G-4 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार | 27 Sep 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यूयार्क में संपन्न एक बैठक के बाद जापान, जर्मनी, ब्राज़ील और भारत (G-4) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) में सुधारों की मांग की।

  • वर्तमान में UNSC में स्थायी सदस्य- अमेरिका, फ्राँस, रूस, ब्रिटेन और चीन हैं जिनमे से केवल चीन ही विकासशील देशों की श्रेणी में आता है।
  • वैश्विक भू-राजनीति के बदलते स्वरूप और विकासशील देशों की बढ़ती भूमिका के कारण परिषद की संरचना में बदलाव की मांग की जा रही है साथ ही भारत तथा ब्राज़ील जैसे विकासशील देशों की भूमिका भी बढ़ाने की मांग की जा रही है।
  • इसके अतिरिक्त अंतर-सरकारी वार्ताओं (Inter Governmental Negotiations- IGN) को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में और महासभा के नियमों तथा प्रक्रियाओं के तहत निर्देशित किये जाने की मांग की गई।
  • G-4 के सदस्य देशों ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार संबंधी निर्णय संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) में दो-तिहाई के बहुमत से होना चाहिये, जैसा कि UNGA के वर्ष 1998 के एक प्रस्ताव में उल्लेखित है।
  • G-4 देशों ने वर्ष 2020 में संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांँठ के मौके पर इसमें संरचनात्मक सुधार किये जाने की मांग कर अपनी प्रतिबध्दता व्यक्त की है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता:

  • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से वैश्विक भू-राजनीति और वैश्विक मुद्दों में परिवर्तन आया है, इसलिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने नए मुद्दे ज़्यादा प्रासंगिक हो गए हैं अतः संयुक्त राष्ट्र की संरचना और कार्यशैली में भी परिवर्तन होना चाहिये।
  • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद हुई थी उस समय विश्व दो गुटों में विभाजित था, इसलिये वैश्विक समरसता और एकरूपता के ध्येय से इसकी संरचना की गई थी।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध बाद के शीत युद्ध की स्थितियों में भी इसकी संरचना की प्रासंगिकता बनी रही, क्योंकि शीत युद्ध के दौरान के दो प्रतियोगी रूस और अमेरिका, दोनों को स्थायी सदस्यता प्राप्त थी। साथ ही दोनों इस प्रकार के वैश्विक पटल पर एक-दूसरे को संतुलित कर रहे थे।
  • शीत युद्ध के दौरान प्रत्यक्ष संघर्ष न होने में UNSC की संरचना के तहत रूस और अमेरिका द्वारा एक दूसरे की शक्तियों को संतुलित करना एक महत्त्वपूर्ण कारक रहा था।
  • सोवियत संघ के विघटन और उदारीकृत अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र जहाँ विश्व एक तरफ वैश्वीकरण के व्यापक प्रभाव के कारण प्रत्यक्ष राजनीतिक गुटबंदी से दूर हो गया, वहीं दूसरी तरफ आर्थिक गुटबंदी, संरक्षणवाद, राज्य प्रायोजित आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रासंगिक मुद्दे वैश्विक पटल पर प्रमुखता से उभरे।
  • उपरोक्त नवीन विश्व के प्रासंगिक मुद्दों के समाधान के लिये संयुक्त राष्ट्र में व्यापक परिवर्तन होना चाहिये क्योंकि वर्तमान संरचना के अनुसार इन मुद्दों से प्रभावित पक्षों की भूमिका संयुक्त राष्ट्र में कम हो गई है।
  • वर्तमान समय में विश्व दो गुटों विकासशील और विकसित में बंँटा हुआ है लेकिन UNSC में केवल चीन ही एक विकासशील देश है, इसके अतिरिक्त अफ्रीका जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र की यहाँ पर उपस्थिति ही नहीं है।
  • पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के देश एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे हैं, इसके साथ ही भारत जैसे देश की वैश्विक स्तर पर बढ़ती भूमिका इसकी संयुक्त राष्ट्र में अधिक महत्त्वपूर्ण भागीदारी का आह्वान करती है।

(G-4)

  • सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग के लिये जापान, जर्मनी, भारत और ब्राज़ील ने G-4 के नाम से एक गुट बनाया है और स्थायी सदस्यता के मामले में एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।
  • G-4 देश लगातार बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के साथ ही UNSC की संरचना में सुधार की मांग कर रहे हैं।
  • G-4 देश 21वीं शताब्दी की समकालीन ज़रूरतों के लिये संयुक्त राष्ट्र की स्वीकार्यता हेतु सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर दे रहे हैं।

कॉफी क्लब (Coffee Club)

  • सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता में विस्तार और G-4 देशों की स्थायी सदस्यता के प्रयासों का कॉफी क्लब या यूएफसी (Uniting for Consensus- UFC) गुट के देश विरोध करते हैं।
  • कॉफी क्लब में इटली, पाकिस्तान, मेक्सिको, मिस्र, स्पेन, अर्जेंटीना और दक्षिण कोरिया जैसे 13 देश सक्रिय रूप से शामिल हैं।
  • कॉफी क्लब के देश स्थायी सदस्यता के विस्तार के पक्षधर न होकर अस्थायी सदस्यता के विस्तार के समर्थक हैं, लेकिन इन देशों की आशंका सामूहिक न होकर व्यक्तिगत हितों पर कहीं अधिक टिकी हुई है। जैसे- पाकिस्तान, अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारत के साथ शक्ति संतुलन के मद्देनज़र उसकी स्थायी सदस्यता का विरोध करता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

(United Nations Security Council- UNSC)

  • यह संयुक्त राष्ट्र की संरचना की सबसे महत्त्वपूर्ण इकाई है, जिसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1945 में किया गया था और इसके पाँच स्थायी सदस्य (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, रूस और चीन) हैं।
  • सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो का अधिकार होता है। इन देशों की सदस्यता दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के शक्ति संतुलन को प्रदर्शित करती है।
  • इन स्थायी सदस्य देशों के अतिरिक्त 10 अन्य देशों को दो वर्ष की अस्थायी सदस्यता सुरक्षा परिषद में मिलती रहती है।
  • UNSC के स्थायी और अस्थायी सदस्यों को बारी-बारी से एक-एक महीने के लिये परिषद का अध्यक्ष बनाया जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान क्वाड देशों (Quad Countries- India, US, Australia and Japan) के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई।
  • क्वाड (Quad) समूह को नवंबर 2017 में औपचारिक रूप से स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य हिंद और प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती शक्ति को संतुलित करना है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस