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जैव विविधता और पर्यावरण

अग्नि प्रबंधन को मज़बूत बनाने पर रिपोर्ट

  • 10 Oct 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारत में वन अग्नि प्रबंधन को मज़बूत बनाने के विषय पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में सुझाई गई सिफारिशों को कार‍गर ढंग से लागू किये जाने पर बल दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिफारिशों के लागू होने पर वनों में आग लगने की घटनाओं में कमी आएगी। 

प्रमुख बिंदु 

  • भारत में वन अग्नि प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने से संबंधित रिपोर्ट को संयुक्त रूप से पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) और विश्व बैंक द्वारा तैयार किया गया है तथा इसे केंद्रीय मंत्री हर्षवर्द्धन द्वारा जारी किया।
  • पर्यावरण मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि वनों में आग की घटनाओं पर काबू पाने में विज्ञान और प्रद्योगिकी मंत्रालय को भी शामिल किया जाना चाहिये।
  • मंत्रालय के मुताबिक, अध्‍ययन रिपोर्ट की सिफारिशें तभी प्रभावी होंगी जब आगे सक्रिय और आक्रामक रणनीति अपनाई जाए। 
  • वनों में आग लगने से कार्बन डाइआक्‍साइड का उत्‍सर्जन होता है, परिणामस्वरूप भूमंडलीय ताप में वृद्धि होती है।
  • यह रिपोर्ट उचित समय पर आई है तथा पेरिस समझौते के अंतर्गत तय राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution-NDC) के अंतर्गत परिभाषित भारत के लक्ष्यों को पूरा करने के प्रधानमंत्री के विज़न से निर्देशित है।
  • इस अवसर पर भारत के लिये कंट्री डाइरेक्‍टर (विश्‍व बैंक) डॉ. जुनैद कमाल अहमद ने कहा कि दावानल अनेक देशों के लिये चुनौती है और इससे प्रत्‍यक्ष रूप से वन उत्‍पादों पर निर्भर लोगों के जान-माल का नुकसान होता है।

वनों की आग से भारत में 1,100 करोड़ रुपए का सालाना नुकसान 

  • रिपोर्ट के मुताबिक, चार लोगों में से कम-से-कम एक व्यक्ति अपनी आजीविका के लिये वनों पर निर्भर होता है तथा भारत में हर साल वनों की आग के कारण कम-से-कम 1,100 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
  • हर साल देश के 647 ज़िलों के लगभग आधे हिस्से के वनों में आग लगती है।
  • हालाँकि, लघु अनुक्रम में बार-बार आग लगने के कारण प्राकृतिक पुनर्जन्म को नुकसान पहुँचता है और इससे प्रजातियों की विविधता कम हो रही है। वहीँ दूसरी तरफ, वन कवर क्षेत्रों में रहने वाली भारत की 92 मिलियन से अधिक आबादी के लिये खतरा उत्पन्न हुआ है।
  • भारत में वनों की आग के पैटर्न और रुझानों का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य भारत का क्षेत्र आग से सबसे अधिक प्रभावित है।
  • उत्तर-पूर्व के बाद भारत में सबसे ज्यादा वन कवर वाले इस क्षेत्र में 2003-2016 के दौरान 56% वनों में आग लगने की घटना हुई  इसके बाद दक्षिणी राज्य और उत्तर-पूर्व हैं।
  • रिपोर्ट में वनों की आग की रोकथाम के लिये राष्ट्रीय योजना की मांग की गई है।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने हेतु राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) को पूरा करने के लिये वनों की आग को रोकने हेतु परिणाम तक पहुँचना महत्त्वपूर्ण है।
  • आईपीसीसी की पाँचवीं आकलन रिपोर्ट के अनुसार, वनों की आग वैश्विक स्तर पर हर साल कार्बन उत्सर्जन में 2.5 बिलियन टन से 4.0 बिलियन टन CO2 का योगदान करती है।
  • हालाँकि MoEF ने 2000 में वन अग्नि रोकथाम और प्रबंधन (FFPM) पर राष्ट्रीय दिशा-निर्देश जारी किये थे, लेकिन इन्हें लागू नहीं किया जा सका है।
  • रिपोर्ट में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के वैज्ञानिकों को भी संदर्भित किया गया, जिन्होंने महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकीय मूल्य वाले वनों को प्रभावित करने वाली आग के साक्ष्य प्राप्त किये।
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