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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जी.आई.एस. पोर्टल मैपिंग क्या है?

  • 14 Aug 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों है ?
केंद्र सरकार द्वारा लैंड एस्सिस्टिंग इंडस्ट्री (land assisting industry) की तकरीबन आधा मिलियन से अधिक भूमि का ऑनलाइन डेटाबेस तैयार किया गया है। जी.आई.एस. (Geographic Information System) सक्षम डेटाबेस में 3000 के करीब औद्योगिक पार्कों/समूहों, कृषि/बागवानी फसलों की क्षेत्रवार उपलब्धता तथा खनिज उत्पादन आधारित सूचनाओं का विवरण शामिल किया गया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि जी.आई.एस. पोर्टल के अंतर्गत जल्द ही गोदामों, बिजली-ग्रिड एवं वित्तीय संस्थानों से संबद्ध जानकारियों को शामिल किया जाएगा।
  • इसके साथ-साथ इसके अंतर्गत भिन्न-भिन्न परियोजनाओं हेतु उद्यमियों द्वारा जमा किये गए आवेदनों से प्राप्त जानकारी के आधार पर औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (industrial infrastructure) संबंधी मांग को भी पूरा किया जाएगा।

उद्देश्य 

  • इसका उद्देश्य वर्तमान में देश के औद्योगिक नीति-निर्माण एवं विनिर्माण क्षेत्र में निवेश को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाली सूचना विषमता (information asymmetry) को समाप्त करना है।

रोज़गार को बढ़ावा

  • वर्तमान में इसके अंतर्गत कुछ विशेष क्षेत्रों से संबंधित सूचनाएँ संबद्ध है, जिनमें औद्योगिक पार्कों/समूहों; उद्योगों हेतु सामान्य सुविधाएँ; उद्योगों से संबद्ध भूमि एवं उद्योगों हेतु उपलब्ध भूमि; अनुमोदित एवं लंबित परियोजनाओं; राज्य/राष्ट्रीय राजमार्ग, हवाई अड्डे, बंदरगाह, रेलवे स्टेशन एवं विद्युत् संबंधी आधारभूत सुविधाओं; केंद्रीय/राज्य सरकारी प्रोत्साहन एवं निवेश/रोज़गार आधारित लक्ष्यों इत्यादि से संबंधित सूचनाओं को सम्मिलित किया गया है। 

डेटाबेस में निहित सूचनाएँ

  • उल्लेखनीय है कि इस डेटाबेस के अंतर्गत प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र/समूह से हवाईअड्डे/बंदरगाह की दूरी के संबंध में न केवल समस्त जानकारी बल्कि उस क्षेत्र विशेष का उपग्रह आधारित मानचित्र भी उपलब्ध है।
  • इसके अतिरिक्त कृषिगत फसलों उदाहरण के तौर पर - फाइबर फसलें, अनाज, तिलहन, वृक्षारोपण फसलें, दलहन एवं मसालों सहित बागवानी फसलों के संबंध में भी डेटा उपलब्ध है।

नोडल निकाय

  • इस डेटाबेस को औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion - DIPP) एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस विभाग (National e-Governance Division) के साथ-साथ बी.आई.एस.ए.जी (गुजरात सरकार के तहत अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान) द्वारा विकसित किया गया है।

इस प्रोजेक्ट की सफलता/असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इसके अंतर्गत राज्य सरकारों की कितनी सक्रिय भागीदारी है। वर्तमान में, इस प्रोजेक्ट के तहत सबसे अधिक सक्रिय राज्य महाराष्ट्र एवं आंध्रप्रदेश है। कुछ सीमा तक उड़ीसा, कर्नाटक एवं तमिलनाडु भी इसके अंतर्गत निरंतर अपना योगदान बढ़ा रहे है। यही कारण है कि बहुत जल्द केंद्र सरकार द्वारा कुछ अन्य राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस संबंध में कार्यशालाओं का आयोजन करने की भी योजना है ताकि विनिर्माण क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश को आकर्षित करने एवं रोज़गार के अवसरों में बढ़ोतरी करने के संबंध में डेटाबेस की महत्ता को स्पष्ट किया जा सके।

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