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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

G7 सम्मेलन

  • 02 Sep 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में फ्रांँस के बिआरित्ज़ (Biarritz) में G7 सम्मेलन संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रांँसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन के विशेष अतिथि के रूप में शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया गया था।

G7 क्या है?

  • G7 में कनाडा, फ्रांँस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसे वर्ष 1975 में उस समय की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं द्वारा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिये एक अनौपचारिक मंच के रूप में गठित किया गया था।
  • कनाडा वर्ष 1976 और यूरोपीय संघ वर्ष 1977 से समूह में भाग ले रहे हैं। वर्ष 1998 में रूस के इस समूह में शामिल होने के बाद कई वर्षों तक G7 को G8 के रूप में जाना जाता था। रूस को वर्ष 2014 में क्रीमिया विवाद के बाद सदस्यता से निष्कासित कर दिये जाने के पश्चात् समूह को फिर से G7 कहा जाने लगा।
  • G7 देशों के राष्ट्राध्यक्ष वार्षिक शिखर सम्मेलन में मिलते हैं जिसकी अध्यक्षता सदस्य देशों के नेताओं द्वारा एक घूर्णन आधार (Rotational Basis) पर की जाती है।
  • फ्रांँस में संपन्न G7 का यह 45वांँ शिखर सम्मेलन है और अगला शिखर सम्मेलन वर्ष 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित किया जाएगा। मेज़बान देश आमतौर पर शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिये G7 के बाहर के गणमान्य लोगों को आमंत्रित करता है।

शेरपा (Sherpas):

  • शेरपा द्वारा शिखर सम्मेलन के लिये ज़मीनी स्तर के मुद्दों हेतु मुख्य सम्मेलन से पहले अनुवर्ती बैठकें की जाती हैं।
  • शेरपा आमतौर पर व्यक्तिगत प्रतिनिधि या राजनयिक स्टाफ के सदस्य जैसे राजदूत होते हैं।
  • वर्तमान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये शेरपा पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु हैं।

G7 के उद्देश्य:

  • G7 की शुरुआत अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा 1970 के दशक के अंत में वैश्विक आर्थिक संकट से लड़ने के लिये की गई थी।
  • G7 अपने गठन के बाद से ही दशक को प्रभावित करने वाले वित्तीय संकट और विशिष्ट चुनौतियों से निपटने हेतु समाधान जैसे मुद्दों पर चर्चा करता है। इसके साथ ही यह विघटन के बाद के सोवियत राष्ट्रों के आर्थिक बदलाव, आतंकवाद, हथियारों पर नियंत्रण और ड्रग तस्करी जैसे अन्य मुद्दों पर चर्चा करता है।
  • G7 का कोई औपचारिक संविधान या एक निर्धारित मुख्यालय नहीं है। वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान देशों द्वारा लिये गए निर्णय गैर-बाध्यकारी होते हैं।

इस सम्मेलन में भारत का पक्ष:

  • भारत को फ्रांँस द्वारा शिखर सम्मेलन में एक विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
  • भारत और फ्रांँस जलवायु परिवर्तन से निपटने तथा अक्षय ऊर्जा के विकास जैसे सामान्य हितों को ध्यान में रखते हुए अपने संबंधों को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की थी।
  • भारत के प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में डिजिटलीकरण और जलवायु परिवर्तन पर सत्र को संबोधित किया। भारत के प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और सेनेगल के राष्ट्रपति मैके सैल के साथ भी बातचीत की।
  • जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय तनाव को कम करने और मानवाधिकारों के लिये बनाई गई योजनाओं के बारे में जानकारी दी। सम्मेलन में कश्मीर मुद्दे को भारत का आंतरिक मामला करार दिया गया।

सम्मेलन के प्रमुख मुद्दे:

  • मेज़बान के रूप में फ्राँसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ को आमंत्रित करने का निर्णय लिया, लेकिन अन्य G7 सदस्यों ने ईरान परमाणु समझौते के भविष्य पर चर्चा करने के लिये उन्हें सम्मेलन में शामिल करने के किसी भी सुझाव को अस्वीकार कर दिया।
  • रूस को वापस इस क्लब में आमंत्रित करने के प्रयास किये गए लेकिन इस मुद्दे पर सामंजस्यता नही बन पाई।
  • G7 के सदस्यों ने अमेज़ॅन वनों के आग के संकट पर भी चर्चा की और ब्राज़ील को 20 मिलियन डॉलर से अधिक सहायता देने का वादा किया गया।
  • भारत की तरफ से जलवायु परिवर्तन का मुद्दा भी गंभीरता से उठाया गया। भारत ने अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए जैव विविधता और महासागरों पर समर्पित शिखर सम्मेलन में भी भाग लिया। इस सम्मेलन में अमेज़ॅन वनों के आग को कम करने के लिये भारत के योगदान को रेखांकित किया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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