विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
जियोटेल
- 09 Oct 2019
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चर्चा में क्यों ?
हाल ही में चंद्रमा की मिट्टी में तत्त्वों की उपस्थिति का पता लगाने के लिये डिज़ाइन किये गए चंद्रयान -2 के एक CLASS (Chandrayaan-2 Large Area Soft X-ray Spectrometer) नामक उपकरण ने अपने मिशन के दौरान आवेशित कणों का पता लगाया।
यह घटना जियोटेल के माध्यम से ऑर्बिटर के गुजरने के दौरान हुई।
जियोटेल
- जियोटेल एक ऐसा क्षेत्र है जो सूर्य और पृथ्वी के बीच के पारस्परिक सौर वायु के प्रभाव से उत्पन्न होता है।
- जियोटेल अंतरिक्ष में पर्यवेक्षण का एक सर्वोत्तम क्षेत्र है।
- प्रत्येक 29 दिनों में चंद्रमा एक बार, लगभग छह दिनों के लिये जियोटेल क्षेत्र में रहता है उसी समय चंद्रयान -2, जो चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है, उसके उपकरण (CLASS) जियोटेल के गुणों का अध्ययन कर सकते हैं।
जियोटेल क्षेत्र कैसे बनता है?
- सूर्य, आवेशित कणों की एक सतत् धारा के रूप में सौर वायु का उत्सर्जन करता है। ये कण सूर्य के विस्तारित चुंबकीय क्षेत्र में अंतर्निहित हैं।
- चूॅंकि पृथ्वी में भी एक चुंबकीय क्षेत्र है, जो सौर पवन प्लाज़्मा को बाधित करता है। इस परस्पर क्रिया से पृथ्वी के चारों ओर एक चुंबकीय आवरण बन जाता है।
- सूर्य की ओर वाला पृथ्वी का चुंबकीय आवरण क्षेत्र संकुचित हो जाता है जो पृथ्वी की त्रिज्या से लगभग तीन से चार गुना अधिक हो जाता है।
- इसके विपरीत दिशा में,यह आवरण एक पुच्छल के रूप में फैल जाता है, जो चंद्रमा की कक्षा से परे तक फैला होता है इसी पुच्छल वाले आवरण को जियोटेल कहा जाता है।