खाद्य सुरक्षा हेतु एक सहयोगी दृष्टिकोण की आवश्यकता | 25 Apr 2018
चर्चा में क्यों?
भारत प्रगतिशील अर्थव्यवस्था, उच्च आय, खाद्यान की प्रचुरता के बावजूद अपनी बड़ी आबादी को सही पोषण प्रदान करने के लिये संघर्ष कर रहा है। इसके अलावा भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा खाद्य विकल्पों की विविधता के साथ स्वस्थ विकल्पों (गुणवत्ता और सुरक्षा) की मांग भी तेज़ी से बढ़ी है। इन्हीं समस्याओं के समाधान के रूप में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानकों के साथ भारतीय खाद्य मानकों की चर्चा इस लेख में की गई है।
खाद्य सुरक्षा के प्रमुख मानकों का निर्धारण
वैश्विक खाद्य सुरक्षा मानकों का निर्धारण जीएफएसआई, खाद्य स्वास्थ्य और कृषि संगठन (एफएओ) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर करता है।
जीएफएसआई - वैश्विक खाद्य सुरक्षा पहल
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- भारत में यह कार्य भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा किया जाता है।
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कोडेक्स मानकों के अनुरूप कई खाद्य पदार्थों के मानकों को सुसंगत बनाया है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई)
- केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) का गठन किया।
- जिसको 1अगस्त, 2011 में केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक विनिमय (पैकेजिंग एवं लेबलिंग) के तहत अधिसूचित किया गया।
- इसका संचालन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाता है।
- इसका मुख्यालय दिल्ली में है, जो राज्यों के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने का काम करता है।
एफएसएसएआई के कार्य
- एफएसएसएआई मानव उपभोग के लिये पौष्टिक भोजन का उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात की सुरक्षित उपलब्धता को सुनिश्चित करने का काम करता है।
- इसके अलावा यह देश के सभी राज्यों, ज़िला एवं ग्राम पंचायत स्तर पर खाद्य पदार्थों के उत्पादन और बिक्री के तय मानकों को बनाए रखने में सहयोग करता है।
- यह समय-समय पर खुदरा एवं थोक खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता की जाँच भी करता है।
- ध्यातव्य है कि सुरक्षित और पौष्टिक खाद्य (एसएनएफ) कार्यक्रम के तहत एफएसएसएआई नागरिक मार्गदर्शन और क्षमता निर्माण सहित विभिन्न पहलों के माध्यम से सभी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
मानकों के निर्धारण में अपेक्षित सुधार
- मानकों को अपनाने या स्थापित करते समय खाद्य वस्तुओं की स्थानीय, सांस्कृतिक और भौगोलिक उत्पत्ति को ध्यान में रखना चाहिये।
- पौष्टिक और सुरक्षित भोजन को दुनिया भर के सभी देशों की मूलभूत आवश्यकता है, अतः हमारे पास इसकी सुनिश्चितता हेतु, सामान्य पैरामीटर होना चाहिए।
- वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बनाते हुए भारतीय खाद्य मानकों को सुदृढ़ करना भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इसके साथ ही उपभोक्ता शिक्षा और जागरूकता के उद्देश्य से की गई खाद्य पदार्थों की लेबलिंग उपभोक्ताओं के डर का कारण न बने इसके लिए भी अभ्यास करने की आवश्यकता है।