भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न आयामों से संबंधित चुनौतियाँ | 24 Aug 2017
चर्चा में क्यों?
वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (The Financial Stability and Development Council - FSDC) की 17वीं बैठक का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस बैठक में भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद समस्याओं एवं चुनौतियों के विषय में विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
- परिषद द्वारा इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले सभी बाह्य एवं आंतरिक विषयों का हल निकालने के लिये एक सटीक एवं व्यवस्थित प्रबंधन व्यवस्था को स्थापित किया जाना चाहिये।
- एफ.एस.डी.सी. द्वारा वित्तीय क्षेत्र (Computer Emergency Response Team in the Financial Sector - CERT-Fin) तथा वित्तीय डाटा प्रबंधन केंद्र (Financial Data Management Centre) में कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की स्थापना के संबंध में हुई प्रगति एवं विकास के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।
- परिषद द्वारा केंद्रीय के.वाई.सी. रिकार्ड्स रजिस्ट्ररी (Central KYC Records Registry - CKYCR) प्रणाली के बारे में विचार-विमर्श किया गया तथा सी.के.वाई.सी.आर. के परिचालन से संबंधित मुद्दों एवं सुझावों के विषय में भी चर्चा की गई।
- परिषद द्वारा क्रेडिट रेटिंग एजेंसीज़ (Credit Rating Agencies - CRAs) के विनियमन को मज़बूत बनाने के विषय में भी विचार-विमर्श किया गया।
- परिषद द्वारा स्पष्ट किया गया कि वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था में वृहत् आर्थिक स्थिरता मौलिकताओं की पृष्ठभूमि में सुधारों, वस्तु और सेवा कर (GST) की शुरुआत से संरचनात्मक सुधारों, दोहरे तुलन-पत्र (Twin Balance Sheet) की चुनौतियों के समाधान के लिये की गई कार्रवाईयों, बढ़ते बांड (rising bond) तथा विशेष रूप से स्टॉक मूल्यांकन में परिलक्षित विशिष्ट वित्तीय बाजार विश्वास एवं विमुद्रीकरण के दीर्घकालीन सकारात्मक प्रभाव के कारण वृहत् आर्थिक स्थिरता आई है।
- परिषद ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) और विश्व बैंक द्वारा भारत के लिये संयुक्त रूप से आयोजित वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम (Financial Sector Assessment Program) की प्रगति का भी जायज़ा लिया।
- परिषद ने यही भी निर्देश दिया कि आकलन रिपोर्ट को इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिया जाना चाहिये।
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद
- वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (Financial Stability and Development Council - FSDC) का गठन दिसंबर, 2010 में किया गया था।
- परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की जाती है।
- इसके सदस्यों में भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, वित्त सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs) के सचिव, वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services) सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, सेबी (Securities and Exchange Board of India) के अध्यक्ष, इरडा (Insurance Regulatory and Development Authority) के अध्यक्ष, पी.एफ.आर.डी.ए. (Pension Fund Regulatory and Development Authority) के अध्यक्ष शामिल होते हैं ।
यह क्या कार्य करता है?
- परिषद का कार्य वित्तीय स्थिरता (financial stability), वित्तीय क्षेत्र के विकास (financial sector development), अंतर-नियामक समंवय (inter–regulatory coordination), वित्तीय साक्षरता (financial literacy), वित्तीय समावेशन (financial inclusion) तथा बड़ी वित्तीय कंपनियों के कामकाज सहित अर्थव्यवस्था से जुड़े छोटे-छोटे मुद्दों का विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण करना हैं।
- इसके अतिरिक्त यह परिषद को अपनी गतिविधियों के लिये अलग से कोई कोष आवंटित नहीं किया जाता है।