‘पोषण अभियान’ को बढ़ावा देने के लिये 'टेक-थॉन' का आयोजन | 02 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
- महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 28 जून, 2018 को प्रवासी भारतीय केंद्र, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री की समग्र पोषण की अति महत्त्वपूर्ण योजना ‘पोषण अभियान’ को बढ़ावा देने के लिये प्रौद्योगिकी साझेदारी विषय पर 'टेक-थॉन' नामक एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया
प्रमुख बिंदु
- इस संगोष्ठी में सरकार, बहुपक्षीय संगठनों, आईटी उद्योग, यूआईडीएआई इत्यादि के विभिन्न हितधारक एकजुट हुए।
- इसमें पोषण अभियान के लिये जन आंदोलन संबंधी दिशा-निर्देश जारी किये गए।
- ध्यातव्य है कि संगोष्ठी में महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी और महिला और बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार उपस्थित थे।
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने संगोष्ठी का उद्घाटन किया और पोषण अभियान के जन आंदोलन के लिये दिशा-निर्देश जारी किये।
- संगोष्ठी में इस अभियान से जुड़े केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों ने भी प्रौद्योगिकी सहायता पर चर्चा की और पोषण अभियान के बारे में अपने विचार साझा किये।
संगोष्ठी में शामिल सदस्य
- संगोष्ठी में राज्यों के महिला और बाल विकास मंत्रालय/सामाजिक न्याय विभाग के सचिव, आईसीडीएस/पोषण अभियान के निदेशक प्रभारी और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के नोडल अधिकारी भी उपस्थित थे।
- संगोष्ठी में कई मत्रियों सहित, भारत सरकार और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के शीर्ष नीति-निर्माता, यूनीसेफ, विश्व बैंक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), डब्ल्यूएफपी जैसे बहुपक्षीय साझेदार संस्थानों के प्रतिभागी, महिला एवं बाल विकास विभाग के साझेदार– टाटा न्यास, बिल एंड मेलिंडा गैट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ), परोपकारी निजी क्षेत्र (सीएसआर) और सिविल सोसायटी संगठन के सदस्य भी शामिल हुए।
संगोष्ठी का उद्देश्य
- इस पहल का मुख्य उद्देश्य पोषण अभियान के लिये वातावरण तैयार करना, साथ ही विचारों के आदान-प्रदान और प्रौद्योगिकी सहायता के लिये सहयोग तथा साझेदारी के अवसर तलाशना था।
- इसके अतिरिक्त इसका उद्देश्य पोषण के प्रति लोगों के व्यवहार में प्रभावी परिवर्तन लाकर जन आंदोलन शुरू कर लाभार्थियों तक पहुँच बनाना है।
- ध्यातव्य है कि प्रधानमंत्री द्वारा पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) का शुभारंभ 8 मार्च, 2018 को झुंझनू, राजस्थान में किया गया था।
- राष्ट्रीय पोषण मिशन का लक्ष्य ठिगनापन, अल्पपोषण, रक्ताल्पता (छोटे बच्चों, महिलाओं एवं किशोरियों में) को कम करना तथा प्रतिवर्ष अल्पवज़नी बच्चों में क्रमश: 2%, 2%, 3% तथा 2% की कमी लाना है।