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भारतीय राजव्यवस्था

विदेशी अधिकरण

  • 18 Mar 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विदेशी अधिकरण

मेन्स के लिये:

विदेशी अधिकरण से जुड़े मुद्दे

चर्चा में क्यों?

वैश्विक मानवाधिकार संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ (Amnesty International) द्वारा ‘डिजायन टू एक्सक्लूड’ (Designed to Exclude) नामक शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार, असम सरकार ने ‘विदेशी अधिकरण’ (Foreigners’ Tribunal- FT) के सदस्यों के कार्यकाल का निर्धारण उनके द्वारा विदेशी घोषित किये गए व्यक्तियों की संख्या के आधार पर किया है।

पृष्ठभूमि:

  • प्रारंभ में 11अवैध प्रवासी निर्धारण अधिकरण (Illegal Migrant Determination Tribunals- IMDT) कार्यरत थे। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवैध प्रवासी (अधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम, 1983 को रद्द कर वर्ष 2005 में इसे FTs में परिवर्तित कर दिया।
  • राज्य सरकार ने वर्ष 2005 में 21, वर्ष 2009 में 4 तथा वर्ष 2014 में शेष 64 FTs को स्थापित किया।

विदेशी अधिकरण:

  • विदेशी (अधिकरण) आदेश, 1964 को केंद्र सरकार द्वारा विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 3 के तहत जारी किया गया था।
  • विदेशी (अधिकरण) आदेश, 1964 में प्रमुख संशोधन वर्ष 2013 में किये गए
  • ये सभी आदेश पूरे देश में लागू हैं तथा किसी भी राज्य के लिये विशिष्ट नहीं हैं

नवीनतम आदेश:

  • नवीनतम संशोधन 30 मई 2019 को किया गया, जो NRC (National Register of Citizens- NRC) के खिलाफ दायर दावों एवं आपत्तियों के विरोध में अपील संबंधी मामलों के निपटारे से संबंधित है।
  • 30 मई, 2019 को जारी किया गया आदेश केवल असम राज्य से संबंधित है।
  • असम में वर्तमान में 100 FTs हैं, जबकि 200 से अधिक FTs को स्थापित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
  • ये FTs मुख्यत 31अगस्त, 2019 को प्रकाशित अद्यनत NRC से बाहर किये गए 19.06 लाख लोगों के मामलों से संबंधित मामलों का निपटान करेगी।

सदस्यों की नियुक्ति:

  • FT सदस्यों की नियुक्ति ‘विदेशी अधिकरण अधिनियम’ 1941, (Foreigners Tribunal Act 1941) ‘विदेशी अधिकरण आदेश’ 1984, (Foreigners Tribunal Order 1984) तथा सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के तहत की जाती है।

सदस्यों की योग्यता: 

  • FT सदस्यों की नियुक्ति के लिये निम्नलिखित योग्यताओं का होना आवश्यक है-
  • वह असम न्यायिक सेवा का सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी रहा हो।
  • न्यायिक अनुभव रखने वाला सिविल सेवक जो सचिव या अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे सेवानिवृत्त नहीं हुआ हो।
  • प्रैक्टिस करते हुए अधिवक्ता (Practising Advocate) जिसकी उम्र 35 वर्ष से कम न हो तथा कम से कम सात वर्ष के अभ्यास का अनुभव रखता हो।
  • असम (असमिया, बंगाली, बोडो और अंग्रेजी) की आधिकारिक भाषाओं का अच्छी समझ हो।
  • विदेशी मामलों का अनुभव रखता हो।

वेतन भत्ते:

  • यदि सेवानिवृत्त न्यायाधीश या सिविल सेवक की नियुक्ति FTs के सदस्य के रूप में की जाती है तो उसे वही वेतन तथा भत्ता दिया जाता है जो वेतन तथा भत्ता उसकी सेवानिवृत्ति के समय था।
  • यदि एक वकील की नियुक्ति FTs के सदस्य के रूप में की जाती है, तो उसे 85,000 रुपए प्रति माह वेतन तथा भत्ता दिया जाता है।

FTs में अपील का तरीका:

  • वे लोग जो अद्यतन NRC सूची से बाहर रह जाते हैं वे FTs से संपर्क कर सकते हैं
  • यदि कोई सदस्य FT के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं तो वे इसके खिलाफ आगे अपील कर सकता है।

FTs की विश्वसनीयता:

  • FTs की विश्वसनीयता पर अगस्त 2017 से सवाल उठने लगे हैं, जब असम के मोरीगाँव जिले के एक FT सदस्य ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।
  • सदस्य के अनुसार- “विदेशी मामलों को FTs सदस्य एक उद्योग के रूप में ले रहे है तथा उनका उद्देश्य ऐसे मामलों में केवल पैसा बनाना है।”
  • मोरीगाँव FT सदस्य ने यह भी देखा कि अनुचित प्रथाओं तथा नकली दस्तावेज़ों के माध्यम से भारतीय नागरिकों को विदेशी तथा विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी जा रही है।

आगे की राह:

  • व्यक्ति की नागरिकता एक बुनियादी मानवाधिकार है। न्यायिक रूप से अपनी पहचान को सत्यापित किये बिना जल्दबाजी में लोगों को विदेशी घोषित करना बहुत से नागरिकों को राज्यविहीन (Stateless) कर देगा, अत: जो लोग सूची में शामिल नहीं हो पाते हैं उन्हें पर्याप्त कानूनी सहायता दी जानी चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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