जीन एडिटिंग और अंतर्राष्ट्रीय विवाद | 03 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
चीन के एक शोधकर्त्ता ने जीन एडिटिंग उपकरण (Gene Editing Tool), CRISPR-CAS9 का प्रयोग ऐसे जीन को संशोधित/परिवर्तित करने के लिये किया जो कि एचआईवी (HIV) से संक्रमित था। CRISPR-CAS9 नामक इस जीन एडिटिंग का प्रयोग एक गर्भवती महिला के भ्रूण पर भी किया, यह गर्भवती महिला अगस्त में जुड़वाँ बच्चियों को जन्म देने वाली है। जीन एडिटिंग प्रक्रिया द्वारा बच्चियों के जन्म लेने की घोषणा ने चिकित्सकीय शोध के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय विवाद को जन्म दे दिया है।
क्या है विवाद?
- हालाँकि चीन ने अभी तक इस संबंध में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किये हैं परंतु वैज्ञानिकों एवं नैतिक समुदायों में एक आम सहमति है कि CRISPR-Cas9 जीन-एडिटिंग तकनीक का प्रयोग भ्रूण में नहीं किया जाना चाहिये।
- इस विचार के संदर्भ में भी आम सहमति व्याप्त है कि जीन एडिटिंग तकनीक का प्रयोग केवल गंभीर बिमारियों के निदान के लिये किया जाना चाहिये। हालाँकि एचआईवी एक गंभीर और लाईलाज बीमारी है लेकिन औषधियों के प्रयोग द्वारा इसके वायरस को नियंत्रण में रखा जा सकता है। ऐसे में यह मुद्दा विवाद का विषय बना गया है।
- सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विषय यह है कि जीन एडिटिंग द्वारा जीन को निष्क्रिय कर एचआईवी संक्रमण को पूरे तरीके से खत्म किया जा सकता है। ऐसे किसी कार्य का परीक्षण करने के लिये विश्व भर में क्लिनिकल ट्रायल की कोई सुविधा मौजूद नहीं है।
- इस प्रकार के जीन एडिटिंग के निश्चित तौर पर कुछ साइड-इफेक्ट भी होंगे, उनसे निपटने के लिये हमारे पास किसी भी प्रकार की सुविधा मौजूद नहीं है।
- एचआईवी संक्रमण से बचाव के लिये किये जाने वाले इस एडिटिंग की प्रक्रिया को बगैर किसी क्लिनिकल ट्रायल डाटा और सहमति के प्रयोग में लाना एवं किसी बच्चे/भ्रूण पर इसका प्रयोग अनैतिकता के दायरे में आता है।
- नेचर पत्रिका के अनुसार, जिस संभावित अस्पताल ने डॉ. हे को गर्भवती महिलाओं पर तकनीक का इस्तेमाल करने की नैतिक स्वीकृति दी थी, ने एक प्रेस बयान जारी कर इस बात से इनकार किया है। उक्त अस्पताल ने इस शोध हेतु प्रयोग में लाए गए सहमति-प्रपत्र पर भी सवाल उठाते हुए यह बयान जारी किया है कि कथित शोध के संबंध में किसी भी प्रकार की प्रक्रियागत बैठक नहीं हुई थी।
- सहमति-प्रपत्र में दी गई जानकारी से पता चलता है कि जिन माता-पिता ने इस प्रयोग में भाग लिया था, उन्हें जीन को निष्क्रिय करने की समस्याओं के बारे में नहीं बताया गया था। जिस दिन इस खबर को प्रेस में छपा गया उसी दिन चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने ग्वांगग्डोंग स्वास्थ्य आयोग ( Guangdong Health Commission) जाँच के आदेश जारी कर दिये थे।
- इस जाँच में यह पाया गया कि कथित शोधकर्त्ता चिकित्सक ने प्रजनन उद्देश्यों के लिये जीन-संपादन का उपयोग कर राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया था। जाँच वैज्ञानिकों के अनुसार, डॉ. हे द्वारा किया गया यह अनुप्रयोग वर्ष 2003 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है जो स्पष्ट रूप से, प्रजनन उद्देश्य को पूरा करने के लिये भ्रूण के जीन से छेड़-छाड़ को प्रतिबंधित करता है।
- 26 फरवरी को चीन ने एक मसौदा पेश किया, जिसमें शोधकर्त्ताओं को क्लिनिकल ट्रायल करने से पूर्व सरकार से अनुमति लेने को आवश्यक बनाया गया। कथित नियमों के उल्लंघन में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्ति को दंडित किया जाएगा और संबंधित शोध को आजीवन प्रतिबंधित किये जाने का भी प्रावधान है।
जीन एडिटिंग (CRISPR Cas-9)
- CRISPR Cas-9 तकनीक की खोज वैज्ञानिकों द्वारा वर्ष 2012 में की गई थी यह तकनीक प्रतिरक्षा प्रणाली ( Immune Systemका एक महत्त्वपूर्ण भाग है।
- जीन एडिटिंग वह तकनीक है जिसका उपयोग किसी जीव के जीनों में परिवर्तन करने या उसके आनुवंशिक गठन में फेरबदल करने में किया जा सकता है।
- CRISPR तकनीक के माध्यम से संपूर्ण आनुवंशिक कोड में से लक्षित हिस्सों (विशिष्ट हिस्सों) या विशेष स्थान पर DNA की एडिटिंग की जा सकती है।
- CRISPR-CAS9 तकनीक आनुवंशिक सूचना धारण करने वाले DNA के सिरा (Strands) या कुंडलित धागे को हटाने और चिपकाने (Cut and Paste) की क्रियाविधि की भाँति कार्य करती है।
- DNA सिरा के जिस विशिष्ट स्थान पर आनुवंशिक कोड को बदलने या एडिट करने की आवश्यकता होती है, सबसे पहले उसकी पहचान की जाती है।
- इसके पश्चात् CAS-9 के प्रयोग से (CAS-9 कैंची की तरह कार्य करता है) उस विशिष्ट हिस्से को हटाया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि DNA सिरा के जिस विशिष्ट भाग को काटा या हटाया जाता है उसमें प्राकृतिक रूप से पुनर्निर्माण, मरम्मत, या बनने की प्रवृति होती है।
- वैज्ञानिकों द्वारा स्वत: मरम्मत या पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में ही हस्तक्षेप किया जाता है और आनुवंशिक कोड में वांछित अनुक्रम या परिवर्तन की क्रिया पूरी की जाती है, जो अंततः टूटे हुए DNA सिरा पर स्थापित हो जाता है।
- कथित घटना में चिकित्सक शोधकर्त्ता ने जुड़वाँ बहनों में उपस्थित CCR5 नामक जीन को निष्क्रिय करने हेतु CRISPR CAS-9 जीन एडिटिंग का प्रयोग किया। इस जीन एडिटिंग में एक प्रोटीन को एनकोड कराया जाता है ताकि एचआईवी कोशिका में प्रवेश कर उसे संक्रमित कर सके।
CCR5 जीन और HIV
- एचआईवी के कुछ अन्य उपभेद कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिये एक और प्रोटीन (CXCR4) का उपयोग करते हैं।
- यहाँ तक कि जो लोग CCR5 जीन की दो प्रतियों के साथ पैदा होते हैं लेकिन इनकी CCR5 जीन की दोनों प्रतियाँ क्रियाशील नहीं होती है वे एचआईवी संक्रमण के खिलाफ पूरी तरह से संरक्षित या प्रतिरोधी नहीं होते हैं।
- यह भी संभावना है कि जीन एडिटिंग टूल के प्रयोग द्वारा जीनोम के अन्य भागों में अनपेक्षित रूप से म्युटेशन हो सकता है जिससे संबंधित व्यक्ति के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँच सकता है।
- सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि दवाओं, ऑपरेशन के माध्यम से बच्चे के जन्म और बिना माँ के दूध के सेवन से भ्रूण में माँ से होने वाले वर्टीकल वायरल संचरण (Vertical Viral Transmission) को रोका जा सकता है। एचआईवी से पीड़ित महिलाओं से भ्रूण के संक्रमित होने संभावना अधिक होती है, कथित घटना में माँ एचआईवी-मुक्त थी, जबकि पिता एचआईवी संक्रमित थे।
CCR5 जीन के फायदे
- वेस्ट नील वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
- नेचर पत्रिका के अनुसार, CCR5 जीन फेफड़े (LUNG),गुर्दे ( LIVER), और दिमाग (BRAIN) में होने वाले गंभीर किस्म के संक्रमण एवं बिमारियों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है।
- फेफड़ों में होने वाले इन्फ्लुएंजा के संक्रमण से लड़ने के लिये प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करता है।
- इस जीन की अनुपस्थिति में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कार्य करना बंद कर देगी।
- इस जीन की अनुपस्थिति से मल्टीपल स्केलेरोसिस नामक बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों की जल्द मृत्यु होने की संभावना दोगुनी हो जाएगी।