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लेप्टोस्पायरोसिस के लिये टीका विकसित करने के क्रम में प्रारंभिक कदम

  • 23 May 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, गांधीनगर के शोधकर्त्ताओं ने एक प्रमुख पेप्टाइड की पहचान की है, जिसका उपयोग लेप्टोस्पायरोसिस के निवारण के लिये टीका विकसित करने के लिये किया जा सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस एक तीव्र संक्रामक बीमारी है तथा वर्तमान में इसके निवारण के लिये बाज़ार में कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

शोध

  • शोधकर्त्ताओं ने बैक्टीरिया लेप्टोस्पाइरा इंटेरोगंस  के पूरे प्रोटीन समूह को जानने के लिये कंप्यूटर-आधारित विश्लेषण का उपयोग किया, करने के बाद एक प्रभावी प्रतिरक्षात्मक प्रोटीन की खोज की। 
  • यह प्रोटीन जीवाणु के लगभग सभी सेरोवरों (एक प्रजाति के अंतर्गत विभिन्न प्रकार) में पाया गया तथा टीके के लिये यह एक प्रभावी घटक हो सकता है।
  • एक सेरोवर कोपेनहेगेनी स्ट्रेन के प्रोटीओम (पूरे प्रोटीन का सेट) का अध्ययन बायोइनफॉरमैटिक्स (अभिकलनात्मक जटिलता युक्त बायोलॉजी विश्लेषण) दृष्टिकोण का उपयोग करके किया गया था।
  • बैक्टीरिया के अंदर 3,654 प्रोटीनों का अध्ययन उन्नत अभिकलनात्मक तरीकों द्वारा किया गया तथा एंटीजेनेसिटी- प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रेरित करने के लिये बी-कोशिकाओं पर मौजूद एंटीबॉडी से बांधने की क्षमता का पूर्वानुमान लगाया गया।
  • व्यापक विश्लेषण ने 21 प्रोटीन को चुनने में मदद की, जिसमें उच्च एंटीजेनेसिटी स्कोर था।

मेम्ब्रेन प्रोटीन 

  • इन प्रोटीनों के साथ-साथ शोधकर्त्ताओं ने बाहरी मेम्ब्रेन प्रोटीन की पहचान के लिये भी शोध की क्योंकि ये बैक्टीरिया तथा उनके पोषक के बीच परस्पर क्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये जाने जाते हैं। 
  • आगे के अभिकलनात्मक प्रतिरूपण तथा अनुकरण ने एक विशेष प्रोटीन को चुनने में मदद की। 
  • भौतिक, रासायनिक और संरचनात्मक अध्ययन किये जाने के बाद प्रोटीन को इम्यूनोजेन के रूप में चुना गया।
  • इसके बाद मानव की T-कोशिकाओं तथा B-कोशिकाओं पर उन स्थलों की खोज की गई, जहाँ एंटीजन को संगठित किया जा सकता था।
  • शोधकर्त्ताओं ने कोशिकाओं के पृष्ठ, लचीलापन, जल के प्रति आकर्षण का अच्छी तरह से पर्यवेक्षण किया तथा उन पेप्टिसाइड क्रमों की पहचान की जिन्हें हमारे पेप्टाइड टीके के साथ संगठित किया जा सके तथा लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्रदान कर सके।
  • पहचान किये गए प्रमुख प्रोटीन के विट्रो सत्यापन में बैक्टीरिया के विभिन्न उपभेदों के लिये प्रोटीओमिक और जीनोमिक अध्ययन किया जाना है।

लेप्टोस्पायरोसिस एक जानलेवा बीमारी

  • यह एक प्रकार का संक्रमण है जो लेप्टोस्पाइरा नामक कॉकस्क्रू आकार के बैक्टीरिया से फैलता है। इस रोग का वर्णन पहली बार 1886 में जर्मनी में वेल द्वारा किया गया था। 
  • 2015 में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, लेप्टोस्पायरोसिस के कारण हर साल विश्व में लगभग 60,000 मौतें होती हैं। 
  • यह बैक्टीरिया दूषित जल या मिट्टी के संपर्क के माध्यम से अथवा घरेलू या जंगली जानवरों को आश्रय प्रदान करने वाले जलाशयों के सीधे संपर्क में आने के कारण प्रसारित हो सकते हैं। 
  • हल्का-फुल्का सिरदर्द, माँसपेशियों में दर्द और बुखार से लेकर फेफड़ों से रक्तस्राव जैसे गंभीर लक्षण हो सकते हैं।  
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