चौथी गुरुत्वीय लहर की खोज | 29 Sep 2017
चर्चा में क्यों?
अंतरिक्ष विज्ञान में शुरुआत से ही एक प्रश्न गहन विस्मय एवं अध्ययन का विषय बना हुआ है कि ब्रह्मांड की शुरुआत कैसे हुई? इस प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ने के लिये वैज्ञानिकों द्वारा बहुत लंबे समय से शोध किया जा रहा है। हालाँकि वैज्ञानिकों द्वारा इस गुत्थी को सुलझाने में काफी हद तक सफलता हासिल कर ली गई है। वैज्ञानिकों द्वारा इस संबंध में गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों की खोज की गई है। ध्यातव्य है कि आइंस्टीन द्वारा सापेक्षता के सिद्धांत के भाग के तौर पर सौ वर्ष पहले इन तंरगों के विषय में उल्लेखित किया गया था, परंतु वर्ष 2015 में पहली बार इसके संबंध में साक्ष्य प्राप्त हुए।
- इसी खोज के अगले पड़ाव के रूप में शोधकर्त्ताओं द्वारा इटली स्थित उपकरणों की सहायता से चौथी गुरुत्वाकर्षण की खोज की गई है।
हाल की खोज
- इटली के पीसा के पास कैसिना (Cascina) में यूरोपीय ग्रेविटेशनल ऑब्ज़र्वेटरी (European Gravitational Observatory - EGO) में स्थित विर्गो डिटेक्टर (Virgo Detector) के अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि नव-निर्मित स्पिन्निंग ब्लैक होल (Spinning Black Hole) का द्रव्यमान हमारे सूर्य से लगभग 53 गुना अधिक है।
- वैज्ञानिकों द्वारा दो विशालकाय ब्लैक होलों के आपस में टकराने से उत्पन्न हुई तरंगों का पता लगाया गया है, जिससे अंतरिक्ष एवं समय के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- यह विर्गो डिटेक्टर द्वारा दर्ज़ की गई पहली महत्त्वपूर्ण गुरुत्वाकर्षणीय तरंग है।
विर्गो डिटेक्टर के विषय में
- विर्गो डिटेक्टर, एक भूमिगत एल () आकार का उपकरण है, जो लेज़र प्रकाश एवं अंतरिक्ष भौतिकी का उपयोग करते हुए गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों को ट्रैक करता है।
- हाल ही में अपग्रेड किये जाने के बावजूद यह अभी भी अपने यू.एस. समकक्षों की तुलना में कम संवेदनशील है।
- इंटरफेरोमीटर (Interferometer) के रूप में पहचाने जाने वाले इसके हाई-टेक भूमिगत स्टेशन दूरबीन की भाँति आकाशीय प्रकाश पर आधारित नहीं होते हैं।
- ये अंतरिक्ष में होने वाले कंपन को महसूस करने एवं गुरुत्वाकर्षणीय लहर द्वारा निर्मित कलरव अथवा कूजन (Chirp) को दर्ज़ करने में सक्षम होते हैं।
- विर्गो संगठन के अंतर्गत तकरीबन 280 से अधिक भौतिकविद् और 20 विभिन्न यूरोपीय अनुसंधान समूहों से जुड़े इंजीनियर शामिल हैं।
पूर्व की खोज
- ध्यातव्य है कि इससे पूर्व अमेरिका स्थित दो डिटेक्टरों का उपयोग करते हुए गुरुत्वाकर्षणीय तरंगों का पता लगाया गया है।
- लिविंगस्टोन, लुइसियाना एवं हानफोर्ड वाशिंगटन में स्थित लीगो (Laser Interferometer Gravitational Wave Observatory - LIGO) डिटेक्टरों को दुनिया के सबसे परिष्कृत डिटेक्टर माना जाता है।
- ध्यातव्य है कि सितंबर 2015 में पहली गुरुत्वाकर्षणीय तरंग को खोजा गया था, जिसकी सार्वजनिक घोषणा 2016 की शुरुआत में की गई थी।
- लीगो को नेशनल साइंस फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित तथा कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (California Institute of Technology - Caltech) एवं मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Massachusetts Institute of Technology - MIT) द्वारा संचालित किया जाता है।
गुरुत्वीय तरंग क्या होती है?
- वैज्ञानिकों के मतानुसार, काल-अंतराल संरचना में छोटी-छोटी लहरें उठती रहती हैं, जिन्हें क्वांटम विचलन (Quantum Fluctuation) कहा जाता है। हालाँकि, इन लहरों को देख पाना संभव नहीं होता है क्योंकि ये बहुत अधिक सूक्ष्म होती हैं।
- इस तरह के विचलन ब्रह्माण्ड के जन्म के समय भी उपस्थित रहे होंगे, जिनके कारण महाविस्फोट जैसी विशाल घटना संभव हो पाई होगी। संभवतः इसी विशाल विचलन के कारण गुरुत्वीय तरंग उत्पन्न हुई।
- इन गुरुत्वीय तरंगों के प्रभाव को आज भी कॉस्मिक माइक्रोवेव पृष्ठभूमि (Cosmic Microwave Background) में देखा जा सकता है। वस्तुतः ये गुरुत्वीय तरंगें महाविस्फोट का पश्चात्वर्ती आघात (Aftershock) प्रभाव है। उक्त्त डिटेक्टरों द्वारा इन्हीं गुरुत्वीय तरंगों के प्रत्यक्ष प्रमाण प्राप्त करने में सफलता हासिल हुई है।