संरक्षण के लिये नई आनुवंशिक विधि | 12 Apr 2019
चर्चा में क्यों?
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और बंगलूरू स्थित नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ के वैज्ञानिकों की एक टीम ने आनुवंशिक जानकारी प्राप्त करने के लिये एक नई विधि विकसित की है।
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिकों की इस विधि के अध्ययन संबंधी विवरण को ‘Methods in Ecology and Evolution’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
- इस विधि के द्वारा एक एकल प्रयोग (एक मल्टीप्लेक्स PCR) में DNA सेगमेंट के कई छोटे हिस्सों की पहचान की जाती है, उसके बाद ‘अगली पीढ़ी का अनुक्रमण’(Next-generation Sequencing) किया जाता है जिसमें DNA के कई युग्मों को एक साथ और एक स्वचालित प्रक्रिया में कई बार डीकोड किया जा सकता है।
- वैज्ञानिकों की टीम ने कैरिबियन क्वीन घोंघा (Caribbean Queen Conches) और बाघ (दो बेहद अलग प्रजातियों जिनके संरक्षण की ज़रूरत थी) पर अपनी इस विधि का परीक्षण किया।
- टीम ने 75 जंगली बाघों के मल, बाल और लार से DNA तथा 279 कैरिबियन क्वीन घोघों के नमूनों से RNA प्राप्त किया।
- तत्पश्चात् उन्होंने इन नमूनों में 60 से 100 एकल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म (Single Nucleotide Polymorphisms-SNP) देखा जो कि आनुवंशिक सामग्री में देखे जाने वाले सबसे आम प्रकार के परिवर्तनों में से एक था।
- वैज्ञानिकों के मुताबिक, पशु निगरानी के लिये इसका उपयोग करने के अलावा यह वन्यजीव व्यापार पर खुफिया जानकारी प्राप्त करने के लिये भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इस विधि से एक साथ कई सौ नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है और प्रति नमूना 1000 SNP तक डिकोडिंग की लागत 5 डॉलर (350 रुपए से कम) आएगी।
- इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें सिर्फ पाँच दिन का समय लगेगा जबकि पुरानी विधियों में कम-से-कम एक महीना का समय लगता है।