अंतर्राष्ट्रीय संबंध
फोरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम संस्करण 2.0
- 20 Apr 2018
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चर्चा में क्यों?
भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, पूरे देश में जंगल की आग को ध्यान में रखते हुए 'फोरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम संस्करण 2.0' लाया गया है और पूरी प्रक्रिया को स्वचालित बना दिया गया है (रात के समय अलर्ट सहित)।
भारत का वन सर्वेक्षण (एफएसआई) भारत का वन सर्वेक्षण (एफएसआई), पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक प्रमुख राष्ट्रीय संगठन है, जो देश के वन संसाधनों के आकलन और निगरानी के लिये ज़िम्मेदार है। इसके अलावा, यह प्रशिक्षण, अनुसंधान के विस्तारसंबंधी सेवाएँ भी प्रदान करता है। उद्देश्य
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प्रमुख बिंदु
- एफएसआई की इस अभिनव प्रणाली की मदद से अग्रिम रूप से 10 से 12 सप्ताह तक जंगल की आग के विषय में आगाह किया जा सकेगा।
- एफएसआई जंगल के आग के संदर्भ में तीन पहलुओं पर काम कर रही है –
- नियर रियल टाइम में जंगल में आग की चेतावनी [Near Real Time (NRT) Forest Fire alerts]
- जंगल में आग से पूर्व चेतावनी (Forest Fire Pre-warning alerts)
- आग प्रभावित क्षेत्रों का अध्ययन (Burnt scar studies)
जंगल में आग लगने के संभावित कारण
- जंगल में सबसे पहले आग ज़मीन पर गिरे पत्तों में लगती है।
- इसके अलावा मार्च-अप्रैल में ही तापमान बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है, इसकी वजह से पत्ते भी ज़्यादा गिरते हैं और नमी न होने की वजह से आग लगती है, जो विकराल रूप धारण कर लेती है।
- शीतकालीन वर्षा की कमी और गर्मी की वजह से पहले से ही जंगलों में भीषण आग की आशंका होती है, लेकिन इससे बचने की कोई पूर्व तैयारी न हो तो यह और विकराल रूप धारण कर लेती है।
- कई बार मज़दूरों द्वारा शहद, साल के बीज जैसे कुछ उत्पादों को इकट्ठा करने के लिए जानबूझकर आग का लगाई जाती है।
- कुछ मामलों में जंगल में काम कर रहे मज़दूरों, वहाँ से गुजरने वाले लोगों या चरवाहों द्वारा गलती से जलती हुई कोई चीज वहाँ छोड़ देना जो कि आग लगने का कारण बनती है।
- आस-पास के गाँवों के लोगों द्वारा दुर्भावना से आग लगाना।
- जानवरों के लिये ताजी घास उपलब्ध कराने हेतु आग लगाना।