जी-20 सम्मेलन, 2020 | 24 Nov 2020
प्रिलिम्स के लिये:जी-20, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन, नमामि गंगे कार्यक्रम, नई शिक्षा नीति, प्रधान मंत्री नवीन शिक्षण कार्यक्रम मेन्स के लिये:नये वैश्विक सूचकांक की ज़रूरत |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, G-20 (Group of Twenty) वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भारत ने कोरोना के बाद वाली दुनिया के लिये "नया वैश्विक सूचकांक" बनाने का सुझाव दिया।
प्रमुख बिंदु
- नया वैश्विक सूचकांक 4 स्तंभों पर आधारित होगा
- प्रतिभा,
- प्रौद्योगिकी,
- पारदर्शिता और
- पृथ्वी के संरक्षण का भाव।
- इस वर्ष के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी सऊदी अरब ने की थी।
- प्रतिभा:
- मानव प्रतिभाओं का बड़ा पूल (Pool) तैयार करने के लिये बहु-कौशल (Multi-Skilling) तथा पुन: कौशल (Reskilling) पर ध्यान दिया जाए।
- भारतीय पहल जैसे कि राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (National Skill Development Mission) जिसका उद्देश्य कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों के संदर्भ में क्षेत्रों और राज्यों में पहुँच बनाना है।
- भारत की नई शिक्षा नीति (New Education policy) और प्रधान मंत्री नवीन शिक्षण कार्यक्रम (Pradhan Mantri Innovative Learning Program) जैसे कार्यक्रम इसके साथ अच्छी तरह से मेल खाते हैं।
- प्रौद्योगिकी:
- नई प्रौद्योगिकी का कोई भी आकलन जीवन की सुगमता और जीवन की गुणवत्ता पर उसके प्रभाव के आधार पर होना चाहिये।
- भारत ने एक अनुवर्ती और प्रलेखन भंडार के रूप में एक G-20 “आभासी सचिवालय” के निर्माण का सुझाव दिया।
- भारत के डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस अभियानों ने लोगों की तकनीक और अन्य सरकारी सेवाओं तक पहुँच बढ़ा दी है।
- पारदर्शिता:
- सूचना का अधिकार और ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ में सुधार जैसे सुधार भारत में शासन में पारदर्शिता को बढ़ावा देते हैं।
- न्यासिता:
- पर्यावरण के साथ “मालिकों के बजाय न्यासी” के रूप में व्यवहार करने से समग्र और स्वस्थ जीवन शैली का जन्म होगा।
- जलवायु परिवर्तन को साइलो (Silo) में नहीं बल्कि एकीकृत, व्यापक और समग्र तरीके से लड़ा जाना चाहिये।
- कार्बन फुटप्रिंट ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा है जो मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड को एक विशेष मानवीय गतिविधि द्वारा वायुमंडल में छोड़ा जाता है।
- भविष्य की बैठकें: वर्ष 2021 में इटली, वर्ष 2022 में इंडोनेशिया, वर्ष 2023 में भारत और वर्ष 2024 में ब्राज़ील।
उत्सर्जन को कम करने के लिये भारत की पहल
- ढाँचागत क्षेत्र: भारत का अगली पीढ़ी का बुनियादी ढाँचा न केवल सुविधाजनक और कुशल होगा, बल्कि यह एक स्वच्छ वातावरण में भी योगदान देगा। उदाहरण: वर्ष 2017 में हैम्बर्ग जी-20 बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित आपदा रोधी अवसंरचना के लिये गठबंधन। यह एक संयोजक निकाय के रूप में कार्य करेगा जो निर्माण, परिवहन, ऊर्जा, दूरसंचार और पानी के पुनर्निर्माण के लिये दुनिया भर से सर्वोत्तम प्रथाओं और संसाधनों को पूल (Pool) करेगा ताकि प्राकृतिक आपदाओं में इन बुनियादी ढाँचागत क्षेत्रों के कारकों का निर्माण हो।
- स्वच्छ ऊर्जा का निर्माण: भारत-फ्राँस अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) की संयुक्त पहल।
- ISA कार्बन फुट-प्रिंट को कम करने में योगदान देगा।
- भारत वर्ष 2022 के लक्ष्य से पहले पेरिस जलवायु समझौते के तहत किये गए अपने जलवायु प्रतिबद्धताओं के एक हिस्से के रूप में 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के अपने लक्ष्य को पूरा करेगा।
- उजाला (Unnat Jeevan by Affordable LED and Appliances for All -UJALA) और LED राष्ट्रीय सड़क प्रकाश कार्यक्रम (LED Street Lighting National Programme) योजना ने LED लाइट्स को लोकप्रिय बना दिया है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 38 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की बचत होती है।
- उज्जवला योजना: इसके तहत धुआं-रहित रसोई 80 मिलियन से अधिक घरों में उपलब्ध कराई गई है।
- मरुस्थलीकरण: संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन (United Nations Convention to Combat Desertification) विकास और पर्यावरण को स्थायी भूमि प्रबंधन से जोड़ता है और इसका उद्देश्य मरुस्थलीकरण और सूखे के बुरे प्रभावों का मुकाबला करना है।
- स्वच्छ वायु और जल: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme) का उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना है और नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा नदी का कायाकल्प करना तथा शासन में ट्रस्टीशिप की भावना को प्रदर्शित करता है।