लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

भारतीय इतिहास

गढ़वाल के किले

  • 30 Mar 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में किये गए एक अध्ययन में गढ़वाल हिमालय (Garhwal Himalayas) के उत्तर, पूर्व और दक्षिणी क्षेत्र में फैले 193 स्थलों की पहचान की गई है जिनमें गढ़वाल के किलों और दुर्गों के खंडहर शामिल हैं।

  • यह अपने तरह का पहला डेटाबेस है। इसमें कुल 36 प्रमुख किलों और 12 प्रमुख किलों के समूह की पहचान की गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • गढ़वाल के किले:
    • उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में अधिकांश मध्ययुगीन किलों का निर्माण रणनीतिक रूप से समूह में किया गया था।
    • 8वीं शताब्दी से पूर्व के किलों का निर्माण घाटियों और पर्वतों के साथ कई अन्य स्थानों पर किया गया था, जो कि गढ़वाल हिमालय में समुद्र तल (Mean Sea Level- MSL) से 3,000 मीटर से अधिक की ऊंँचाई पर स्थित हैं।
    • इन सुव्यवस्थित किलों का निर्माण कत्यूरी राजवंश (Katyuri Dynasty) के पतन के दौरान या बाद में हुआ था।
    • महत्त्व:
      • भौगोलिक रूप से इन किलों का निर्माण एक-दूसरे से दूर किया गया था। किंतु तत्कालीन शासकों ने यह सुनिश्चित किया कि सभी बड़े किलों के चारों ओर छोटे दुर्गों का निर्माण किया जाए ताकि वे छोटे दुर्ग मुख्यतः प्रहरी दुर्ग के रूप में कार्य कर सकें।
      • इन दुर्गों का निर्माण मुख्य किले के लगभग 15 किमी. की परिधि में किया गया था। 
      • उस समय कई ऐसे किले एक रणनीतिक नेटवर्क का गठन करते थे ताकि दुश्मन द्वारा हमला किया जाने पर जानकारी को प्रसारित किया जा सके  
        • संदेशों को संप्रेषित करने हेतु आग, धुआंँ या इसी तरह के प्रकाश संकेत सामान्य साधन हुआ करते थे।

      गढ़वाल का इतिहास:

      • कत्यूरी राजवंश:
          • इतिहासकारों के अनुसार, 700 ई. से 800 ई. के मध्य कत्यूरी राजवंश के शासकों ने प्रशासनिक उद्देश्यों हेतु इस क्षेत्र को कई छोटे मंडलों या इकाइयों में विभाजित किया था। 
          • हालाँकि जब राजवंश सहस्राब्दी के अंत के आसपास राजनीतिक रूप से कमज़ोर होने लगा, तो ये इकाइयाँ गढ़पतियों या सरदारों के अधीन आ गईं, जिनमें से प्रत्येक गढ़पति या सरदार द्वारा अलग-अलग किलों का निर्माण किया गया।
        • विदेशी आक्रमण:
          • चूँकि गढ़वाल हिमालय में कई धार्मिक स्थल स्थित है और यह अक्सर विदेशी हमलों ( मुख्य रूप से नेपाली और तिब्बतियों ) का शिकार रहा है।
          • 1100–1200 ई. के दौरान दो नेपाली राजाओं अशोक चल्ल और क्राचल्ल द्वारा किये गए आक्रमण को यहाँ पर पहला विश्वव्यापी हमलों में शामिल किया जाता है।
        • एकीकरण:
          • 15वीं शताब्दी तक परमार वंश के 37वें राजा, राजा अजयपाल ने इस क्षेत्र में कई प्रमुखों क्षेत्र को एकीकृत कर एक राज्य के रूप में स्थापित किया जो वर्तमान गढ़वाल राज्य के रूप में स्थापित है।

        कत्यूरी राजवंश (परिचय):

        • कत्यूरी राजा वर्तमान भारत के उत्तराखंड राज्य में एक मध्यकालीन शासक कबीले थे। उन्होंने इस क्षेत्र पर 700 से 1200 शताब्दी के मध्य शासन किया जो अब कुमाऊंँ के रूप में जाना जाता है।
        • कत्यूरी राजवंश की स्थापना वासुदेव कत्यूरी (Vashudev Katyuri) द्वारा की गई थी। जिसे वासुदेव या बसुदेव के रूप में भी जाना जाता है। 
        •  12वीं शताब्दी तक विभिन्न रियासतों में विभाजित होने से पूर्व कुमाऊँ का कत्यूरी राजवंश अपने चरम पर था जो पूर्व में सिक्किम से पश्चिम में काबुल, अफगानिस्तान तक फैला हुआ था।

        स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

        close
        एसएमएस अलर्ट
        Share Page
        images-2
        images-2