विदेशी मुद्रा भंडार | 03 Jul 2021
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा भंडार मेन्स के लिये:विदेशी मुद्रा भंडार का महत्त्व और आवश्यकता |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक के हालिया आँकड़ों के मुताबिक 25 जून, 2021 को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 बिलियन डॉलर बढ़कर 609 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है।
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में वृद्धि समग्र भंडार का प्रमुख घटक है।
प्रमुख बिंदु
विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी:
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति (FCA) 4.7 अरब डॉलर बढ़कर 566 अरब डॉलर पर पहुँच गई है।
- सोने का भंडार 365 मिलियन डॉलर बढ़कर 36.296 बिलियन डॉलर पर पहुँच गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ विशेष आहरण अधिकार (SDRs) 1.498 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ देश का रिज़र्व ट्रेंच सप्ताह में मामूली 10 लाख डॉलर बढ़कर 4.965 अरब डॉलर हो गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार:
- विदेशी मुद्रा भंडार का आशय केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति से होता है, जिसमें बाॅण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल होती हैं।
- गौरतलब है कि अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार अमेरिकी डॉलर में आरक्षित किये जाते हैं।
- भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं:
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ
- स्वर्ण भंडार
- विशेष आहरण अधिकार (SDR)
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच
विदेशी मुद्रा भंडार को बनाए रखने का उद्देश्य:
- मौद्रिक और विनिमय दर प्रबंधन के लिये नीतियों का समर्थन तथा उनमें विश्वास बनाए रखना।
- राष्ट्रीय मुद्रा के समर्थन में हस्तक्षेप करने की क्षमता प्रदान करता है।
- यह संकट के समय या जब ऋण तक पहुँच में कटौती की स्थिति में नुकसान को कम करने के लिये विदेशी मुद्रा तरलता को बनाए रखते हुए बाह्य भेद्यता को सीमित करता है।
बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का महत्त्व:
- सरकार के लिये आरामदायक स्थिति: बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार तथा भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को सुविधा प्रदान करता है।
- संकट का प्रबंधन: यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन (Balance of Payment) को लेकर संकट की स्थिति में मदद करता है।
- रुपए के मूल्य में अभिवृद्धि (Appreciation): भारत के विदेशी मुद्रा के बढ़ते भंडार ने डॉलर के मुकाबले रुपए को मज़बूती प्रदान करने में मदद की है।
- बाज़ार में विश्वास: यह भंडार बाज़ारों और निवेशकों को विश्वास का स्तर प्रदान करेगा जिससे एक देश अपने बाहरी दायित्वों को पूरा कर सकता है।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA):
- FCA ऐसी संपत्तियाँ हैं जिनका मूल्यांकन देश की स्वयं की मुद्रा के अलावा किसी अन्य मुद्रा के आधार पर किया जाता है।
- FCA विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। इसे डॉलर के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- FCA में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्रा की कीमतों में उतार-चढ़ाव या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है।
विशेष आहरण अधिकार (SDRs)
- विशेष आहरण अधिकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था।
- SDR न तो एक मुद्रा है और न ही IMF पर इसका दावा किया जा सकता है। बल्कि यह IMF के सदस्यों का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने योग्य मुद्राओं पर एक संभावित दावा है। इन मुद्राओं के लिये SDR का आदान-प्रदान किया जा सकता है।
- SDR के मूल्य की गणना ‘बास्केट ऑफ करेंसी’ में शामिल मुद्राओं के औसत भार के आधार पर की जाती है। इस बास्केट में पाँच देशों की मुद्राएँ शामिल हैं- अमेरिकी डॉलर, यूरोप का यूरो, चीन की मुद्रा रॅन्मिन्बी, जापानी येन और ब्रिटेन का पाउंड।
- विशेष आहरण अधिकार ब्याज (SDRi) सदस्य देशों को उनके द्वारा धारण किये जाने वाले SDR पर मिलने वाला ब्याज है।
IMF के पास रिज़र्व ट्रेंच
- रिज़र्व ट्रेंच वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को प्रदान किया जाता है और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं।
- रिज़र्व ट्रेंच मूलतः एक आपातकालीन कोष होता है जिसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य देशों द्वारा बिना किसी शर्त पर सहमत हुए अथवा सेवा शुल्क का भुगतान किये किसी भी समय प्राप्त किया जा सकता है।