इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

गौधन न्याय योजना

  • 26 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

गौधन न्याय योजना के मुख्य प्रावधान, हरेली त्यौहार

मेन्स के लिये:

‘गौधन न्याय योजना’ का लोगों की आजीविका पर प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

शीघ्र ही छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा राज्य में पशु मालिकों से गाय के गोबर को खरीदने के लिये ‘गौधन न्याय योजना’ (Gaudhan Nyay Yojana) की शुरुआत की जाएगी

प्रमुख बिंदु:

  • छत्तीसगढ़ राज्य में ‘गौधन न्याय योजना’  की शुरुआत 11 जुलाई, 2020 से राज्य के लोकप्रिय ‘हरेली त्यौहार’ (Hareli Festival) के दिन की जाएगी।
  • इस योजना के सुचारु क्रियान्वयन के लिये एक पाँच सदस्यीय कैबिनेट उप समिति का गठन किया गया है।
  • यह समिति राज्य में किसानों, पशुपालकों, गौ-शाला संचालकों एवं बुद्धिजीवियों के सुझावों के अनुसार गोबर की क्रय दर निर्धारित करेगी। 
  • गोबर खरीद से लेकर उसके वित्तीय प्रबंधन और वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से लेकर उसके विक्रय तक की प्रक्रिया के निर्धारण के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव एवं सचिवों की एक कमेटी गठित की गई है। 
  • राज्य सरकार द्वारा किसानों, पशुपालकों एवं बुद्धिजीवियों से राज्य में गोबर खरीद की दर निर्धारण के संबंध में अपने सुझाव देने का भी आग्रह किया गया है।
  • इस योजना के माध्यम से हज़ारों गाँवों में स्थापित गौशालाओं का उपयोग वर्मी कंपोस्ट के निर्माण स्रोत के रूप में किया जा सकेगा तथा यहाँ निर्मित उर्वरक को किसानों के साथ-साथ अन्य सरकारी विभागों में भी बेचा जा सकेगा अर्थात योजना के माध्यम से तैयार होने वाली वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से की जाएगी।
  • गोबर की खरीद एवं बिक्री के संबंध में इस प्रकार की योजना की शुरुआत करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा।   

हरेली त्यौहार: 

  • हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ का सर्वाधिक लोकप्रिय एवं हिंदी वर्ष के अनुसार सबसे पहला त्यौहार है। 
  • पर्यावरण को समर्पित यह त्यौहार छत्तीसगढ़ी लोगों के प्रकृति के प्रति प्रेम एवं समर्पण भाव को दर्शाता है। 
  • यह त्यौहार सावन मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है जो  पूर्णतः हरियाली का पर्व है।
  • यह त्यौहार किसानों द्वारा अपने औज़ारों की पूजा के साथ शुरू होता है,  जिसमें किसान खेत के औजार व उपकरण जैसे- नांगर, गैंती, कुदाली, रापा इत्यादि की साफ-सफाई कर पूजा करते हैं, साथ ही साथ बैलों व गायों की भी पूजा की जाती है। 
  • इस त्यौहार में सुबह-सुबह घरों के प्रवेश द्वार पर नीम की पत्तियाँ व चौखट में कील लगाई जाती है।
  •  लोगों की ऐसी मान्यता है कि द्वार पर नीम की पत्तियाँ व कील लगाने से घर में रहने वाले लोगों की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।

योजना का महत्त्व:  

  • इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा होंगे, साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। 
  • इस पहल के माध्यम से सड़कों पर आवारा पशुओं की आवाजाही को रोका जा सकेगा तथा इनका उपयोग कृषि योग्य भूमि में किया जा सकेगा।
  • गाय के गोबर को खाद में बदलकर अतिरिक्त लाभ के लिये बेचा जा सकता है।
  • वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा । 
  • राज्य में किसानों के साथ-साथ वन विभाग, कृषि, उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन विभाग को पौधरोपण एवं उद्यानिकी की खेती के समय बड़ी मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है। इसकी आपूर्ति इस योजना के माध्यम से उत्पादित खाद से हो सकेगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2