गंगा ग्राम परियोजना | 26 Dec 2017
चर्चा में क्यों ?
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा 23 दिसम्बर को नई दिल्ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा ग्राम परियोजना का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंगा नदी के तट पर स्थित गाँवों में सम्पूर्ण स्वच्छता का अनुपालन करना है।
प्रमुख बिंदु
- अगस्त, 2017 में 5 गंगा राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल) के सक्रिय सहयोग से मंत्रालय द्वारा सभी 4470 गंगा गाँवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है।
- अक्टूबर, 2014 में मिशन के आरंभ होने के बाद मंत्रालय द्वारा 6 राज्यों व 2 केंद्र-शासित प्रदेशों के 260 ज़िलों में स्थित 2.95 लाख गाँवों में 5.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया तथा इन गाँवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया।
- गंगा तट पर बसे गाँवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित करने के पश्चात् मंत्रालय व राज्य सरकारों द्वारा 24 ऐसे गाँवों की पहचान की गई, जिन्हें गंगा ग्राम के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। इन गाँवों के माध्यम से स्वच्छता का मानदंड स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा।
- इन गाँवों को 31 दिसम्बर, 2018 तक गंगा ग्राम में परिवर्तित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
नोडल निकाय
- स्वच्छ भारत मिशन के लिये पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है।
लक्ष्य
- गंगा ग्राम परियोजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से गंगा तट पर बसे गाँवों के सम्पूर्ण विकास के लिये एकीकृत दृष्टिकोण को अपनाना है।
- गंगा ग्राम परियोजना के अंतर्गत ठोस और द्रव कचरा प्रबंधन, तालाबों और अन्य जलाशयों के पुनरूद्धार, जल संरक्षण परियोजनाओं, जैविक खेती, बागवानी तथा औषधीय पौधों को प्रोत्साहन देने जैसे घटकों को शामिल किया गया हैं।
सलाहकार समिति का गठन
- पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति का गठन किया गया है, जो इस संबंध में आवश्यक सभी प्रकार की नीतियों के निर्माण के साथ-साथ सभी ज़रूरी निर्णय लेगी।
- इसके अतिरिक्त एक अन्य समिति का भी गठन किया गया है, जो परियोजना का पर्यवेक्षण करेगी, समन्वय स्थापित करेगी तथा इसे लागू करेगी।
गंगा स्वच्छता मंच का गठन
- पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री की पहल पर एक गंगा स्वच्छता मंच का गठन किया गया है। इस मंच में शिक्षाविदों और नागरिक संगठनों के साथ-साथ आम नागरिकों की सहभागिता को भी सुनिश्चित किया गया है।
‘नमामि गंगे’ योजना
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्लैगशिप योजना ‘नमामि गंगे’ को मई 2015 में स्वीकृति दी गई थी।
- इस योजना के तहत गंगा नदी को समग्र तौर पर संरक्षित और स्वच्छ करने के कदम उठाए जा रहे हैं।
- इस पर वर्ष 2020 तक 20 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है।
- गंगा को स्वच्छ करने के लिये पिछले 30 सालों में सरकार की ओर से खर्च की गई राशि से यह चार गुना अधिक है।
- बेहतर और टिकाऊ परिणाम हासिल करने के लिये इस कार्यक्रम में अहम् बदलाव करते हुए गंगा नदी के किनारे बसे लोगों को ‘स्वच्छ गंगा मिशन’ में शामिल किया गया है।
- गंगा स्वच्छता मिशन में राज्यों और ज़मीनी स्तर के संस्थानों, जैसे- शहरी स्थानीय निकाय और पंचायती राज संस्थानों को शामिल किया गया है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga-NMCG) द्वारा लागू किया जा रहा है।
- गंगा की सफाई के लिये इस मिशन को बेहतर तरीके से लागू करने के लिये इसकी त्रिस्तरीय निगरानी की जा रही है—
⇒ कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कार्यबल का गठन किया गया है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर एन.एम.सी.जी. मदद करता है।
⇒ राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है, जिसे एस.पी.एम.जी.ए. सहायता करते हैं।
⇒ ज़िलाधिकारी की अध्यक्षता में ज़िला स्तर पर कमेटियाँ बनाई गई हैं। - इस कार्यक्रम को रफ्तार देने के लिये इसके तहत आने वाली सभी गतिविधियों और परियोजनाओं का सम्पूर्ण वित्त पोषण केन्द्र सरकार कर रही है।
- जहाँ गंगा में ज़्यादा प्रदूषण है वहाँ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप/स्पेशल पर्पज़ व्हीकल (पीपीपी/एसपीवी) के ज़रिये गंगा की सफाई करने की योजना है।
- इस योजना को और मज़बूत ढंग से लागू करने के लिये चार बटालियन गंगा इको टास्क फोर्स के गठन की योजना है, जो प्रादेशिक सैन्य इकाई होगी।