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करेंसी डेरिवेटिव (currency derivatives) को जानें

  • 10 Jul 2018
  • 5 min read

संदर्भ

करेंसी डेरिवेटिव (currency derivatives) विक्रेता और खरीदार के बीच एक अनुबंध है, जिसका मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति, मुद्रा राशि से लिया जाता है। करेंसी डेरिवेटिव को विदेशी मुद्रा विनिमय दर अस्थिरता (Foreign Currency Exchange Rate Volatility) के खिलाफ किसी भी जोखिम का प्रबंधन करने के लिये सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है।

मुद्रा डेरिवेटिव क्या हैं?

  • मुद्रा विनिमय दरों के आधार पर डेरिवेटिव भविष्य का एक अनुबंध है जो उस दर को निर्धारित करता है जिस पर किसी मुद्रा को किसी अन्य मुद्रा के लिये भविष्य की तारीख में आदान-प्रदान किया जा सकता है।
  • भारत में  कोई भी व्यक्ति डॉलर, यूरो, यूके पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के खिलाफ बचाव के लिये ऐसे डेरिवेटिव अनुबंधों का उपयोग कर सकता है।
  • विशेष रूप से आयात या निर्यात करने वाले कॉर्पोरेट इन अनुबंधों का उपयोग किसी निश्चित मुद्रा के जोखिम के खिलाफ बचाव के लिये करते हैं।
  • हालाँकि, इस तरह के सभी मुद्रा अनुबंधों का रुपए में नकद के रूप में निपटारा (cash-settled) किया जाता है, इस साल की शुरुआत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने क्रॉस मुद्रा अनुबंध के साथ-साथ यूरो-डॉलर, पाउंड-डॉलर और डॉलर- येन के साथ व्यापार में आगे बढ़ने को कहा है|

करेंसी डेरिवेटिव के साथ कोई व्यापार कैसे कर सकता है?

  • दो राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज, BSE और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट हैं। मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MSEI) में भी ऐसा ही सेगमेंट है लेकिन BSE या NSE पर इसका अधिक विस्तार देखा गया है।
  • कोई भी ब्रोकर के माध्यम से मुद्रा डेरिवेटिव में व्यापार कर सकता है। संयोग से  सभी प्रमुख स्टॉक ब्रोकर भी मुद्रा व्यापार सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • यह इक्विटी या इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग की तरह है और ब्रोकर के ट्रेडिंग एप के माध्यम से किया जा सकता है। यद्यपि डॉलर-रुपए का अनुबंध आकार 1,000 डॉलर है, लेकिन केवल 2-3% मार्जिन देकर व्यापार शुरू किया जा सकता है।

एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्मों पर ऐसे डेरिवेटिव क्यों शुरू किये गए थे?

  • एक्सचेंजों पर मुद्रा डेरिवेटिव की शुरुआत से पहले, केवल ओटीसी (over the counter) व्यवस्था थी| यह एक अपारदर्शी और बंद बाज़ार था जहाँ ज़्यादातर बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा कारोबार किया गया।
  • एक्सचेंज आधारित करेंसी डेरिवेटिव्स सेगमेंट एक विनियमित और पारदर्शी बाज़ार है जिसका उपयोग छोटे व्यवसायों और यहाँ तक कि व्यक्तियों द्वारा उनके मुद्रा जोखिमों को संभालने के लिये भी किया जा सकता है।

क्या डेरिवेटिव लोकप्रिय है?

  • 2008 में करेंसी सेगमेंट का अनावरण किया गया था और तब से इसके विस्तार में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है।
  • जून में BSE ने अपने मुद्रा डेरिवेटिव प्लेटफ़ॉर्म पर  33,961 करोड़ रुपए का औसत दैनिक कारोबार दर्ज किया,  जबकि NSE ने 29,161 करोड़ रुपए का औसत दैनिक कारोबार दर्ज किया। MSEI ने जून में केवल 239 करोड़ रुपए के दैनिक औसत के हिसाब से कारोबार की सूचना दी।
  • सेगमेंट में हुई वृद्धि को पिछले कुछ वर्षों में कारोबार में लगातार वृद्धि से पता लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिये  2014-15 में NSE के करेंसी सेगमेंट का औसत दैनिक कारोबार 12,705 करोड़ रुपए था  जो 2015-16 में 18,603 करोड़ रुपए और उसके बाद 2017-18 में 20,779 करोड़ रुपए हो गया।
  • वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक  औसत दैनिक कारोबार  29, 008 करोड़ रुपए आँका गया है।
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