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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

फ्यूजन एनर्जी ब्रेकथ्रू

  • 15 Dec 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नाभिकीय संलयन, नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विखंडन के बीच अंतर।

मेन्स के लिये:

नाभिकीय संलयन के फायदे।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिका के लॉरेंस लिवरमोर फैसिलिटी में कुछ वैज्ञानिकों ने नाभिकीय संलयन अभिक्रिया से ऊर्जा में शुद्ध लाभ हासिल किया है, जिसे एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जाता है।

  • चीन का कृत्रिम सूर्य, जिसे उन्नत नाभिकीय संलयन प्रयोगात्मक अनुसंधान उपकरण ( Experimental Advanced Superconducting Tokamak- EAST) कहा जाता है, सूर्य पर  होने वाले नाभिकीय संलयन के सामान कार्य करता है।

प्रयोग (Experiment):

  • प्रयोग ने हाइड्रोजन की अति सूक्ष्म मात्रा को काली मिर्च के आकार के कैप्सूल में बदलने का प्रयास किया, जिसके लिये वैज्ञानिकों ने एक शक्तिशाली 192-बीम लेज़र का उपयोग किया जो 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस ऊष्मा उत्पन्न कर सकता था।
  • इसे 'जड़त्वीय संलयन' भी कहते हैं।
  • लेजर बीम सूर्य के केंद्र से अधिक गर्म था और हाइड्रोजन ईंधन को पृथ्वी के वायुमंडल के 100 अरब गुना से अधिक तक संपीड़ित करने में मदद कर सकता था।
  • इन बलों के दबाव में कैप्सूल अपने आप में विस्फोट करना शुरू कर देता है और हाइड्रोजन नाभिकीय संलयन एवं ऊर्जा उत्सर्जन के लिये अग्रणी होता है।

भविष्य की संभावना:

  • संलयन प्रक्रिया में विशेषज्ञता हासिल करने का प्रयास कम से कम वर्ष 1950 के दशक से चल रहा है लेकिन यह अविश्वसनीय रूप से कठिन है और अभी भी एक प्रायोगिक चरण में है।
  • वर्तमान में विश्व भर में उपयोग की जाने वाली नाभिकीय ऊर्जा विखंडन प्रक्रिया से आती है।
  • अधिक ऊर्जा उत्पादन के अलावा, संलयन ऊर्जा का कार्बन मुक्त स्रोत भी है और इसमें नगण्य विकिरण ज़ोखिम हैं।
  • हालाँकि उपलब्धि महत्त्वपूर्ण है, लेकिन यह संलयन प्रक्रियाओं से विद्युत उत्पादन के लक्ष्य को वास्तविकता के करीब लाने के लिये बहुत कम है।
  • सभी अनुमानों से व्यावसायिक स्तर पर विद्युत उत्पादन करने के लिये संलयन प्रक्रिया का उपयोग अभी भी दो से तीन दशक दूर है।
  • US प्रयोग में उपयोग की जाने वाली तकनीक को तैनात होने में और भी अधिक समय लग सकता है।

संलयन:

  • संलयन एक परमाणु के नाभिक में स्थित विशाल ऊर्जा का दोहन करने का एक अलग लेकिन अधिक शक्तिशाली तरीका है।  
  • संलयन में दो हल्के तत्त्वों के नाभिक आपस में जुड़कर एक भारी परमाणु नाभिक का निर्माण करते हैं।
  • इन दोनों प्रक्रियाओं में बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है, लेकिन विखंडन की तुलना में संलयन में काफी अधिक होती है।
    • यह वह प्रक्रिया है जो सूर्य और अन्य सभी तारों को चमक प्रदान करती है तथा ऊर्जा का विकिरण करती है।

Fusion

नाभिकीय संलयन के लाभ 

  • प्रचुर मात्रा में ऊर्जा: 
    • नियंत्रित तरीके से  परमाणुओं को एक साथ मिलाने से कोयले, तेल या गैस के जलने जैसी रासायनिक प्रतिक्रिया की तुलना में लगभग चार मिलियन गुना अधिक ऊर्जा और नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रियाओं (समान द्रव्यमान पर) की तुलना में चार गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है।  
    • संलयन की क्रिया में शहरों और उद्योगों को बिजली प्रदान करने हेतु आवश्यक बेसलोड ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता है।
  • स्थिरता:
    • संलयन आधारित ईंधन व्यापक रूप से उपलब्ध हैं और अक्षय है। ड्यूटेरियम को सभी प्रकार के जल से डिस्टिल्ड किया जा सकता है, जबकि संलयन प्रतिक्रिया के दौरान ट्रिटियम का उत्पादन किया जाएगा क्योंकि न्यूट्रॉन लिथियम के साथ फ्यूज़न करते हैं। 
  • CO₂ का उत्सर्जन नहीं: 
    • संलयन की क्रिया से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों जैसे हानिकारक विषाक्त पदार्थों का उत्सर्जन नहीं होता है। इसका प्रमुख सह- उत्पाद हीलियम है जो कि एक अक्रिय और गैर-विषाक्त गैस है।
  • लंबे समय तक रहने वाले रेडियोधर्मी कचरे से बचाव: 
    • नाभिकीय संलयन रिएक्टर उच्च गतिविधि व लंबे समय तक रहने वाले नाभिकीय अपशिष्ट का उत्पादन नहीं करते हैं।
  • प्रसार का सीमित जोखिम: 
    • संलयन में यूरेनियम और प्लूटोनियम जैसे विखंडनीय पदार्थ उत्पन्न नहीं होते हैं (रेडियोधर्मी ट्रिटियम न तो विखंडनीय है और न ही विखंडनीय सामग्री है)। 
  • पिघलने का कोई खतरा नहीं:
    • संलयन के लिये आवश्यक सटीक स्थितियों तक पहुंँचना और उन्हें बनाए रखना काफी मुश्किल है तथा यदि संलयन की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी होती है, तो प्लाज़्मा कुछ ही सेकंड के भीतर ठंडा हो जाता है और प्रतिक्रिया बंद हो जाती है।

नाभिकीय संलयन बनाम नाभिकीय विखंडन

 

नाभिकीय विखंडन

नाभिकीय संलयन 

परिभाषा

विखंडन का आशय एक बड़े परमाणु का दो या दो से अधिक छोटे परमाणुओं में विभाजन से है।

नाभिकीय संलयन का आशय दो हल्के परमाणुओं के संयोजन से एक भारी परमाणु नाभिक के निर्माण की प्रकिया से है।

घटना

विखंडन प्रकिया सामान्य रूप से प्रकृति में घटित नहीं होती है।

प्रायः सूर्य जैसे तारों में संलयन प्रक्रिया घटित होती है।

ऊर्जा आवश्यकता

विखंडन प्रकिया में दो परमाणुओं को विभाजित करने में बहुत कम ऊर्जा लगती है।

दो या दो से अधिक प्रोटॉन को एक साथ लाने के लिये अत्यधिक उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्राप्त ऊर्जा

विखंडन द्वारा जारी ऊर्जा रासायनिक प्रतिक्रियाओं में जारी ऊर्जा की तुलना में एक लाख गुना अधिक होती है, हालाँकि यह नाभिकीय संलयन द्वारा जारी ऊर्जा से कम होती है।

संलयन से प्राप्त ऊर्जा विखंडन से निकलने वाली ऊर्जा से तीन से चार गुना अधिक होती है।

ऊर्जा उत्पादन 

विखंडन प्रकिया का उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में किया जाता है।

यह ऊर्जा उत्पादन के लिये  एक प्रायोगिक तकनीक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स

प्रश्न. नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का कार्य होता है:(2011) 

(a) न्यूट्रॉन की गति को धीमा करना।
(b) न्यूट्रॉन की गति बढ़ाना ।
(c) रिएक्टर को ठंडा करना ।
(d) परमाणु अभिक्रिया को रोकना।

उत्तर: (a)

  • भारी जल (D2O), जिसे ड्यूटेरियम ऑक्साइड भी कहा जाता है, ड्यूटेरियम (हाइड्रोजन समस्थानिक) से बना जल होता है, जिसका द्रव्यमान सामान्य जल (H2O) से दोगुना होता है।
  • भारी जल प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, हालाँकि यह सामान्य पानी की तुलना में बहुत कम होता है।
  • यह आमतौर पर परमाणु रिएक्टरों में न्यूट्रॉन मॉडरेटर के रूप में प्रयोग किया जाता है, यानी न्यूट्रॉन की गति को धीमा करने के लिये।

अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।


मेन्स

प्रश्न. ऊर्जा की बढ़ती ज़रूरतों के परिप्रेक्ष्य में क्या भारत को अपने नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार करना जारी रखना चाहिये? परमाणु ऊर्जा से संबंधित तथ्यों की विवेचना कीजिये। (2018)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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