हॉर्नबिल | 13 Aug 2020

प्रिलिम्स के लिये:

हॉर्नबिल, पापुम रिज़र्व फॉरेस्ट, पक्के टाइगर रिज़र्व

मेन्स के लिये:

जैवविविधता संरक्षण का महत्त्व  

चर्चा में क्यों?

उपग्रह डेटा पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में वनों की कटाई की उच्च दर के कारण हॉर्नबिल (Hornbill) पक्षी के निवास स्थान खतरे में पड़ रहे हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • उपग्रह डेटा पर आधारित यह अध्ययन 862 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैले पापुम रिज़र्व फॉरेस्ट (Papum Reserve Forest) में किया गया, जो पक्के टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र में स्थित है तथा अवैध कटाई और जातीय संघर्ष से प्रभावित है।
  • पापुम रिज़र्व फॉरेस्ट में वनों की कटाई की वार्षिक दर 8.2 वर्ग किमी. है।
  • भारतीय पूर्वी हिमालय के जैविक रूप से समृद्ध जंगलों में महत्त्वपूर्ण हॉर्नबिल निवास स्थान के नुकसान और गिरावट को दर्शाते हैं तथा आवास संरक्षण के प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

hornbills

महत्त्व:

  • पापुम रिज़र्व फॉरेस्ट बड़ी, रंगीन और फल खाने वाली हॉर्नबिल (Large, Colourful Fruit-eating hornbill) की तीन प्रजातियों- ग्रेट, पुष्पांजलि और ओरिएंटल चितकबरा (Great, Wreathed and Oriental Pied) का निवास स्थान है। इसके अतिरिक्त पक्के रिज़र्व में हॉर्नबिल की एक चौथी प्रजाति रूफस-नेक्ड (Rufous-Necked) पाई जाती है।
  • उष्णकटिबंधीय वृक्षों के बीजों को फैलाने में अहम भूमिका निभाने के लिये ’वन इंजीनियरों’ या ‘वन किसानों ’के रूप में प्रसिद्द हार्नबिल वनों की समृद्धि और संतुलन का संकेत देते हैं, जिनमें वे घोंसले बनाते हैं।

खतरा:

  • हॉर्नबिल्स का उपयोग उनके ऊपरी चोंच (Upper Beak) के लिये किया जाता था। पूर्वोत्तर में कुछ जातीय समुदायों के सांस्कृतिक प्रतीकों विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के न्यिशी (Nyishi) के सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में इनके पंखों का प्रयोग किया जाता है। फाइबर ग्लास के प्रयोग के बाद संरक्षण कार्यक्रम के बाद पक्षियों के लिये खतरा काफी हद तक कम हो गया।

भारत में हॉर्नबिल:

  • भारत में हॉर्नबिल की नौ प्रजातियाँ हैं जिनमें से चार पश्चिमी घाट पर पाई जाती हैं- भारतीय ग्रे हॉर्नबिल (भारत का स्थानिक), मालाबार ग्रे हॉर्नबिल (पश्चिमी घाट का स्थानिक), मालाबार पाइड हॉर्नबिल (भारत व श्रीलंका का स्थानिक) और व्यापक रूप से पाया जाने वाला ग्रेट हॉर्नबिल (अरुणाचल प्रदेश और केरल का राजकीय पक्षी)।
  • इसके अतिरिक्त रफस-नेक्ड हॉर्नबिल, ऑस्टेन की ब्राउन हॉर्नबिल, जिसमें ग्रेट हॉर्नबिल जैसी संकटग्रस्त प्रजातियाँ पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में पाई जाती हैं।
  • भारत में हॉर्नबिल की एक ऐसी प्रजाति नारकोंडम हॉर्नबिल भी है जिसकी संख्या बहुत कम है तथा  जो केवल अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के  नारकोंडम द्वीप पर पाई जाती है।

पक्के टाइगर रिज़र्व:

  • पक्के टाइगर रिज़र्व, जिसे ‘पखुई टाइगर रिज़र्व’ के नाम से भी जाना जाता है, पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के पूर्वी कामेंग ज़िले में स्थित एक टाइगर रिज़र्व है।
  • यह अरुणाचल प्रदेश राज्य में नामदफा रिज़र्व के पश्चिम भाग में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 862 वर्ग किमी. है।

Pakke-Tiger-Reserve

  • इस टाइगर रिज़र्व ने 'संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण' की श्रेणी में ‘हॉर्नबिल नेस्ट एडॉप्शन प्रोग्राम’ के लिये भारत जैव विविधता पुरस्कार (India Biodiversity Award-IBA) जीता था।
  • यह उत्तर-पश्चिम में भारेली या कामेंग नदी और पूर्व में पक्के नदी से घिरा है।
  • पक्के टाइगर रिज़र्व (नवंबर से मार्च तक ठंडे मौसम वाली) उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्र में अवस्थित है।
  • यहाँ बिल्ली परिवार की तीन बड़ी प्रजातियाँ- बंगाल टाइगर, इंडियन लेपर्ड और क्लाउडेड तेंदुआ पाई जाती हैं।
  • यहाँ विश्व स्तर पर लुप्तप्राय सफेद पंखों वाला ‘व्हाइट विंग्ड वुड डक’ (White-winged Wood Duck), आईबिसबिल (Ibisbill) और ओरिएंटल बे उल्लू (Oriental Bay Owl) और हॉर्नबिल जैसे पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • अरुणाचल प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र:
    • नामदफा: यह पूर्वी हिमालय में अवस्थित एक ‘जैव विविधता हॉटस्पॉट’ (Biodiversity Hotspot) है। यह 27° उत्तरी अक्षांश पर तराई सदाबहार वर्षावन क्षेत्र में अवस्थित है।
    • कमलांग टाइगर रिज़र्व: कमलांग वन्यजीव अभयारण्य वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है जो अरुणाचल प्रदेश के लोहित ज़िले में स्थित है।

स्रोत: द हिंदू