सामाजिक न्याय
गिलोय की बिक्री में वृद्धि
- 26 May 2020
- 6 min read
प्रीलिम्स के लिये:गिलोय, प्रधानमंत्री वन धन योजना, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह मेन्स के लिये:गिलोय की बिक्री में वृद्धि तथा विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
गिलोय (Giloy) और अन्य उत्पादों का विपणन करने वाली ‘आदिवासी एकात्मिक सामाजिक संस्था’ (Adivasi Ekatmik Samajik Sanstha) ने हाल के दिनों में काफी प्रगति दर्ज की है।
प्रमुख बिंदु:
- उल्लेखनीय है कि कातकारी समुदाय (Katkari Community) के एक समूह ने ‘आदिवासी एकात्मिक सामाजिक संस्था’ के जरिये कातकारी जनजातियों के विभिन्न कार्यों को सुगम बनाने का कार्य आरंभ किया है।
- समूह द्वारा स्थानीय बाज़ारों में गिलोय (Giloy) को बेचने का उद्यम आरंभ किया गया है। इस उद्यम से अधिक-से-अधिक जनजातीय समूह इस संस्था के साथ जुड़ रहे हैं।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) के भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (TRIFED) द्वारा संचालित प्रधानमंत्री वन धन योजना (Pradhan Mantri Van Dhan Yojana- PMVDY) के तहत इस संस्था को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं के कारण भी गिलोय की मांग में तेज़ी दर्ज की गई है।
- गिलोय की मांग को बढ़ावा देने हेतु एक वेबसाइट भी बनाई गई है जिसके माध्यम से लॉकडाउन की अवधि के दौरान भी ‘गिलोय’ की बिक्री की जा रही है।
- गिलोय और अन्य वन्य उत्पाद हेतु ‘बैकवार्ड एवं फारवर्ड लिंकेजों’ की स्थापना करने के लिये इस स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups- SHGs) को प्रशिक्षित करने की योजना है।
- बैकवार्ड लिंकेजों में जनजातीयों को ‘गिलोय से संबंधित कार्य को कैसे किया जाए’ के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा तथा उन्हें इसके पौधरोपण का तरीका भी सिखाया जाएगा।
- फारवर्ड लिंकेजों में जनजातीयों को विभिन्न उत्पादों को बनाने हेतु गिलोय को संसाधित करने की विधि का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे वे उत्पाद का बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकें।
गिलोय (Giloy):
- आयुर्वेद में गिलोय ‘गुडूची’ नाम से विख्यात है। जिसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
- गिलोय विभिन्न प्रकार के बुखारों (वायरल बुखार, मलेरिया आदि) तथा मधुमेह रोग के उपचार हेतु उपयोग में लाया जाता है।
- पाउडर या क्रीम के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है।
उद्देश्य:
- समूह का उद्देश्य गिलोय को केवल स्थानीय बाज़ारों तथा फार्मा कंपनियों तक सीमित न रख कर डी-मार्ट जैसे बड़े रिटेल चेनों की सहायता से इसको दूर दराज़ के बाज़ारों तक भी ले जाना है।
- ‘आदिवासी एकात्मिक सामाजिक संस्था’ द्वारा किये गए प्रयासों के तहत उत्पाद हेतु बाज़ार का विस्तार करने के साथ ही अन्य वन उत्पादों को बढ़ावा देने हेतु प्रयास भी शामिल हैं।
विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह
(Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTGs):
- आदिवासी समूहों में PVTGs अत्यधिक कमज़ोर हैं। वर्ष 1973 में ढेबर आयोग (Dhebar Commission) ने आदिम जनजाति समूह (Primitive Tribal Groups-PTGs) को एक अलग श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया था ।
- वर्ष 2006 में भारत सरकार ने आदिम जनजाति समूह का नाम बदलकर विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह कर दिया था।
- गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) द्वारा 75 जनजातीय समूहों को ‘विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- 18 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में ऐसे 75 समूहों की पहचान कर उन्हें विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- ‘विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह’ की कुछ बुनियादी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- इनमें अधिकतर समरूपता पाई जाती है।
- इनका शारीरिक कद अपेक्षाकृत अलग होता है।
- इनकी कोई लिखित भाषा नहीं होती है।