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भारतीय राजनीति

रक्षा बजट के अनुमान और आवंटन में अंतराल

  • 16 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

संसदीय स्थायी समिति

मेन्स के लिये:

रक्षा बजट के अनुमान और आवंटन में अंतराल के संदर्भ में संसदीय स्थायी समिति द्वारा दी गई जानकारी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा क्षेत्र पर संसदीय स्थायी समिति ने इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण को प्रभावित करने वाले बजटीय अनुमानों और आवंटन के बीच बड़े अंतराल की भरपाई न करने पर चिंता व्यक्त की है

मुख्य बिंदु:

  • इस समिति ने प्रतिबद्ध देनदारियों और अतिरिक्त रक्षा खरीद के लिये समर्पित एक कोष की सिफारिश की है।
  • रक्षा बजट के आवंटन में कमी ने तीन त्रि-सेवा संगठनों की स्थापना तथा अंडमान और निकोबार कमांड की परिचालन तत्परता को भी प्रभावित किया है।
  • रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार समिति ने बताया कि वर्ष 2015-16 के बाद से तीनों सेवाओं में से किसी को भी अनुमान के अनुसार बजट का आवंटन नहीं किया गया है।

तीनों सेनाओं का बजटीय अंतराल:

  • थलसेना के लिये बजटीय पूंजी अनुमान आयर आवंटन में अंतराल, जो वर्ष 2015-16 में 4,596 करोड़ रुपए था, वर्ष 2020-21 में बढ़कर 17,911.22 करोड़ रुपए हो गया (14% से 36%)।
  • नौसेना के मामले में यह अंतराल वर्ष 2014-15 के 1,264.89 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 18,580 करोड़ रुपए हो गया (5% से 41%)।
  • वायुसेना के मामले में यह अंतराल 2015-16 के 12,505.21 करोड़ रुपए से बढ़कर बढ़कर वर्ष 2020-21 में 22,925.38 करोड़ रुपए हो गया (27% से 35%)।

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समिति द्वारा प्रदत्त जानकारी:

  • समिति का मानना है कि इस तरह की स्थिति देश को आधुनिक युद्ध के लिये तैयार करने हेतु अनुकूल नहीं है, क्योंकि पूंजी गहन आधुनिक मशीनों की आवश्यकता किसी भी युद्ध के परिणाम को न केवल अपने पक्ष में झुकाने के लिये आवश्यक है बल्कि सुरक्षा संबंधी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिये भी अति आवश्यक है।
  • समिति ने  पूंजी आवंटन में काफी कमी का उल्लेख किया है जो कि अनुमानित पूंजी से औसतन 35% कम है।
  • समिति का मानना है कि नौसेना की लड़ने की क्षमता विमानवाहकों, पनडुब्बी, विध्वंसक और युद्धपोतों जैसे उच्च मूल्य आधारित उपकरणों पर निर्भर करती है लेकिन नौसेना के लिये पूंजीगत बजट के आवंटन में सबसे तेज़ गिरावट दर्ज की गई है।
  • अपर्याप्त पूंजी आवंटन निश्चित रूप से संविदात्मक दायित्त्वों के संदर्भ में कमी की स्थिति पैदा करेगा।
  • समिति ने कहा कि यह सुझाव देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है कि अगले बजट  से प्रतिबद्ध देनदारियों और नई योजनाओं हेतु एक समर्पित फंड की स्थापना की जाए।
  • नौसेना और भारतीय वायुसेना दोनों की ऐसी स्थिति है, जहाँ बजटीय पूंजी आवंटन के एक हिस्से से अधिक उनकी देनदारियाँ हैं।
  • इसे समान करने के लिये रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की देनदारियों के भुगतान को अन्य सेवाओं से संबंधित देनदारियों से अलग करने हेतु मजबूर किया गया है।
  • संयुक्त कर्मचारियों हेतु विविध व्यय के तहत अनुमानित बजट 4 660.94 करोड़ रुपए था, जबकि इसके लिये किया गया बजटीय आवंटन 294.00 करोड़ रुपए है स्थायी समिति को भी यह सूचित किया गया कि पिछले वर्ष का शेष बोझ केवल 32.14 करोड़ रुपए है।
  • परंतु ये आँकड़े दर्शाते हैं कि वर्तमान में बजटीय आवंटन उपलब्धता 261.86 करोड़ रुपए है और शुद्ध अंतराल 399.08 करोड़ रुपए है।
  • विविध व्यय में बजटीय आवंटन की कमी के कारण रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (Defence Space Agency- DSA) रक्षा साइबर एजेंसी (Defence Cyber Agency) और सशस्त्र बल विशेष परिचालन प्रभाग (Armed Forces Special Operations Division- AFSOD) के संचालन में असमर्थता सामने आ रही है।
  • बजटीय आवंटन में कमी से अंडमान और निकोबार कमांड के सामने जहाज़ों की वार्षिक परिचालन योजनाओं, वार्षिक मरम्मतीकरण योजनाओं, सिग्नल इंटेलिजेंस के रखरखाव, प्रशिक्षण संस्थानों और परिचालन इकाइयों के प्रशासन पर नकारात्मक प्रभाव के कारण परिचालन संबंधी बाधाएँ आ रही हैं।

संसदीय स्थायी समिति:

  • स्थायी समितियाँ अनवरत प्रकृति की होती हैं अर्थात् इनका कार्य सामान्यतः निरंतर चलता रहता है। इस प्रकार की समितियों का पुनर्गठन वार्षिक आधार पर किया जाता है। इनमें शामिल कुछ प्रमुख समितियाँ इस प्रकार हैं :
    • लोक लेखा समिति
    • प्राक्कलन समिति
    • सार्वजनिक उपक्रम समिति
    • एस.सी. व एस.टी. समुदाय के कल्याण संबंधी समिति
    • कार्यमंत्रणा समिति
    • विशेषाधिकार समिति
    • विभागीय समिति

स्रोत- द हिंदू

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