गिल्ट फंड | 25 Mar 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गिल्ट फंड्स ने अन्य सभी डेब्ट फंड श्रेणियों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए पिछले वर्ष की तुलना में 8.3 प्रतिशत का वार्षिक रिटर्न दिया है। टॉप गिल्ट फंडों ने रिटर्न में 11 प्रतिशत तक की वृद्धि प्रदर्शित की है।
- इसी अवधि के दौरान अन्य डेब्ट फंड्स, जो कॉर्पोरेट बॉण्ड में निवेश करते हैं, ने 4.9 प्रतिशत से 8 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया।
- हालाँकि वर्ष 2017 तथा वर्ष 2018 की पहली छमाही में गिल्ट फंड्स का प्रदर्शन कुछ ख़ास नही रहा।
गिल्ट फंड्स क्या हैं?
- गिल्ट फंड वे म्यूचुअल फंड योजनाएँ होती हैं जो मुख्य रूप से सरकार की ओर से भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी की गई सरकारी प्रतिभूतियों (G-sec) में निवेश करती हैं।
- इन सरकारी प्रतिभूतियों में केंद्र सरकार की दिनाँकित प्रतिभूतियाँ, राज्य सरकार की प्रतिभूतियाँ और ट्रेजरी/राजस्व बिल शामिल होते हैं।
- गिल्ट फंड्स में निवेश करने के बाद निवेशकों को किसी तरह का क्रेडिट रिस्क नहीं होता है, क्योंकि इन प्रतिभूतियों की गारंटी केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है। ये फंड्स दीर्घावधिक सरकारी प्रतिभूति पत्रों में निवेश करते हैं।
गिल्ट म्यूचुअल फंड के प्रकार
सामन्यतः गिल्ट म्यूचुअल फंड दो प्रकार के होते हैं-
- लघु अवधि के म्यूचुअल फंड
- दीर्घ अवधि के म्यूचुअल फंड
लघु अवधि के म्यूचुअल फंड
- लघु अवधि की योजनाओं के तहत अल्पकालिक सरकारी बॉण्ड में निवेश किया जाता है, जो बहुत कम अवधि की होती हैं।
- सामान्यतः ये म्यूचुअल फंड अगले 15-18 महीनों में परिपक्व हो जाते हैं।
- चूँकि ये फंड राज्य या केंद्र सरकार द्वारा समर्थित हैं, इसलिये इनमे कोई क्रेडिट जोखिम नहीं होता और इनकी कम अवधि में परिपक्वता के कारण ब्याज दरों में बदलाव का कम जोखिम होता है।
दीर्घ अवधि के म्यूचुअल फंड
- दीर्घ अवधि के गिल्ट फंड्स, दीर्घकालिक सरकारी बॉण्ड में निवेश करते हैं
- इनकी परिपक्वता अवधि 5 साल से 30 साल तक होती है।
- गिल्ट फंडों में सरकारी प्रतिभूतियों की परिपक्वता अवधि जितनी अधिक होती है, उतनी ही अधिक ब्याज दर में बदलाव की संभावना होती है।
- कुछ मामलों में दीर्घकालीन गिल्ट फंड अल्पकालिक गिल्ट फंड्स की तुलना में ब्याज दरों में बदलाव के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया देते हैं।