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भारतीय वैज्ञानिकों की एक नई खोज : स्मार्ट विंडो

  • 13 Nov 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों

बेंगलुरु के वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसे स्मार्ट विंडो अर्थात् खिड़की (smart window) विकसित की गई है जिसमें जैसे ही इसे ऊष्मा प्रदान की जाती है यह स्वचालित रूप से पारदर्शी से अपारदर्शी हो जाती है, लेकिन जैसे ही इसे ऊष्मा से पृथक किया जाता है तो यह अपनी मूल पारदर्शी स्थिति में वापस आ जाती है। इस प्रकार की खिड़कियों का घरों, कार्यालयों और यहाँ तक कि कारों और हवाई जहाजों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

इनके निर्माण में किस प्रकार के तत्त्वों का इस्तेमाल किया गया है?

  • सी.ई.एन.एस. (Centre for Nano and Soft Matter Sciences (CeNS) के शोधकर्त्ताओं द्वारा भिन्न-भिन्न व्यवहारों वाली तीन अलग-अलग प्रकार की खिड़कियाँ (थर्मोक्रोमिक, हाइड्रोकार्बन, हाइड्रोजेल) बनाई गई हैं।
  • ये तीनों अलग-अलग प्रकार की खिड़कियाँ थर्मोक्रोमिक, हाइड्रोकार्बन, हाइड्रोजेल (thermochromic, hydrocarbon, hydrogel) से निर्मित हैं।

ये किस प्रकार कार्य करती हैं?

  • हाइड्रोजेल (hydrogel) से बनी खिड़कियों को जब ऊष्मा के संपर्क में लाया जाता है तो ये पारदर्शी से  अपारदर्शी में परिवर्तित हो जाती हैं और जैसे ही इससे ऊष्मा को दूर किया जाता है तो ये पुन: अपने स्वाभाविक रूप में वापस आ जाती है। 
  • थर्मोक्रोमिक (Thermochromic) और हाइड्रोकार्बन (hydrocarbon) से बनी खिड़कियाँ कमरे के तापमान पर अपारदर्शी होती हैं और जैसे ही ये गर्म होने लगती हैं ये पुन: पारदर्शी बन जाती हैं।

सौर और इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण

  • ये ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (optoelectronic devices), जो प्रकाश और विद्युत धाराओं दोनों पर काम करते हैं, का मूल घटक पारदर्शी हीटर होता है। 
  • थर्मोक्रोमिक खिड़कियों में एक साधारण काँच आधारित पारदर्शी हीटर लगा होता है, जो वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध तापमान-संवेदनशील रंगों से लेपित होता है। 
  • यह इसे अपारदर्शी से पारदर्शी में परिवर्तित होने में सहायता प्रदान करता है। इस प्रकार की खिड़कियों का इस्तेमाल अत्यधिक ठंड वाले क्षेत्रों में किया जा सकता है।
  • विंडो की पारदर्शिता को बहुत कम (0.2 वाट/सेमी2) ऊष्मा की आपूर्ति के माध्यम से अपनी आवश्यकतानुसार बदला जा सकता है।  
  • दूसरी और तीसरी प्रकार की खिड़कियाँ या तो हाइड्रोकार्बन (आमतौर पर उपलब्ध फैटी एसिड) या फिर हाइड्रोजेल (हाइड्रॉक्सीप्रोपिल मिथाइल सेल्युलोज) से बनी होती है, इनमें एक काँच पारदर्शी हीटर और एक सादे काँच के साथ जुड़ा हुआ होता है।
  • भारतीय कार्यालयों और घरों के लिये हाइड्रोजेल विंडो आदर्श विंडो है। जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुँचता है तो खिडकियों में लगा काँच अपारदर्शी होकर बड़ी खिड़कियों वाले कार्यालयों के लिये एक कुशल ऊष्मा प्रबंधन व्यवस्था प्रदान करता है। 
  • इस प्रकार की खिडकियों को केवल 0.2 वाट/ सेमी2 ऊष्मा प्रदान करके भी नियंत्रित किया जा सकता है। रोचक बात यह है कि इसे पूरी तरह से अपारदर्शी होने में सिर्फ दो मिनट लगते हैं।
  • हाइड्रोजेल खिड़कियाँ अवरक्त विकिरण को प्रतिबंधित कर सकती हैं, जिससे इनडोर तापमान को कम किया जा सकता है। 

इनकी कीमत क्या होगी?

  • इन तीनों प्रकार की खिड़कियों की कीमत बहुत ही कम हैं, इन्हें 100 रुपए प्रति वर्ग फुट से भी कम कीमत पर प्राप्त किया जा सकता है।
  • इतना ही नहीं इन्हें कम ऊर्जा-उपभोक्ता भवन के निर्माण में भी बहुत आसानी से स्थापित किया जा सकता है।
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