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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

जिनेवा कन्वेंशन

  • 16 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति, जिनेवा कन्वेंशन 

मेन्स के लिये

वर्तमान परिदृश्य में भारत-चीन के संदर्भ में जिनेवा कन्वेंशन का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

जून, 2020 में लद्दाख में गलवान (भारत-चीन) संघर्ष के बाद, रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (International Committee for the Red Cross- ICRC) द्वारा भारत एवं चीन दोनों देशों की सरकारों से आग्रह किया गया है कि वे जिनेवा कन्वेंशन (Geneva Conventions) की शर्तों का पालन करे, जिनके दोनों देश हस्ताक्षरकर्ता हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • जिनेवा कन्वेंशन (1949) तथा इसके अन्य प्रोटोकॉल वे अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ है जिसमें युद्ध की बर्बरता को सीमित करने वाले सबसे महत्त्वपूर्ण नियम शामिल हैं।
  • ये संधियाँ/प्रोटोकॉल उन लोगों को सुरक्षा प्रदान करते हैं जो युद्ध में भाग नहीं लेते हैं, जैसे- नागरिक, मेडिक्स, सहायता कार्यकर्ता तथा जो युद्ध करने की स्थिति में नहीं होते जैसे- घायल, बीमार और जहाज़ पर सवार सैनिक तथा युद्धबंदी
    • पहला जिनेवा कन्वेंशन, युद्ध के दौरान घायल एवं बीमार सैनिकों को सुरक्षा प्रदान करता है।
    • दूसरा जिनेवा कन्वेंशन, युद्ध के दौरान समुद्र में घायल, बीमार एवं जहाज़ पर मौजूद सैन्य कर्मियों की सुरक्षा प्रदान करता है।
    • तीसरा जिनेवा कन्वेंशन, युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए लोगों पर लागू होता है।
    • चौथा  जिनेवा कन्वेंशन, कब्जे वाले क्षेत्र सहित नागरिकों को संरक्षण प्रदान करता है।
  •  जिनेवा कन्वेंशन का  अनुच्छेद-3 सामान्य है जो गैर-अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्षों की स्थितियों को शामिल करता है।
    • इनमें पारंपरिक गृह युद्ध, आंतरिक सशस्त्र संघर्ष शामिल हैं जिनका प्रभाव अन्य राज्यों/देशों तक होता है या वो आंतरिक संघर्ष में शामिल होते हैं जिसमें एक तीसरा राज्य या एक बहुराष्ट्रीय बल, सरकार के साथ हस्तक्षेप करता है।
  • वर्ष 1977 के दो प्रोटोकॉल: वर्ष 1949 के चार जिनेवा कन्वेंशन के अतिरिक्त वर्ष 1977 में दो जिनेवा  प्रोटोकॉल को अपनाया गया।
    • ये दोनों प्रोटोकॉल अंतर्राष्ट्रीय और गैर-अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्षों के पीड़ितों की सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करते हैं एवं युद्ध करने के तरीकों की सीमा निर्धारित करते हैं।
  • वर्ष 2005 में, लाल क्रिस्टल (Red Crystal) प्रतीक के रूप में एक तीसरे अतिरिक्त प्रोटोकॉल को अपनाया गया है। जिसे रेड क्रॉस ( Red Cross )और रेड क्रिसेंट प्रतीक/चिन्ह (Red Crescent Emblems)  के समान ही अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त है।
  • रेड क्रॉस के लिये अंतर्राष्ट्रीय समिति (International Committee for the Red Cross-ICRC), एक अंतर्राष्ट्रीय मानवीय संगठन है जो इस बात की निगरानी करता है कि हस्ताक्षरकर्ता देशों द्वारा संघर्ष की स्थितियों में नियमों का पालन किया जाता है या नहीं।
    • वर्ष 1863 में स्थापित, ICRC विश्व स्तर पर संघर्ष एवं सशस्त्र हिंसा से प्रभावित लोगों की मदद करता है साथ ही यह युद्ध के दौरान पीड़ितों की रक्षा करने वाले कानूनों को बढ़ावा देता है।
    • यह एक स्वतंत्र और तटस्थ संगठन है जिसका मुख्यालय जिनेवा, (स्विट्ज़रलैंड) में स्थित है।
    • ICRC मुख्य रूप से सरकारों और राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटियों से प्राप्त स्वैच्छिक अनुदान द्वारा वित्त पोषित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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