर्ट जारी की गई।
  • सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के 5,000 प्रतिभागी इस पाँच दिवसीय कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, जिसे सितंबर में जलवायु सम्मेलन से पहले तैयारी हेतु आयोजित एक कार्यक्रम के रूप में देखा जा रहा है।
  • भारत की तरफ से प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस कार्यक्रम में भाग ले रहा है।

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  • गौरतलब है कि इस रिपोर्ट में दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न नए और बड़े खतरों के बारे में चेतावनी दी गई है।
  • विशेष रूप से एशिया प्रशांत (जिसकी वैश्विक आर्थिक नुकसान में 40% की हिस्सेदारी है) के जापान, चीन, कोरिया और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा खतरा है।
  • इस रिपोर्ट में बाढ़, भूस्खलन और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के अलावा वायु प्रदूषण तथा जैविक खतरों को मानव जीवन हेतु एक बड़ा जोखिम बताया गया है।
  • इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर कथित देश ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण’ में निवेश नहीं करते हैं, तो सालाना सकल घरेलू उत्पाद का 4% तक आर्थिक नुकसान हो सकता है।
  • ऐसा अनुमान लगाया गया है कि यदि ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण’ में 6 बिलियन डॉलर का वार्षिक निवेश किया गया तो प्रत्येक वर्ष 360 बिलियन डॉलर तक का लाभ प्राप्त हो सकता है।
  • रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि पृथ्वी और सामाजिक-पारिस्थितिक व्यवस्था में बहुत तेज़ी से परिवर्तन आ रहा है, अब हमारे पास शिथिलता के लिये वक्त नहीं है। यदि परिवर्तन हेतु उचित उपाय नहीं किये गए तो यह खतरा हमारे अस्तित्व के लिये भी घातक साबित हो सकता है।

भारत की स्थिति

  • भारत ने 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा अपनाए गए ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण’ हेतु सेंदाइ फ्रेमवर्क के लक्ष्यों को प्राप्त करने में बड़ी प्रगति की है, जो आपदा मृत्यु दर और आर्थिक नुकसान को कम करने की बात करता है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत के एक सदस्य के अनुसार, हाल ही में चक्रवात फणि (जिसने ओडिशा के कुछ हिस्सों में भारी आर्थिक तबाही मचाई थी) से निपटते हुए भारत 24 घंटो के भीतर 1.2 मिलियन से अधिक लोगों को वहाँ से सुरक्षित निकालने में सफल रहा।
  • भारत की सफलता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि फणि जैसे ही एक चक्रवात ने वर्ष 1999 में भारी तबाही मचाई थी और इसमें 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

समाधान क्या है?

  • ‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ में सरकारों से यह आग्रह किया गया है कि सेंदाई फ्रेमवर्क को अमल में लाएँ और आपदा प्रबंधन की बजाय जोखिम को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए।

सेंदाई फ्रेमवर्क क्या है?

  • सेंदाई फ्रेमवर्क एक प्रगतिशील ढाँचा है और इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य वर्ष 2030 तक आपदाओं के कारण महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को होने वाले नुकसान एवं प्रभावित लोगों की संख्या को कम करना है।
  • यह 15 वर्षों के लिये स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी समझौता है, जिसके अंतर्गत आपदा जोखिम को कम करने के लिये राज्य की भूमिका को प्राथमिक माना जाता है, लेकिन यह ज़िम्मेदारी अन्य हितधारकों समेत स्थानीय सरकार एवं निजी क्षेत्र के साथ साझा की जानी चाहिये।
  • संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों ने वर्ष 2015 में सेंदाई फ्रेमवर्क को अपनाया था।

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण रणनीति (United Nations International Strategy for Disaster Reduction-UNISDR)

  • UNISDR संयुक्त राष्ट्र सचिवालय का हिस्सा है और इसके कार्य सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और मानवतावादी क्षेत्रों में विस्तारित हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 1999 में आपदा न्यूनीकरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय रणनीति अपनाई और इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये इसके सचिवालय के रूप में UNISDR की स्थापना की।
  • संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में आपदा जोखिम की कमी के लिये क्षेत्रीय संगठनों और सामाजिक-आर्थिक तथा मानवीय गतिविधियों के बीच समन्वय और सामंजस्य सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2001 में इसके जनादेश को संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में केंद्रबिंदु के रूप में कार्य करने हेतु विस्तारित किया गया था।
  • UNISDR को 18 मार्च, 2015 को सेंदाई, जापान में आयोजित आपदा जोखिम में कमी पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में अपनाया गया था।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) भारत में आपदा प्रबंधन के लिये एक सर्वोच्च निकाय है, जिसका गठन ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005’ के तहत किया गया था।
  • यह आपदा प्रबंधन के लिये नीतियों, योजनाओं एवं दिशा-निर्देशों का निर्माण करने के लिये ज़िम्मेदार संस्था है, जो आपदाओं का समय पर प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
  • भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इस प्राधिकरण की अध्यक्षता की जाती है।

उद्देश्य

  • इस संस्था का उद्देश्य एक समग्र, प्रो-एक्टिव, प्रौद्योगिकी संचालित सतत् विकास रणनीति के माध्यम से सुरक्षित और डिजास्टर रेसिलिएंट भारत का निर्माण करना है, जिसमें सभी हितधारकों को शामिल किया गया है।
  • यह आपदा की रोकथाम, तैयारी एवं शमन जैसे कार्यों को बढ़ावा देता है।

राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (National Disaster Management Plan)

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जून, 2016 को राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना जारी की।
  • देश में तैयार की गई इस तरह की यह पहली योजना है। इसका उद्देश्‍य भारत को आपदा प्रतिरोधक बनाना और जनजीवन तथा संपत्ति के नुकसान को कम करना है।
  • यह योजना ‘सेंदाई फ्रेमवर्क’ के प्रमुख लक्ष्यों पर आधारित है।

‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ (Global Assessment Report- GAR)

  • ‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ (GAR) आपदा जोखिम को कम करने के विश्वव्यापी प्रयासों पर संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख रिपोर्ट है।
  • ‘वैश्विक आकलन रिपोर्ट’ (GAR) को आपदा जोखिम न्यूनीकरण संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा द्विवार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है

स्रोत- हिंदुस्तान टाइम्स

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